अब पाकिस्तानी प्रोफेसर ने की भारत की तारीफ, कहा- काश! ऐसा पाकिस्तान में होता...
punjabkesari.in Sunday, Apr 23, 2023 - 04:33 PM (IST)

इस्लामाबाद: भारत के विकास को देखकर पाकिस्तान के पूर्व प्रधानमंत्री इमरान खान आए दिन भारत की तारीफ करते रहे हैं। लेकिन, अब एक पाकिस्तानी प्रोफेसर एमएस रजा ने भारत के एक एयरपोर्ट को लेकर शहबाज शरीफ सरकार पर निशाना साधा है। उन्होंने एक तस्वीर को ट्वीट कर लिखा कि यह लद्दाख का लेह एयरपोर्ट है। उन्होंने आगे बताया कि लेह एयरपोर्ट पर लग रहे साइन बोर्ड पर स्थानीय भाषा में भी जानकारियां दी गई हैं। पाकिस्तान में इस तरह की जानकारी वहां की स्थानीय भाषा में नहीं दी जाती है। उन्होंने इस साइनबोर्ड को पाकिस्तान के क्षेत्रीय अलगाववाद से जोड़ा। रजा नेशनल इक्वेलिटी पार्टी गिलगित बाल्टिस्तान एंड लद्दाख के चेयरमैन हैं।
This is #Leh Airport in #Ladakh.
— Professor M S Raja (@NEP_JKGBL) April 20, 2023
Do you know what is special in this picture?
The Local Language; on the top of this airport board local language of Ladakh is written. This is what identity and recognition means. We cannot find a single word written on any board in either… pic.twitter.com/dYQZdNndEf
प्रोफेसर एमएस रजा ने ट्वीट में लिखा है कि ये है लद्दाख का लेह एयरपोर्ट। क्या आप जानते हैं इस तस्वीर में क्या है खास? स्थानीय भाषा। इस हवाई अड्डे के बोर्ड के ऊपर लद्दाख की स्थानीय भाषा लिखी हुई है। पहचान और मान्यता का यही अर्थ है। हमें गिलगित, बाल्टिस्तान या पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर में कहीं भी किसी भी बोर्ड पर एक भी शब्द नहीं लिखा हुआ मिला। गिलगिट बाल्टिस्तान और पाक अधिकृत कश्मीर में हमारी पहचान, संस्कृति और मान्यता से जुड़ी हर चीज नष्ट हो रही है और पंजाबी पहचान और संस्कृति हावी हो रही है।
रजा ने बताया कि मियां मुहम्मद बख्श मीरपुर के एक प्रसिद्ध कवि हैं। उन्होंने डोगरी भाषा में अपनी अद्भुत काव्य पुस्तक सैफुल मलूक लिखी, लेकिन पाकिस्तानी मियां मुहम्मद बख्श और उनके काम को पंजाबी कविता और पंजाब के कवि के रूप में पेश करते हैं। जम्मू-कश्मीर के लोगों के प्रति भारतीय और पाकिस्तानी दृष्टिकोण के बीच अंतर को नजरअंदाज नहीं किया जा सकता है। पाकिस्तान हमेशा हमारी पहचान और संस्कृति को नष्ट करने में लगा रहता है जबकि भारत हमारे अस्तित्व, हमारी संस्कृति और हमारी पहचान की रक्षा करता है और इसे बढ़ावा देता है।