दिल्ली बीजेपी शपथ ग्रहण समारोह में शामिल नहीं होंगे नीतीश कुमार, जानें वजह
punjabkesari.in Tuesday, Feb 18, 2025 - 08:17 PM (IST)
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नई दिल्ली: दिल्ली में बीजेपी सरकार के शपथ ग्रहण समारोह में बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार शामिल नहीं होंगे। 20 फरवरी को रामलीला मैदान में होने वाले इस शपथ ग्रहण कार्यक्रम में बिहार की जेडीयू पार्टी से संजय झा और ललन सिंह हिस्सा लेंगे। बताया जा रहा है कि नीतीश कुमार इस कार्यक्रम में अपनी अनुपस्थिति की वजह बिहार में चल रही प्रगति यात्रा को बता रहे हैं, जो राज्य के अलग-अलग जिलों में निकाली जा रही है।
संपूर्ण जानकारी के मुताबिक, नीतीश कुमार के इस कार्यक्रम में शामिल नहीं होने के बावजूद बिहार के दोनों डिप्टी सीएम सम्राट चौधरी और विजय सिन्हा शपथ ग्रहण समारोह में शामिल होंगे। सम्राट चौधरी और विजय सिन्हा दोनों ही बिहार बीजेपी के प्रमुख नेता हैं। इसी वजह से जेडीयू ने अपनी ओर से पार्टी के दो नेताओं को भेजने का निर्णय लिया है।
शपथ ग्रहण की तैयारियां शुरू
दिल्ली के ऐतिहासिक रामलीला मैदान में 20 फरवरी को बीजेपी सरकार के शपथ ग्रहण कार्यक्रम की तैयारियां तेज हो गई हैं। शपथ ग्रहण समारोह सुबह 11:30 बजे होगा और इसे बीजेपी का शक्ति प्रदर्शन माना जा रहा है। इस कार्यक्रम में बीजेपी शासित राज्यों के मुख्यमंत्री और एनडीए के अन्य प्रमुख नेता शामिल होंगे।
रामलीला मैदान को सजाया जा रहा है और वहां लगभग 30,000 लोग एक साथ शामिल हो सकते हैं। कार्यक्रम स्थल की सफाई और रंग-रोगन का काम भी जोरों पर चल रहा है। सोमवार को पार्टी कार्यकर्ताओं को मैदान और आसपास के फुटपाथ की सफाई करते देखा गया।
दिल्ली के नए मुख्यमंत्री के चेहरे पर चर्चा
दिल्ली में बीजेपी द्वारा सरकार बनाए जाने के बाद, नए मुख्यमंत्री के लिए कुछ नवनिर्वाचित विधायकों के नाम चर्चा में हैं। इनमें प्रवेश वर्मा शामिल हैं, जिन्होंने अरविंद केजरीवाल को हराया। इसके अलावा, दिल्ली बीजेपी के पूर्व अध्यक्ष विजेंद्र गुप्ता और सतीश उपाध्याय के साथ-साथ पवन शर्मा, आशीष सूद, रेखा गुप्ता और शिखा राय जैसे अन्य नेता भी इस पद के लिए माने जा रहे हैं।
बीजेपी ने 27 साल बाद दिल्ली में वापसी की
दिल्ली विधानसभा चुनाव 5 फरवरी को हुए थे, जिसमें बीजेपी ने 27 साल बाद दिल्ली में सत्ता हासिल की है। बीजेपी के शानदार प्रदर्शन के कारण आम आदमी पार्टी का 10 साल पुराना शासन समाप्त हो गया। आम आदमी पार्टी को इस चुनाव में केवल 22 सीटों पर ही संतोष करना पड़ा, जो उनकी बड़ी हार को दर्शाता है।