''लोगों में धैर्य और सहनशीलता की कमी हो रही है...'': सोशल मीडिया ट्रोलिंग पर बोले CJI

punjabkesari.in Saturday, Mar 04, 2023 - 04:29 PM (IST)

नेशनल डेस्कः देश के चीफ जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ ने एक प्रोग्राम ने कहा कि भारत का संविधान ग्लोबल और लोकल का अद्भुद तालमेल है। हमारे संविधान और उसकी मुलभावनाओं को कई देशों ने अपने संविधान का आधार बनाया है। संविधान का जिक्र करते हुए उन्होंने कहा कि जब इसका मसौदा तैयार किया गया था तो संविधान निर्माताओं को यह पता नहीं था कि हम किस दिशा में विकसित होंगे। उस समय कोई निजता, इंटरनेट, एल्गोरिदम और सोशल मीडिया नहीं था। सीजेआई ने कहा कि वैश्वीकरण ने अपने स्वयं के असंतोष को जन्म दिया है। दुनियाभर में मंदा का अनुभव होने के कई कारण हैं। वैश्वीकरण विरोधी भावना में उछाल आया है, जिसकी उत्पत्ति उदाहरण के लिए 2001 के आतंकी हमलों में निहित हैं। 2001 के हमलों ने दुनिया को ऐसे हलों की कड़वी सच्चाई के सामने ला दिया, जिसे भारत देखता आ रहा था।

जलवायु परिवर्तन के मुद्दे पर उन्‍होंने कहा कि क्‍लाइमेट चेंज कोई अभिजात्य धारणा नहीं है और तटीय राज्यों के देशों के लिए एक कठोर वास्तविकता है। सीजेआई ने सोशल मीडिया पर कहा कि झूठी खबरों के दौर में सच ही शिकार हो गया है। आप जो कुछ भी करते हैं उसके लिए आपको किसी ऐसे व्यक्ति द्वारा ट्रोल किए जाने का खतरा होता है जो आपसे सहमत नहीं है। लोगों में धैर्य और सहनशीलता की कमी हो रही है।

कोविड महामारी को जिक्र करते हुए उन्‍होंने कहा, "कोविड ने देशों को अपनी सीमा बंद करने पर मजबूर होना पड़ा। आबादी में निचले स्तर पर रहने वाली आधी दुनिया को ग्लोबलाइजेशन का ज्यादा फायदा नहीं मिला। उनके लिए लोकलाइजेशन से उम्मीद बढ़ी लेकिन ग्लोबलाइजेशन से उनको काफी फायदा मिलेगा। अंधेरे के उस पार की चीजें भी दिखने लगेंगी और मिलेंगी। कोविड ने डिजिटल मार्केट प्लेस और नए आइडियाज दिए, सस्टेनेबल डिवेलपमेंट के एजेंडा दिए। नए फ्रेम वर्क और टास्क दिए।

कोविड ने डिजिटल मार्केट प्‍लेस तैयार किया 
सीजेआई चंद्रचूड़ ने कहा कि कोविड ने एक डिजिटल मार्केट प्लेस तैयार किया है जिसने भीतर काम करने का महत्व दिखाया है। कोविड ने हमें सिखाया कि हम एक-दूसरे से अलग-थलग रह सकते हैं लेकिन क्या यह एक स्थायी मॉडल है? सीजेआई ने कहा कि अमेरिका के हवाई और भारत के बीच विधि और न्याय के क्षेत्र मे नए पुल बनाना चाहते हैं। हमारा संविधान ग्लोबलाइजेशन से पहले ही ग्लोब्‍लाइजेशन (वैश्‍वीकरण) का आदर्श रहा है। उन्‍होंने कहा कि सात दशकों में बदलाव ये आया है कि खुलापन बढ़ा है सीमाएं खुली है। खुलेपन की हवा चली तो डेटा प्रोटेक्शन, कारोबारी मध्यस्थता, दिवालिया नियमों कानूनों को लेकर साझा कानूनों की जरूरत पड़ी। ये ग्लोबल करंसी ऑफ ट्रस्ट की तरह है। ये पूरी दुनिया के साझा इस्तेमाल की जरूरत है।

हम अलग-अलग दृष्टिकोणों को स्वीकार करने को तैयार नहीं 
सीजेआई ने सोशल मीडिया पर कहा कि झूठी खबरों के दौर में सच ही शिकार हो गया है। आप जो कुछ भी करते हैं उसके लिए आपको किसी ऐसे व्यक्ति द्वारा ट्रोल किए जाने का खतरा होता है जो आपसे सहमत नहीं है। लोगों में धैर्य और सहनशीलता की कमी हो रही है। हम अलग-अलग दृष्टिकोणों को स्वीकार करने को तैयार नहीं हैं। सोशल मीडिया के प्रसार के साथ जो कहा गया है वो ऐसा बन जाता है जिसे वैज्ञानिक जांच से रोका नहीं जा सकता। उन्‍होंने कहा कि न्याय देने का तरीका बदल रहा है। अब का दौर आइडियाज के वैश्वी करण का है। तकनीक हमारा जीवन बदल रही है। हम जजों का जीवन भी बदला है। कोविड के लॉक डाउन के शुरुआत में तब के चीफ जस्टिस ने हमसे पूछा था कि क्या हमें अपने दरवाजे भी बंद कर देने चाहिए। फिर हमने बात कर हर कोर्टरूम में डेस्कटॉप, लैपटॉप, इंटरनेट का इंतजाम कराकर जनता के लिए न्याय और उनकी आजादी सुरक्षित संरक्षित की। वीडीओ कॉन्फ्रेंस से सुनवाई का नया दौर शुरू हुआ। ब्रिटिश राज युग का आईपीसी और सीआरपीसी अद्भुत कानून है। हमने इतने दशकों में उसे अपने अनुभव, प्रयोगों और मेधा से और ज्यादा सशक्त और व्यवहारिक बनाया है। 


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Content Writer

Yaspal

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