BJP अध्यक्ष बनेंगे या उपराष्ट्रपति? मनोहर खट्टर को लेकर बड़ा फैसला, खुद दिया हैरान कर देने वाला जवाब

punjabkesari.in Friday, Jul 25, 2025 - 12:08 PM (IST)

नेशनल डेस्क:   देश की राजनीति एक दिलचस्प मोड़ पर खड़ी है। एक तरफ उपराष्ट्रपति का अहम संवैधानिक पद खाली हो चुका है, दूसरी ओर भारतीय जनता पार्टी को अपने नए राष्ट्रीय अध्यक्ष की तलाश है। दोनों ही जिम्मेदारियाँ देश की राजनीतिक दिशा तय करने वाली हैं - और हैरानी की बात ये कि दोनों के केंद्र में सिर्फ एक नाम लगातार गूंज रहा है - मनोहर लाल खट्टर, एक संघ प्रशिक्षित, प्रशासनिक अनुभवी और संगठन के पुराने सिपाही। अब सवाल उठता है: क्या खट्टर को मिलेगा संविधान की निगरानी करने वाला उच्चतम पद, या फिर वो बीजेपी के सांगठनिक पुनर्गठन के अगुआ बनेंगे? राजनीतिक हलकों में इस चर्चे ने गर्मी बढ़ा दी है और जवाब खुद खट्टर ने अपने खास अंदाज़ में दिया है। एक न्यूज चैनल के एक कार्यक्रम में उन्होंने इस बहुप्रतीक्षित सवाल का जवाब देकर सियासी गलियारों में हलचल और बढ़ा दी है।

खट्टर का बयान: पद नहीं, जिम्मेदारी मायने रखती है
जब उनसे पूछा गया कि अगर उन्हें बीजेपी अध्यक्ष और उपराष्ट्रपति में से किसी एक को चुनना हो, तो वो क्या चुनेंगे?
खट्टर ने स्पष्ट कहा, मैं चुनाव नहीं करता, जो जिम्मेदारी मिलती है, उसे निभाता हूं। कोई पद बड़ा या छोटा नहीं, केवल सेवा का माध्यम है।

 खट्टर के पास क्यों हैं दोनों पदों की 'चाबी'?
 खट्टर आरएसएस के पुराने प्रचारक रहे हैं। संगठनात्मक अनुभव और विचारधारा में गहराई उनके पक्ष में जाती है। हरियाणा के मुख्यमंत्री के रूप में दो कार्यकाल और अब केंद्रीय मंत्री के तौर पर प्रभावी कार्य उन्हें एक मजबूत चेहरा बनाता है। बीजेपी के कोर नेताओं में गिने जाते हैं, जो उत्तर भारत में पार्टी को मजबूती देने में सफल रहे हैं।

 उपराष्ट्रपति पद पर नया मोड़ क्यों?
उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने हाल ही में अपने पद से इस्तीफा देकर सभी को चौंका दिया। उन्होंने इसके पीछे स्वास्थ्य कारणों का हवाला दिया, लेकिन अंदरूनी सूत्र बताते हैं कि एक संवेदनशील राजनीतिक मुद्दे पर सरकार की रणनीति के उलट विपक्ष का पक्ष लेने से पार्टी में असहजता बढ़ गई थी। खट्टर ने भी इस पर परोक्ष टिप्पणी करते हुए कहा, “सरकार पर भरोसा न करते हुए विपक्ष के प्रस्ताव को स्वीकार करना सही नहीं था।”

  बीजेपी अध्यक्ष की तलाश और जातीय संतुलन
जेपी नड्डा के केंद्र सरकार में मंत्री बनने के बाद भाजपा नए राष्ट्रीय अध्यक्ष की खोज में है। इसमें न केवल अनुभव और लोकप्रियता देखी जा रही है, बल्कि जातीय समीकरण, उत्तर-दक्षिण संतुलन, और आने वाले समय में होने वाली जनगणना व परिसीमन को भी ध्यान में रखा जा रहा है। खट्टर उत्तर भारत से हैं, लेकिन उनका संगठन पर प्रभाव उन्हें राष्ट्रीय संतुलन के लिए उपयुक्त बनाता है। तमिलनाडु, केरल जैसे राज्यों में जहां पार्टी को विस्तार की जरूरत है, वहां भी एक संतुलित नेतृत्व की आवश्यकता महसूस हो रही है।


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Content Writer

Anu Malhotra

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