पंजाब सरकार का 'स्कूल ऑफ एमिनेंस': निजी स्कूलों को चुनौती, शिक्षा में नई क्रांति

punjabkesari.in Tuesday, Sep 17, 2024 - 04:05 PM (IST)

चंडीगढ़: पंजाब सरकार ने शिक्षा के क्षेत्र में एक नई क्रांति का आगाज़ किया है। राज्य सरकार द्वारा शुरू किए गए 'स्कूल ऑफ एमिनेंस' अब निजी स्कूलों को टक्कर दे रहे हैं और इस पहल की वजह से बड़ी संख्या में छात्र इन सरकारी स्कूलों में दाखिला ले रहे हैं। मुख्यमंत्री भगवंत मान ने इस पहल की सराहना करते हुए बताया कि इन स्कूलों में सभी वर्गों के बच्चों को एक ही छत के नीचे समान शिक्षा का अवसर मिल रहा है।

स्कूल ऑफ एमिनेंस की विशेषताएँ
मुख्यमंत्री भगवंत मान ने कहा कि 'स्कूल ऑफ एमिनेंस' के तहत चल रहे स्कूल न केवल भव्य भवनों के लिए जाने जाते हैं, बल्कि इनमें उत्कृष्ट कक्षाएँ, आधुनिक पुस्तकालय, विज्ञान प्रयोगशालाएँ और स्वच्छ स्नानघर भी उपलब्ध हैं। ये स्कूल पारंपरिक शिक्षण विधियों से परे जाकर एक समग्र दृष्टिकोण पर आधारित हैं, जो छात्रों को 21वीं सदी की चुनौतियों के लिए तैयार करता है। इन स्कूलों की डिजाइन रचनात्मकता और मूल्यों को बढ़ावा देने के लिए की गई है, ताकि बच्चे हर दृष्टिकोण से तैयार हो सकें।

समावेशी शिक्षा का मॉडल
स्कूल ऑफ एमिनेंस का प्रमुख आकर्षण यह है कि यहाँ विभिन्न सामाजिक और आर्थिक पृष्ठभूमि के बच्चे एक ही कक्षा में बैठते हैं। इससे शिक्षा के क्षेत्र में समानता और समावेशिता को बढ़ावा मिलता है। मुख्यमंत्री मान ने उदाहरण देते हुए बताया कि इन स्कूलों में जज, जिला कलेक्टर और रिक्शा चालक के बच्चे एक साथ पढ़ाई करते हैं, जिससे सामाजिक भेदभाव की भावना को मिटाने में मदद मिलती है।

आधुनिक परिवहन सुविधाएं
पंजाब सरकार ने स्कूल ऑफ एमिनेंस के बच्चों के लिए आधुनिक परिवहन सुविधाएँ भी प्रदान की हैं। दूर-दराज से आने वाले बच्चों के लिए मुफ्त बसों की व्यवस्था की गई है। ये बसें सुबह बच्चों को उनके घर से स्कूल ले जाती हैं और स्कूल खत्म होने के बाद उन्हें वापस घर छोड़ देती हैं। इस सुविधा के चलते माता-पिता और बच्चों का समय और पैसा दोनों की बचत हो रही है।

जानिए क्या है भविष्य की योजनाएँ
पंजाब सरकार का उद्देश्य इस सफल मॉडल को राज्य के अन्य हिस्सों और पूरे देश में लागू करना है। मुख्यमंत्री भगवंत मान का कहना है कि यह मॉडल न केवल शिक्षा की गुणवत्ता को सुधारता है बल्कि सामाजिक समानता और समावेशिता को भी बढ़ावा देता है। यह एक ऐसा मॉडल है जिसे पूरी तरह से दोहराया जा सकता है और इससे शिक्षा के क्षेत्र में सकारात्मक परिवर्तन आ सकता है।


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Content Editor

Mahima

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