भारत की टैक्स व्यवस्था को लेकर उठने लगे सवाल, विदेशी एयरलाइन कंपनियां समेट सकती हैं कारोबार

punjabkesari.in Saturday, Jun 08, 2024 - 08:57 AM (IST)

नेशनल डेस्क:  विदेशी एयरलाइन कंपनियों ने भारत की टैक्स व्यवस्था को लेकर सवाल उठाने शुरू कर दिए हैं। उनका कहना है कि भारत का टैक्स सिस्टम बहुत जटिल है और अगर स्थिति नहीं सुधरी तो उन्हें भारत से अपना कारोबार समेटना पड़ सकता है। भारत दुनिया का तीसरा सबसे बड़ा एविएशन मार्केट है। एक मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक इंटरनेशनल एयर ट्रांसपोर्ट एसोसिएशन ( आई.ए.टी.ए.) ने चेतावनी दी है कि भारत में टैक्स सिस्टम की जटिलताएं ग्लोबल एयरलाइन्स को देश छोड़ने के लिए मजबूर कर सकती हैं। आई.ए.टी.ए. की स्थापना 1945 में कुछ एयरलाइन कंपनियों ने की थी। आज दुनियाभर की 300 से अधिक एयरलाइन कंपनियां इसकी मैंबर हैं।

डबल टैक्सेशन का जोखिम ज्यादा
आई.ए.टी.ए. के डायरेक्टर जनरल विली वॉल्श के हवाले से रिपोर्ट में कहा गया है कि भारत में टैक्स से जुड़ी कई समस्याएं हैं। हमें चिंता है कि कि कुछ प्रस्ताव ऐसे हैं जिनके कारण विदेशी एयरलाइन कंपनियां भारत छोड़ सकती हैं। इनमें टैक्स नियमों की जटिलाएं, बहुत ज्यादा टैक्स और डबल टैक्सेशन का जोखिम है। ये ऐसे इश्यू हैं जिनसे विदेशी एयरलाइन कंपनियां बचना चाहती हैं। उल्लेखनीय है कि पिछले साल अक्टूबर में डायरेक्टरेट जनरल ऑफ जीएसटी इंटेलिजेंस (डी.जी.जी.आई.) कई विदेशी एयरलाइन कंपनियों के कार्यालयों पर छापा मारा था। यह मामला टैक्स की चोरी से जुड़ा था।

दुनिया में सबसे ज्यादा भारत में जटिल हैं टैक्स नियम
इसी साल डी.जी.सी.आई. ने थाई एयरवेज, सिंगापुर एयरलाइन्स, लुफ्तहांसा और ब्रिटिश एयरवेज के भारतीय कर्मचारियों को समन भेजा था। इन एयरलाइन कंपनियों पर जी.एस.टी. का भुगतान नहीं करने का आरोप था। एजेंसी के मुताबिक विदेशी एयरलाइन कंपनियों को भारत में एयरक्राफ्ट मेंटनेंस और रेंटल तथा क्रू की सैलरी पर जी.एस.टी. देना होगा। ब्रिटिश एयरवेज के चीफ एग्जीक्यूटिव रहे वॉल्श ने कहा कि जब मैं एयरलाइन सी.ई.ओ. तो हमेशा भारत में टैक्स नियमों की चर्चा होती थी। यह दुनिया में सबसे ज्यादा जटिल है। हमारा मानना है कि दुनिया में एक टैक्स स्ट्रक्चर है जो अच्छा काम कर रहा है। अगर आप इसमें बदलाव नहीं करते हैं तो विदेशी एयरलाइन आपके यहां से जा सकती हैं।

विदेशी एयरलाइंस की हिस्सेदारी 56 फीसदी
वॉल्श ने कहा कि डी.जी.सी.ए. के 2022-23 के आंकड़ों के मुताबिक भारत के इंटरनेशनल एयर ट्रैफिक में विदेशी एयरलाइंस की हिस्सेदारी 56 फीसदी है जबकि भारतीय कंपनियों का हिस्सा 44 फीसदी है। विदेशी कंपनियों में सबसे ज्यादा 10 फीसदी हिस्सेदारी एमिरेट्स की है। इसके बाद सिंगापुर एयरलाइन्स, एतिहाद, कतर एयरवेज, लुफ्तहांसा और एयर अरेबिया का नंबर है। वॉल्श ने कहा कि अगर किसी एयरलाइन को किसी देश से पैसा मिलना बंद हो जाए तो वह वहां ऑपरेट क्यों करेगी? उन्होंने कहा कि भारत की टैक्स व्यवस्था हमेशा से जटिल रही है। हम इंतजार करेंगे और देखेंगे कि आगे क्या होता है। देश में हाल में हुए लोकसभा चुनावों में एन.डी.ए. को बहुमत मिला है और कुछ दिन में अगली सरकार बनने की उम्मीद है।

एलन मस्क ने भी टैक्स व्यवस्था पर उठाए थे सवाल
आधिकारिक आंकड़ों के मुताबिक अक्टूबर-दिसंबर के दौरान देश में इंटरनेशनल एयर ट्रैफिक 1.73 करोड़ रहा। इस डिमांड को 78 विदेशी और छह घरेलू कंपनियों ने पूरा किया। गौरतलब है कि दुनिया की सबसे वैल्यूएबल ऑटो कंपनी टेस्ला के सी.ई.ओ. एलन मस्क ने कुछ साल पहले भारत की टैक्स व्यवस्था पर सवाल उठाए थे। उनका कहना था कि भारत में टैक्स की दरें दुनिया में सबसे ज्यादा हैं। इसके बाद सरकार ने अपनी ईवी पॉलिसी में बदलाव करके टेस्ला के भारत आने का रास्ता साफ किया था। हालांकि कंपनी ने अब तक भारत में एंट्री नहीं की है। 


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Content Editor

Mahima

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