भारत की ताकत के सामने पाकिस्तान ने आठ घंटे में ही टेक दिए घुटने : सीडीएस चौहान

punjabkesari.in Tuesday, Jun 03, 2025 - 10:51 PM (IST)

नेशनल डेस्क: प्रमुख रक्षा अध्यक्ष (सीडीएस) जनरल अनिल चौहान ने मंगलवार को कहा कि पाकिस्तान ने 10 मई की सुबह कई हमले किए, जिनका उद्देश्य भारत को 48 घंटे में शिकस्त देने का था, लेकिन खुद उसने आठ घंटे में ही घुटने टेक दिए और शत्रुता समाप्त करने के लिए उसे नयी दिल्ली से संपर्क करना पड़ा। भारत-पाकिसन के बीच संघर्ष का पहला विस्तृत विवरण देते हुए जनरल चौहान ने कहा कि पहलगाम आतंकवादी हमले पर भारत की प्रतिक्रिया सीमा पार आतंकवाद के प्रति ‘‘सहनशक्ति की हद'' निर्धारित करने के साथ ही इस्लामाबाद के परमाणु ब्लैकमेल को बर्दाश्त न करने की थी।

सावित्रीबाई फुले पुणे विश्वविद्यालय में अपने संबोधन में जनरल चौहान ने यह बात स्वीकार करने के लिए हो रही अपनी आलोचना को खारिज किया कि ‘ऑपरेशन सिंदूर' के प्रारंभिक चरण में भारत ने अनिर्दिष्ट संख्या में लड़ाकू जेट विमान खो दिए। जनरल चौहान ने कहा कि पेशेवर सेनाएं अस्थायी नुकसान से प्रभावित नहीं होतीं, क्योंकि समग्र परिणाम ऐसे नुकसान से कहीं अधिक महत्वपूर्ण होते हैं। उन्होंने कहा, ‘‘मान लीजिए कि आप क्रिकेट टेस्ट मैच खेलने उतरते हैं और पारी से जीत जाते हैं, तो विकेट और गेंद आदि का सवाल ही नहीं उठता।'' सीडीएस ने कहा, ‘‘जब मुझसे हमारी ओर से हुई क्षति के बारे में पूछा गया तो मैंने कहा कि यह महत्वपूर्ण नहीं है, बल्कि परिणाम और आप कैसे कार्य करते हैं, यह महत्वपूर्ण है।''

उन्होंने कहा, ‘‘10 मई को रात लगभग एक बजे, उनका (पाकिस्तान का) लक्ष्य 48 घंटों में भारत को शिकस्त देने का था। कई हमले किए गए और किसी न किसी तरीके से उन्होंने इस संघर्ष को बढ़ा दिया। हमने वास्तव में केवल आतंकवादी ठिकानों को ही निशाना बनाया था।'' जनरल चौहान ने कहा कि पाकिस्तान ने सोचा था कि भारत के खिलाफ उसका ‘ऑपरेशन' 48 घंटे तक चलेगा, लेकिन वह खुद आठ घंटे में ही अपनी हार मान बैठा।

सीडीएस ने कहा, ‘‘फिर उन्होंने (पाकिस्तान) फोन उठाया और कहा कि वे हमसे बात करना चाहते हैं।'' उन्होंने कहा, ‘‘जब पाकिस्तान की ओर से बातचीत करने और तनाव कम किए जाने का अनुरोध आया तो हमने उसे स्वीकार कर लिया।'' भारत ने पहलगाम आतंकवादी हमले के जवाब में पाकिस्तान नियंत्रित क्षेत्रों में आतंकवादी बुनियादी ढांचे को निशाना बनाते हुए सात मई को ‘ऑपरेशन सिंदूर' शुरू किया था। इन हमलों के कारण चार दिन तक भीषण झड़पें हुईं, जो 10 मई को सैन्य कार्रवाई रोकने पर सहमति के साथ समाप्त हुईं। सीडीएस ने कहा कि युद्ध में यदि नुकसान भी होता है, तो आपको अपना मनोबल बनाए रखना होता है। उन्होंने कहा कि नुकसान महत्वपूर्ण नहीं है, बल्कि परिणाम महत्वपूर्ण हैं। शीर्ष सैन्य कमांडर ने कहा कि पाकिस्तान भारत को हजारों जख्म देकर लहूलुहान करने की नीति पर चल रहा है, लेकिन नयी दिल्ली ने ‘ऑपरेशन सिंदूर' के जरिए सीमापार आतंकवाद के खिलाफ पूरी तरह एक नयी लक्ष्मण रेखा खींच दी है। 

विमानों के संदर्भ में पाकिस्तान को हुए नुकसान के बारे में पूछे गए एक विशिष्ट प्रश्न के उत्तर में जनरल चौहान ने कहा कि भारतीय सेना जल्द ही आंकड़े जारी कर सकती है। उन्होंने कहा, ‘‘तकनीकी मापदंडों के आधार पर हम यह विशेष डेटा निकालेंगे और आपके साथ साझा करेंगे। हम आपको बताएंगे कि हमने कितने विमान नष्ट किए और कितने रडार नष्ट किए।'' जनरल चौहान ने अभियान में जुड़े जोखिमों के बारे में भी विस्तार से बताया। उन्होंने कहा, ‘‘आप हर तरह की आकस्मिकता के लिए 100 प्रतिशत तैयार नहीं हो सकते, और आपके पास उसके बारे में 100 प्रतिशत जानकारी नहीं हो सकती। हर सैन्य अभियान में जोखिम का तत्व शामिल होता है। बस एक बात यह है कि इसके बारे में एक अनुमान होना चाहिए।''

जनरल चौहान ने राजनीति और हिंसा सहित युद्ध के विभिन्न पहलुओं की व्याख्या करते हुए कहा कि ‘ऑपरेशन सिंदूर' में भी युद्ध और राजनीति समानांतर रूप से हो रही थी। उन्होंने पाकिस्तान के सेना प्रमुख जनरल आसिम मुनीर द्वारा पहलगाम हमले से कुछ सप्ताह पहले भारत और हिंदुओं के खिलाफ ‘‘जहर उगले जाने'' का भी उल्लेख किया, ताकि इस बात पर जोर दिया जा सके कि इस्लामाबाद का दृष्टिकोण ‘‘भारत को हजार जख्म देकर ‘‘लहूलुहान करने'' का रहा है। जनरल चौहान ने कहा कि पहलगाम में जो कुछ हुआ, वह हद दर्जे की क्रूरता थी। 

उन्होंने कहा कि ‘ऑपरेशन सिंदूर' के पीछे सोच यह थी कि पाकिस्तान से राज्य प्रायोजित आतंकवाद पर नकेल कसी जाए और उस देश को भारत को आतंकवाद का बंधक बनाने की अनुमति नहीं दी जा सकती। जनरल चौहान ने कहा कि भारत आतंकवाद और परमाणु ब्लैकमेल से डरने वाला नहीं है। भारत के सैन्य हमलों के बारे में उन्होंने कहा कि भारतीय सशस्त्र बलों ने पाकिस्तानी ठिकानों पर बहुत सोच-समझकर सटीक हमले किए। नयी दिल्ली के समग्र दृष्टिकोण के बारे में उन्होंने कहा, ‘‘हमने मानदंड बढ़ा दिए हैं; हमने आतंकवाद को पानी से जोड़ा है, हमने आतंकवाद के खिलाफ सैन्य कार्रवाई की नयी रेखा खींच दी है।'' उन्होंने कहा, ‘‘ऑपरेशन सिंदूर अभी खत्म नहीं हुआ है। यह जारी है। यह शत्रुता में एक अस्थायी विराम है। हमें सतर्क रहने की आवश्यकता है।''


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News Editor

Parveen Kumar

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