दिल्ली-एनसीआर का मौसम क्यों हुआ इतना उग्र? जानिए वैज्ञानिक वजहें
punjabkesari.in Thursday, Jun 12, 2025 - 11:54 AM (IST)

नेशनल डेस्क: दिल्ली-एनसीआर में मौसम का मिज़ाज हर साल और ज्यादा चरम रूप लेता जा रहा है। कभी तेज गर्मी, तो कभी बाढ़ जैसी बारिश और फिर हड्डी कंपा देने वाली सर्दी- मौसम अब सामान्य नहीं रह गया है। इस साल 11 जून को राजधानी में पारा 43.4 डिग्री सेल्सियस तक पहुंच गया, जबकि 'फील्स लाइक' टेम्परेचर 48.9 डिग्री रिकॉर्ड किया गया।
गर्मी क्यों हुई बर्दाश्त के बाहर?
विशेषज्ञों के अनुसार, दिल्ली की भीषण गर्मी के पीछे कई कारक हैं। जैसे कि वैश्विक तापमान में बढ़ोतरी की वजह से अब हीट वेव्स सामान्य से अधिक बार और तीव्रता से आ रही हैं। आईपीसीसी की रिपोर्ट भी इसी ओर इशारा करती है। वहीं, कंक्रीट के जंगल, वाहनों की अधिकता और हरियाली की कमी ने दिल्ली को 'हीट आइलैंड' में तब्दील कर दिया है, जहां तापमान ग्रामीण इलाकों की तुलना में ज़्यादा होता है। गर्मियों में बढ़ती नमी ‘फील्स लाइक’ टेम्परेचर को खतरनाक स्तर तक पहुंचा देती है। इस साल 70% ह्यूमिडिटी ने गर्मी को असहनीय बना दिया। मॉनसून में देरी से गर्मी का समय बढ़ जाता है। इस साल 2025 में भी यही हुआ, जिससे जून में तापमान रिकॉर्ड तोड़ स्तर तक गया।
क्यों बारिश बन रही बर्बादी का कारण?
मानसून के समय भारी बारिश अक्सर सड़कों को जलमग्न कर देती है। 2024 में एक दिन में 228 मिमी बारिश दर्ज हुई थी। दिल्ली का ड्रेनेज सिस्टम पुराने ढांचे पर आधारित है, जो तेज बारिश को संभाल नहीं पाता। अब बारिश नियमित नहीं बल्कि अचानक और तीव्र होती है। इससे अर्बन फ्लडिंग की घटनाएं बढ़ रही हैं। गरज-चमक के साथ होने वाली बारिश कभी-कभी 24 घंटे में 150 मिमी से ज्यादा पानी गिरा देती है, जिससे ट्रैफिक और जीवन अस्त-व्यस्त हो जाता है।
सर्दी क्यों हो रही है ज़्यादा सख्त?
साइबेरियाई हवाएं दिल्ली में शीतलहर लेकर आती हैं, जिससे पारा 1 डिग्री तक गिर जाता है। सर्दियों में धुंध और प्रदूषण विजिबिलिटी और तापमान दोनों पर असर डालते हैं। ऊंचे वायुमंडलीय दबाव से हवाएं थमती हैं, जिससे ठंड ज़्यादा महसूस होती है।
वैज्ञानिक कारण क्या हैं?
वैश्विक तापमान में वृद्धि की बड़ी वजह है CO₂ जैसी गैसों की बढ़ती मात्रा। ये जलवायु पैटर्न गर्मी, सर्दी और बारिश को सीधा प्रभावित करते हैं। वहीं, 2024 में एल नीनो के चलते गर्मी ज़्यादा पड़ी। जलवायु परिवर्तन के चलते मॉनसून अब अनियमित हो चुका है, जिससे कभी सूखा तो कभी बाढ़ की स्थिति बनती है।