सोने की बिकिनी में Tommy Genesis, देवी काली और क्रॉस पर विवाद, सोशल मीडिया पर भड़क उठी आग, देखें Viral तस्वीरें
punjabkesari.in Wednesday, Jun 25, 2025 - 12:04 PM (IST)

नेशनल डेस्क। विदेशी रैपर टॉमी जेनेसिस का नया म्यूजिक वीडियो इंटरनेट पर चर्चा और विवाद का केंद्र बन गया है। इस वीडियो में टॉमी जेनेसिस सोने की बिकिनी, नीले रंग की बॉडी पेंट और माथे पर बिंदी के साथ नज़र आ रही हैं। उनके इस लुक को देखकर कई लोगों ने इसे देवी काली से प्रेरित बताया है। वहीं वीडियो में एक क्रॉस को चाटने वाला सीन और हाथ जोड़कर नमस्ते करने जैसे दृश्य भी शामिल हैं जिससे बड़ी संख्या में लोगों की धार्मिक भावनाएं आहत हुई हैं।
सिंगर का यह विवादास्पद लुक इंटरनेट पर तेज़ी से फैल गया है और सोशल मीडिया पर इसे लेकर ज़बरदस्त विरोध देखने को मिल रहा है।
धार्मिक प्रतीकों के गलत इस्तेमाल पर भड़की लोगों की नाराज़गी
इस म्यूजिक वीडियो में इस्तेमाल किए गए प्रतीकों और कपड़ों को लेकर कई लोगों का मानना है कि यह सीधे-सीधे दो धर्मों हिंदू धर्म और ईसाई धर्म के अपमान की तरह है। देवी काली जैसे लुक और ईसाई धर्म के पवित्र चिन्हों का इस्तेमाल बेहद अशोभनीय ढंग से किया गया है।
लोगों ने इसे एक सोची-समझी साजिश का नाम दे दिया है जिससे वीडियो की तरफ ध्यान खींचा जा सके और यह तेज़ी से वायरल हो जाए। कई दर्शकों ने तो इसे ऑनलाइन रिपोर्ट भी किया है और वीडियो को तुरंत हटाने की मांग भी की है।
भारतीय रैपर रफ़्तार का तीखा रिएक्शन
इस पूरे मामले में भारत के मशहूर रैपर रफ़्तार ने भी कड़ी नाराज़गी जताई है। रफ़्तार ने अपने इंस्टाग्राम अकाउंट पर स्टोरी पोस्ट करते हुए कहा कि यह उनके धर्म का अपमान है और उन्होंने इस वीडियो को YouTube पर रिपोर्ट भी किया है।
साथ ही रफ़्तार ने अपने फॉलोअर्स से भी अपील की कि वे भी इस तरह की सामग्री के खिलाफ आवाज़ उठाएं। रैपर का कहना है कि धर्म के प्रतीकों के साथ इस तरह का व्यवहार कतई स्वीकार नहीं किया जाना चाहिए।
यूज़र्स ने कमेंट्स में दिखाया विरोध
रफ़्तार की इंस्टाग्राम स्टोरी देखने के बाद लोग लगातार टॉमी जेनेसिस के अकाउंट पर जाकर अपना विरोध जता रहे हैं। लोग मांग कर रहे हैं कि सिंगर इस वीडियो को जल्द से जल्द डिलीट करे।
एक यूज़र ने इस पर प्रतिक्रिया देते हुए लिखा, एक बहुत ही मूर्खतापूर्ण वीडियो और इसे सही ठहराने के लिए एक बहुत ही मूर्खतापूर्ण कहानी। यह किसी भी तरह से जड़ों या आपकी दृष्टि का प्रतिनिधित्व नहीं है यदि आप इस दृष्टि को कुटिल कहते हैं।
यह घटना एक बार फिर धार्मिक प्रतीकों के इस्तेमाल और कलात्मक स्वतंत्रता की सीमाओं पर बहस छेड़ दी है।