पुरानी हिंदी फिल्में बनीं बॉक्स-ऑफिस की हीरो, Gen-Z दर्शकों ने बढ़ाई सिनेमाघरों में भीड़!
punjabkesari.in Tuesday, Feb 18, 2025 - 10:08 AM (IST)
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नेशनल डेस्क: भारतीय फिल्म उद्योग में एक नई बदलाव की लहर आ रही है। पुराने समय की फिल्में अब सिनेमाघरों में फिर से रिलीज हो रही हैं, और इन प्रदर्शकों के लिए ये पुरानी फिल्में अब "कमाऊ पूत" साबित हो रही हैं। जो फिल्में एक समय पर बॉक्स-ऑफिस पर ज्यादा सफलता नहीं प्राप्त कर पाई थीं, वे अब वापस आकर अपने मूल संग्रह को पीछे छोड़ रही हैं। इन फिल्मों ने पुराने दर्शकों के साथ-साथ नए दर्शकों, खासकर जैन और जैड (Gen Z) दर्शकों को भी आकर्षित किया है।
सिनेमाघरों में पुरानी फिल्मों की सफलता
हाल के आंकड़े बताते हैं कि 2016 की रोमांटिक फिल्म "सनम तेरी कसम" और 2018 की डरावनी फिल्म "तुम्बाड" जैसी पुरानी फिल्में अब काफी सफलता प्राप्त कर रही हैं। इन फिल्मों ने कुछ नई रिलीज फिल्मों से बेहतर प्रदर्शन किया है और अपने मूल प्रदर्शन से कहीं ज्यादा कमाई की है। खासकर "सनम तेरी कसम" ने अपने फिर से रिलीज के दौरान आठ दिनों में लगभग 28 करोड़ रुपये की कमाई की, जबकि इसके मुकाबले रोमांटिक-कॉमेडी "लवयापा", ऐक्शन थ्रिलर "स्काई फोर्स"और ऐतिहासिक ड्रामा "छावा" जैसी फिल्में कमाई के मामले में पीछे रह गईं। विशेषज्ञों के मुताबिक, पुरानी फिल्मों की सफलता का मुख्य कारण इन फिल्मों का स्ट्रीमिंग प्लेटफॉर्म और टेलीविजन पर नया दर्शक वर्ग पाना है। इसके अलावा, इन फिल्मों के गाने और सस्ती टिकटों के कारण दर्शक फिर से सिनेमाघरों की ओर आकर्षित हो रहे हैं।
सोशल मीडिया और स्ट्रीमिंग सेवाओं पर पहले से एक अच्छा दर्शक वर्ग
सिनेमाघरों में पुरानी फिल्मों की फिर से रिलीज का मुख्य कारण यह है कि यह कदम केवल बड़ी बजट वाली नई फिल्मों की कमी को पूरा करने तक सीमित नहीं है, बल्कि इसके पीछे एक रणनीतिक सोच भी है। फिल्म वितरक और प्रदर्शक अब उन फिल्मों को सावधानीपूर्वक चुनते हैं, जिनका सोशल मीडिया और स्ट्रीमिंग सेवाओं पर पहले से एक अच्छा दर्शक वर्ग बना हुआ हो। इसके साथ ही, पुराने जमाने की यादें और शानदार संगीत भी इन फिल्मों के लिए आकर्षण का मुख्य कारण बन रहे हैं। सुनील वाधवा, कार्मिक फिल्म्स के सह-संस्थापक और निदेशक, का कहना है कि आज की युवा पीढ़ी, विशेषकर जैन और जैड दर्शक, पुरानी फिल्मों को सिनेमाघरों में दोबारा देखने का अनुभव करना चाहते हैं। इसके साथ ही कुछ ऐसे भी लोग हैं, जो अपने मित्रों और परिवार के अनुभवों को खोने से डरते हैं और इसी कारण वे पुरानी फिल्मों को सिनेमाघरों में देखने के लिए उमड़ पड़ते हैं।
मूल रिलीज के मुकाबले बेहतर प्रदर्शन
फिल्म उद्योग के जानकारों का मानना है कि कई पुरानी फिल्में, जिन्हें पहले अपनी मूल रिलीज के दौरान सिनेमाघरों में पर्याप्त स्क्रीन स्पेस नहीं मिला था, अब उन्हें पहले से ज्यादा स्क्रीन मिल रही हैं। साथ ही, अब निर्माता और वितरक फिल्म निर्माण के समय युवा दर्शकों की रुचियों को ध्यान में रखते हुए इन फिल्मों को फिर से सिनेमाघरों में ला रहे हैं। विश्लेषकों का अनुमान है कि "सनम तेरी कसम" जैसी फिल्म अपनी बॉक्स-ऑफिस गति को बनाए रखते हुए आने वाले दिनों में 50 करोड़ रुपये का आंकड़ा पार कर सकती है, जो इसके मूल 9.11 करोड़ रुपये से कहीं अधिक है। यही नहीं, इससे भी महत्वपूर्ण यह है कि पुरानी फिल्में अब नए दर्शकों को भी आकर्षित कर रही हैं, जो पहले इन फिल्मों को सिनेमाघरों में नहीं देख पाए थे।
अगला कदम क्या होगा?
अब देखना यह होगा कि क्या यह पुरानी फिल्मों का ट्रेंड सिर्फ एक छोटा सा फेज है, या यह एक लंबे समय तक चलने वाली प्रथा बन जाएगी। कई फिल्म निर्माताओं और वितरकों का मानना है कि इस सफलता को आगे भी बनाए रखा जा सकता है, खासकर जब तक बड़े बजट वाली फिल्मों की कमी बनी रहती है। ऐसे में पुरानी फिल्मों की फिर से रिलीज फिल्म इंडस्ट्री में एक नए मौके का रूप ले सकती है।भारत में पुराने हिंदी सिनेमा की वापसी एक अनोखा ट्रेंड बन चुका है। "सनम तेरी कसम" और "तुम्बाड" जैसी फिल्में सिनेमाघरों में दोबारा रिलीज होने के बाद अच्छी कमाई कर रही हैं। इसके पीछे सस्ती टिकटों, दर्शकों की पुरानी यादों और इन फिल्मों के बेहतरीन संगीत का योगदान है। इस नई दिशा ने फिल्म उद्योग को एक नया मोड़ दिया है, जिससे पुरानी फिल्मों को एक नया जीवन मिला है।