नागपुर: शिक्षा विभाग में भ्रष्टाचार पर नितिन गडकरी ने जताई गंभीर चिंता, अमिताभ बच्चन के लिए कही खास बात, जानें
punjabkesari.in Saturday, Jul 12, 2025 - 08:53 PM (IST)

नेशनल डेस्क : केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी ने नागपुर में आयोजित एक कार्यक्रम के दौरान राजनीति, प्रशासनिक व्यवस्था और व्यक्तिगत जीवन में विनम्रता की अहमियत को लेकर बड़ा बयान दिया। उन्होंने कहा कि सत्ता, संपत्ति, ज्ञान और सौंदर्य जैसी चीजें अक्सर व्यक्ति में अहंकार पैदा कर देती हैं। जब यह अहंकार बढ़ता है, तो व्यक्ति सोचता है कि वह सबसे समझदार है और वही सोच दूसरों पर थोपने लगता है, लेकिन इस रवैये से कोई बड़ा नहीं बनता।
अमिताभ बच्चन की विनम्रता से सीखा सबक
गडकरी ने एक निजी अनुभव साझा करते हुए फिल्म अभिनेता अमिताभ बच्चन की विनम्रता की तारीफ की। उन्होंने कहा, "मैं एक कार्यक्रम में अमिताभ बच्चन के साथ मंच पर बैठा था। तभी एक छोटा लड़का और लड़की मंच पर आए। अमिताभ बच्चन तुरंत खड़े हो गए और हाथ जोड़कर उन्हें मंच पर बुलाया। मैं बैठा रहा, लेकिन कुछ क्षण बाद संकोचवश खड़ा हुआ। उस वक्त मुझे महसूस हुआ कि इतने बड़े अभिनेता की यह विनम्रता कितनी प्रेरणादायक है।"
"मैंने जो सोचा, वो किया" – बिना पोस्टर-बैनर के लड़ा चुनाव
गडकरी ने अपने हालिया लोकसभा चुनाव को लेकर कहा कि उन्होंने तय किया था कि इस बार वह कोई पोस्टर या बैनर नहीं लगाएंगे, न ही किसी को भोज पर बुलाएंगे और न ही जातिवादी राजनीति का सहारा लेंगे। उन्होंने कहा, "जिसे वोट देना है, दे; नहीं देना है, न दे। मैं अपने सिद्धांतों के साथ चुनाव लड़ा। जनता का फैसला ही सबसे अहम होता है।"
शिक्षा विभाग में भ्रष्टाचार पर बोले— “जेल भी जाते हैं अधिकारी”
गडकरी ने शिक्षा व्यवस्था में फैले भ्रष्टाचार को लेकर गंभीर चिंता जताई। उन्होंने कहा, "यहां टीचर्स को अप्रूवल के लिए पैसे देने पड़ते हैं। अपॉइंटमेंट के लिए भी पैसे मांगे जाते हैं। मैं जानता हूं कि शिक्षा विभाग के कुछ अधिकारी क्या-क्या करते हैं। इसलिए तो ऐसे लोग जेल भी जाते हैं।"
“गधे को घोड़ा कैसे बनाओगे, यही है असली परीक्षा”
कार्यक्रम के दौरान गडकरी ने कार्यक्षमता और दृष्टिकोण पर भी टिप्पणी की। उन्होंने कहा, "लोग पूछते हैं कि इतनी समस्याओं के बावजूद सड़कें कैसे बनती हैं? मैं उन्हें बताता हूं कि कुछ लोग समस्याओं को अवसर में बदल देते हैं, जबकि कुछ लोग अवसर को समस्या में बदल देते हैं। जब तुम्हें नौकरी मिली है, तो यह तुम्हारी परीक्षा है। सोचो कि गधे को घोड़ा कैसे बना सकते हो, यह मत सोचो कि वह गधा ही है और नहीं सुधर सकता— क्योंकि उसी को सुधारने के लिए तो तुम्हें बुलाया गया है।"