अब अंतरिक्ष में भी मिलेगा ताजा और स्वादिष्ट खाना, सुनीता विलियम्स को झेलनी पड़ी थी बहुत परेशानी

punjabkesari.in Tuesday, Apr 22, 2025 - 05:47 PM (IST)

नेशनल डेस्क : भारतीय मूल की अंतरिक्ष यात्री सुनीता विलियम्स हाल ही में 9 महीने बाद स्पेस मिशन से धरती पर लौटीं। उन्होंने बताया कि उन्हें अंतरिक्ष में सबसे ज़्यादा ताज़ा और स्वादिष्ट खाने की कमी महसूस हुई। लेकिन अब वैज्ञानिकों की नई खोज इस परेशानी को दूर कर सकती है।

यूरोपीय स्पेस एजेंसी (ESA) ऐसी तकनीक पर काम कर रही है, जिससे खाना स्पेस में ही लैब में उगाया और बनाया जा सकेगा। अगर यह प्रयोग सफल हुआ, तो आने वाले 2 साल में इंटरनेशनल स्पेस स्टेशन (ISS) पर एक मिनी फूड फैक्ट्री लगाई जाएगी। इसमें मसले हुए आलू से लेकर मिठाइयों तक सब कुछ वहीं तैयार होगा।

स्पेस में खाना बनाना क्यों ज़रूरी है?

अभी एक अंतरिक्ष यात्री को रोज़ खाना पहुंचाने में करीब 20 लाख रुपये खर्च होते हैं। और जब इंसानों को चंद्रमा या मंगल जैसे ग्रहों पर भेजा जाएगा, तो रोज़ रॉकेट से खाना भेजना नामुमकिन होगा। ऐसे में स्पेस में ही खाना बनाना सस्ता और ज़रूरी हो जाएगा।

क्या है लैब-ग्रोन फूड?

लैब-ग्रोन फूड मतलब ऐसा खाना जो टेस्ट ट्यूब और मशीनों में जैविक तकनीकों से तैयार किया जाता है। इसमें प्रोटीन, फैट और कार्बोहाइड्रेट्स जैसे पोषक तत्व बनाकर, उन्हें स्वादिष्ट व्यंजन में बदला जाता है।

स्पेस में कैसे बनेगा खाना?

फ्रंटियर स्पेस कंपनी और इम्पीरियल कॉलेज लंदन के वैज्ञानिकों ने एक छोटा बायोरिएक्टर अंतरिक्ष में भेजा है, जिसमें खास यीस्ट (खमीर) है। यह बायोरिएक्टर स्पेसX के फाल्कन 9 रॉकेट से पृथ्वी की कक्षा में गया और कुछ समय बाद वापस लाया गया।

सिर्फ सेहत नहीं, स्वाद भी ज़रूरी

वैज्ञानिकों का मानना है कि सिर्फ पोषक खाना काफी नहीं, बल्कि स्वाद और विविधता भी जरूरी है ताकि अंतरिक्ष यात्री खाना अच्छे मन से खा सकें।


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News Editor

Parveen Kumar

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