''हमारा लेना-देना नहीं'': भारत के रूस से रियायती दाम पर तेल खरीदने के मुद्दे पर जर्मनी
punjabkesari.in Wednesday, Feb 22, 2023 - 08:24 PM (IST)

नेशनल डेस्कः भारत द्वारा रूस से रियायती दर पर तेल खरीदने के मुद्दे पर जर्मनी रे राजदूत ने दो टूक जवाब दिया है। भारत में जर्मन के राजदूत फिलिप एकरमैन ने कहा कि रूस से सस्ती दरों पर कच्चा तेल खरीदने में कोई विरोधाभास नहीं है। एक सवाल के जवाब में उन्होंने कहा कि "भारत के रूस से तेल खरीदने से हमें कुछ लेना-देना नहीं है. यदि आप इसे कम कीमत पर प्राप्त करते हैं, तो मैं इसके लिए भारत को दोष नहीं दे सकता। एकरमैन की प्रतिक्रिया से समय आई है, जब जर्मन के चांसलर ओलाफ शोल्ज अगले हफ्ते भारत का दौरा करने वाले हैं। इससे पहले अमेरिका ने रूस से सस्ते दामों पर तेल खरीदने पर भारत के प्रति सधी हुई प्रतिक्रिया दी थी।
#WATCH | India buying oil from Russia is none of our business. If you get it at a low price, I can't blame India for it. India is an appropriate candidate to come up with a solution (to stop Russia- Ukraine war). India has skilled & good diplomacy: German Ambassador to India pic.twitter.com/0KuHHBZnII
— ANI (@ANI) February 22, 2023
बताते चलें कि भारत चीन और रूस के बाद दुनिया में कच्चे तेल का तीसरा सबसे बड़ा आयतक देश है। यूक्रेन पर हमले के बाद रूस को दंडित करने के लिए कई पश्चिमी देशों ने मॉस्को पर बैन लगा दिया था। पश्चिमी देशों के बैन के बावजूद भी भारत ने रूस के साथ रियायती दरों पर तेल खरीद जारी रखी और सऊदी अरब को पीछे छोड़ कच्चे तेल का का सबसे बड़ा निर्यातक बन गया। यूक्रेन से जंग के बीच, भारत के रूस से तेल खरीदने के फैसले के कई पश्चिमी देशों ने आलोचना की है लेकिन अपने रुख पर अडिग रहते हुए भारत ने साफ कहा है कि उसे जहां से अच्छी डील मिलेगी, वहां से तेल खरीदता रहेगा। रूस ने कहा है कि वह G7 और उनके सहयोगी देशों द्वारा घोषित रूसी तेल पर "प्राइस कैप (मूल्य सीमा)" का समर्थन नहीं करने के भारत के फैसले का स्वागत करता है।
गौरतलब है कि रूस से तेल आयात के मुद्दे पर पिछले साल दिसंबर में एक मीडिया ब्रीफिंग में जयशंकर ने कहा था कि यूरोप अपनी ऊर्जा ज़रूरतों को प्राथमिकता देते हुए भारत से इससे अलग अपेक्षा नहीं कर सकता। विदेश मंत्री ने ज़ोर देकर कहा कि भारत और रूस के बीच व्यापार बढ़ाने पर बातचीत यूक्रेन युद्ध शुरू होने से काफी पहले ही प्रारंभ हो गए थे। जयशंकर ने रूस से कच्चे तेल के आयात पर कहा था कि यह बाजार से जुड़े कारकों से प्रेरित हैं। उन्होंने कहा कि फरवरी से नवंबर तक यूरोपीय संघ ने रूस से अधिक मात्रा में जीवाश्म ईंधन का आयात किया है।
विदेश मंत्री जयशंकर ने कहा था, ‘‘ मैं समझता हूं कि संघर्ष की स्थिति (यूक्रेन में) है। मैं यह भी समझता हूं कि यूरोप का एक विचार है और यूरोप अपने विकल्प चुनेगा और यह यूरोप का अधिकार है। लेकिन यूरोप अपनी पसंद के अनुसार ऊर्जा जरूरतों को लेकर विकल्प चुने और फिर भारत को कुछ और करने के लिये कहे ।'' उन्होंने कहा कि पश्चिम एशिया से यूरोप द्वारा तेल खरीदने से भी दबाव पड़ा है।