पाटीदारों का राहुल गांधी की तरफ झुकाव, बीजेपी खेमे में खलबली

punjabkesari.in Thursday, Sep 28, 2017 - 05:48 PM (IST)

अहमदाबादः कांग्रेस उपाध्यक्ष राहुल गांधी को गुजरात दौरे में पाटीदार समाज से मिली उत्साहपूर्वक प्रतिक्रिया ने बीजेपी नेताओं के माथे पर बल ला दिया है। विधानसभा में चौथी पारी का सपना संजोने वाली पार्टी को अब अपना गणित बिगड़ता दिखाई दे रहा है। इसके चलते राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह ने रणनीति बनानी शुरू कर दी है। इस रणनीति के तहत वह एक ओर पाटीदारों को लुभाने की कोशिश में जुट गए हैं तो दूसरी ओर कांग्रेस का पाटीदारों पर प्रभाव को कम करने का प्रयास कर रहे हैं। 

इन घोषणाओं में अनारक्षित केटेगरी में आने वाले समुदायों के लिए आयोग के गठन के साथ, पाटीदार युवाओं के खिलाफ पुलिस मामलों को वापस लेने और आंदोलन में मारे गए लोगों के परिवारों को नौकरी और मुआवजा देना शामिल है। इसी दौरान राज्य के उपमुख्यमंत्री नितिन पटेल ने पाटीदारों को बीजेपी के पाले में रखने के लिए घोषणा की कि पार्टी में ओबीसी नेताओं के साथ अनुचित व्यवहार बर्दाश्त नहीं किया जाएगा। बीजेपी के एक सूत्र ने कहा कि यह घोषणा ओबीसी समुदाय से आने वाले पार्टी के कुछ सांसद और विधायकों ने गुजरात के तीन दिन के दौरे पर आए अमित शाह से नाराजगी जाहिर करने के बाद हुई।
PunjabKesariप्रदेश में एक भी सीट नहीं गवाना चाहती पार्टी
जानकारों के मुताबिक, पिछले दिनों अमित शाह के इशारे पर ही हार्दिक और नितिन पटेल के बीच जल्दबाजी में मीटिंग रखी गई। यह मीटिंग राहुल गांधी को पटेल भूमि सौराष्ट्र में मिल रही प्रतिक्रिया को देखते हुए बुलाई गई थी। बीजेपी के एक नेता के अनुसार, 'फिलहाल बीजेपी पाटीदार आंदोलन की वजह से गुजरात में एक भी सीट हारने को तैयार नहीं है। अगर जरूरत पड़ी तो उन्हें मनाने के लिए कुछ और घोषणाएं भी की जा सकती हैं।
PunjabKesariप्रदेश की राजनीति में पटेलों का खास रसूख
गुजरात के लगभग 4200 उद्योगों में से 1700 उद्योग पाटीदारों के अधीन है। गुजरात की 1.50 करोड़ पाटीदार जनसंख्या में से आधे पाटीदार करोड़पति है। इसके वर्तमान बीजेपी सरकार में भी 40 विधायक और 7 मंत्री इसी समुदाय से आते हैं लेकिन राज्य में पिछले दशकों में 60 हजार उद्योग बंद हो गए और उसका इंपेक्‍ट पटेल समुदाय पर ज्‍यादा हुआ। इसी तरह साउथ गुजरात में डायमंड इंडस्‍ट्री का डिक्‍लाइन हुआ और उसका भी प्रभाव इन पर हुआ। जानकारों के मुताबिक, इसी वजह है कि ये लोग जो आरक्षण मांग रहे हैं।
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सरकार की सारी घोषणा साबित हुई हवा
हार्दिक पटेल का कहना था कि इसी तरह की घोषणाएं आर्थिक रूप से पिछड़ी जातियों के लिए पूर्व मुख्यमंत्री आनंदीबेन पटेल ने भी की थी लेकिन इनमें किसी का भी परिणाम सामने नहीं आया। इस बार भी जो घोषणाएं की गई हैं वो सिर्फ हवा साबित होते दिख रही हैं क्योंकि विधानसभा से उन्हें पास होने में समय लगेगा। तब तक चुनाव खत्म हो चुके होंगे और इसी बात का सरकार इंतजार कर रही है। पटेल ने आगे कहा, 'यह तीसरी बार है जब राज्य सरकार ने पाटीदारों के खिलाफ पुलिस केस वापस लेने का वादा किया है।


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