सीजफायर के बाद भी नहीं बदला पाकिस्तान, जारी रखे हमले, जानिए कब-कब और कहां-कहां किए अटैक
punjabkesari.in Tuesday, May 13, 2025 - 09:37 AM (IST)

नेशनल डेस्क। हाल ही में युद्धविराम की घोषणा के बावजूद जम्मू-कश्मीर में सुरक्षा एजेंसियों ने कोई ढिलाई नहीं बरती है। बीते वर्षों में पाकिस्तान की ओर से हुई आतंकी घटनाओं को ध्यान में रखते हुए धार्मिक स्थलों और तीर्थ यात्राओं की सुरक्षा को और पुख्ता कर दिया गया है।
धार्मिक स्थलों को बनाया गया सुरक्षा घेरे का हिस्सा
पुलिस और अर्धसैनिक बलों ने जम्मू, कश्मीर और सीमावर्ती इलाकों में मौजूद मंदिरों, मस्जिदों, गुरुद्वारों और चर्चों की निगरानी बढ़ा दी है। अधिकारियों के मुताबिक यह कदम एहतियातन उठाया गया है ताकि कोई भी असामाजिक तत्व शांति भंग न कर सके। जम्मू क्षेत्र में प्रमुख रूप से 11 बड़े मंदिर, 133 मस्जिदें व जियारतगाहें, 9 बड़े गुरुद्वारे और 74 चर्च स्थित हैं। अकेले जम्मू शहर में ही 29 चर्च मौजूद हैं। इन सभी स्थलों की सुरक्षा जांच अब दिन में पहले से अधिक बार की जा रही है।
रघुनाथ मंदिर और रणवीरेश्वर मंदिर पर विशेष निगरानी
जम्मू के प्रसिद्ध रघुनाथ मंदिर, जो भगवान राम को समर्पित है को 9 मई से बंद रखा गया है। मंदिर परिसर में कुल सात मंदिर हैं और सुरक्षा की दृष्टि से अभी तक इसके दोबारा खुलने को लेकर कोई आधिकारिक आदेश नहीं आया है। मंदिर के बाहर तैनात आईटीबीपी और जम्मू-कश्मीर पुलिस के जवानों की संख्या लगभग दोगुनी कर दी गई है। पहले जहां 24 घंटे में दो बार चेकिंग होती थी अब यह संख्या चार से पांच बार तक पहुंच गई है। वहीं रणवीरेश्वर मंदिर की भी सुरक्षा बढ़ा दी गई है।
जामिया मस्जिद, चर्च और गुरुद्वारे भी सुरक्षा घेरे में
ऑपरेशन सिंदूर के बाद जम्मू की जामिया मस्जिद समेत कई धार्मिक स्थलों पर सुरक्षा के अतिरिक्त इंतजाम किए गए हैं। जम्मू के एसएसपी जोगिंदर सिंह ने बताया कि सभी धर्मों के प्रमुख पूजा स्थलों की सुरक्षा को प्राथमिकता दी जा रही है ताकि किसी भी तरह की अप्रिय घटना को रोका जा सके।
धार्मिक स्थलों और तीर्थ यात्राओं पर बीते हमले – एक नज़र
पिछले दो दशकों में जम्मू-कश्मीर में कई बार धार्मिक स्थलों और तीर्थ यात्राओं को निशाना बनाया गया है:
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रघुनाथ मंदिर, जम्मू (2002):
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30 मार्च को दो आत्मघाती हमलावरों ने हमला किया – 11 की मौत, 20 घायल।
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24 नवंबर को फिर हमला – 14 श्रद्धालु मरे, 45 घायल।
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अमरनाथ यात्रा पर हमले:
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1-2 अगस्त 2000: नुनवान बेस कैंप पर हमला – 105 मरे, 62 घायल।
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20 जुलाई 2001: शेषनाग झील के पास हमला – 13 की मौत।
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6 अगस्त 2002: नुनवान पर हमला – 9 मरे, 27 घायल।
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21 जुलाई 2006: गांदरबल में बस पर फायरिंग – 5 तीर्थयात्री मरे।
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10 जुलाई 2017: बस पर हमला – 7 श्रद्धालु मरे, 19 घायल।
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रेयासी हमले:
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13 मई 2022: कटरा से जम्मू जा रही तीर्थयात्रियों की बस पर 'स्टिकी बम' हमला – 4 मरे, 13 घायल।
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9 जून 2024: शिव खोड़ी से लौट रही बस पर गोलीबारी, बस खाई में गिरी – 9 मरे, 41 घायल।
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सख्ती और सावधानी से ही शांति संभव
इन तमाम घटनाओं को देखते हुए सुरक्षा एजेंसियां किसी भी लापरवाही के मूड में नहीं हैं। युद्धविराम के बाद भी पाकिस्तान प्रायोजित आतंकी गतिविधियों की आशंका को नजरअंदाज नहीं किया जा सकता। यही वजह है कि धार्मिक आस्था के केंद्रों को विशेष सुरक्षा दी जा रही है जिससे आम जनता और श्रद्धालु निडर होकर अपने धार्मिक कार्यों में शामिल हो सकें।