New Policy For EV: नई इलेक्ट्रिक व्हीकल पॉलिसी में बड़े बदलाव, EV इंपोर्ट ड्यूटी में बड़ी राहत

punjabkesari.in Friday, Feb 21, 2025 - 11:38 AM (IST)

नेशनल डेस्क: भारत सरकार ने इलेक्ट्रिक व्हीकल (EV) पॉलिसी में बड़े बदलावों की घोषणा की है, जिससे देश में इलेक्ट्रिक व्हीकल उद्योग को एक नई दिशा मिलने की संभावना है। विशेष रूप से विदेशी कंपनियों के लिए यह निर्णय बेहद महत्वपूर्ण है, क्योंकि इसमें उन कंपनियों को शुरुआत में सस्ती इंपोर्ट ड्यूटी का लाभ मिलेगा जो भारत में बड़े पैमाने पर निवेश करने का वादा करती हैं। आइए, जानते हैं इस नई पॉलिसी के बारे में विस्तार से।
भारत सरकार ने हाल ही में इलेक्ट्रिक व्हीकल पॉलिसी में बदलाव की तैयारी की है, जिसे "स्मेट पॉलिसी" कहा जाता है। यह पॉलिसी विशेष रूप से उन ग्लोबल कंपनियों को आकर्षित करने के लिए बनाई गई है, जो प्रीमियम क्वालिटी के इलेक्ट्रिक व्हीकल (EV) बनाने में माहिर हैं। सरकार की योजना यह है कि इन कंपनियों को भारत में निवेश करने के लिए आकर्षित किया जाए, ताकि देश में इलेक्ट्रिक वाहनों के निर्माण और चार्जिंग इंफ्रास्ट्रक्चर में तेजी से वृद्धि हो।

इंपोर्ट ड्यूटी में कमी 110% से घटकर 15% होने की संभावना

इस नई पॉलिसी के तहत, विदेशी कंपनियां जैसे टेस्ला और अन्य प्रमुख ग्लोबल वाहन निर्माता यदि भारत में कम से कम 500 अरब डॉलर का निवेश करने का वादा करती हैं, तो उन्हें शुरूआत में इलेक्ट्रिक व्हीकल्स पर बेहद कम इंपोर्ट ड्यूटी का फायदा मिलेगा। पहले जो कंपनियां अपनी गाड़ियां भारत में 110% इंपोर्ट ड्यूटी पर बेच रही थीं, अब उन्हें केवल 15% की इंपोर्ट ड्यूटी चुकानी होगी।

सरल शब्दों में, इस नीति के तहत अगर कोई कंपनी अपनी गाड़ियों का भारत में आयात करती है और एक निर्धारित निवेश का वादा करती है, तो वह इंपोर्ट ड्यूटी में बड़ी राहत का लाभ उठा सकेगी। यह कदम कंपनियों को भारत में उत्पादन शुरू करने के लिए प्रोत्साहित करेगा, जिससे लंबे समय में देश में इलेक्ट्रिक व्हीकल्स की उपलब्धता बढ़ेगी और रोजगार सृजन होगा।

भारत में निर्माण करने पर क्या होंगे लाभ?

इस नीति में एक और महत्वपूर्ण पहलू है – यदि कंपनियां अपने EV का निर्माण भारत में करती हैं तो उन्हें शुरूआत में इनाम के रूप में इंपोर्ट ड्यूटी में छूट मिलेगी। उदाहरण के लिए, टेस्ला जैसी कंपनी, जो भारतीय बाजार में बड़े पैमाने पर निवेश करने का वादा करती है, उसे पांच साल में लगभग 40,000 गाड़ियों पर 15% इंपोर्ट ड्यूटी का लाभ मिलेगा। इसका मतलब यह है कि वह अपनी गाड़ियों को भारत में बहुत ही कम कीमत पर बेच पाएंगी।

इसके अलावा, कंपनियों को चार्जिंग इन्फ्रास्ट्रक्चर पर भी छूट मिलने की संभावना है। चार्जिंग प्वाइंट्स के निर्माण में 5% की राहत दी जा सकती है, जिससे इलेक्ट्रिक व्हीकल्स के लिए चार्जिंग नेटवर्क भी तेज़ी से बढ़ेगा।

क्या टेस्ला को इस योजना में रुचि होगी?

हालांकि अब तक टेस्ला ने इस नीति में खास रुचि नहीं दिखाई है, लेकिन यूरोपीय और कोरियाई कंपनियों ने इसमें दिलचस्पी दिखायी है। इसके अलावा, वियतनाम की प्रमुख इलेक्ट्रिक व्हीकल कंपनी "विनफास्ट" ने भी इस पॉलिसी में अपनी रुचि व्यक्त की है। यदि ये कंपनियां भारत में निवेश करती हैं, तो इससे भारतीय बाजार में इलेक्ट्रिक व्हीकल्स की उपलब्धता में बढ़ोतरी होगी और नए रोजगार के अवसर भी पैदा होंगे।

भारत में निवेश के लिए क्या शर्तें होंगी?

इस योजना के तहत, कंपनियों को पॉलिसी का लाभ उठाने के लिए कुछ शर्तों का पालन करना होगा। सबसे पहले, कंपनियों को एक आवेदन दाखिल करना होगा, जिसमें यह सुनिश्चित किया जाएगा कि वे पहले से ही भारत में मैन्युफैक्चरिंग शुरू करने के लिए तैयार हैं। इसके साथ ही, उन्हें चार्जिंग इंफ्रास्ट्रक्चर के निर्माण पर भी ध्यान देना होगा। कंपनियों को इस योजना में शामिल होने के लिए 120 दिनों के भीतर आवेदन करना होगा, और यह मौका हर कुछ महीनों में फिर से मिल सकता है।

क्या होगा अगला कदम?

आखिरकार, सरकार इस नीति को एक-दो महीनों के भीतर नोटिफाई करने की योजना बना रही है। इसके बाद कंपनियों को पॉलिसी का लाभ उठाने के लिए लगभग 4 महीनों का समय मिलेगा। यह नीति कंपनियों को भारत में निवेश करने के लिए प्रेरित करेगी, जिससे देश में इलेक्ट्रिक व्हीकल्स की संख्या में वृद्धि होगी।

भारत में EV क्षेत्र का भविष्य

इस नीति के साथ, सरकार भारत को एक प्रमुख इलेक्ट्रिक व्हीकल हब बनाने की दिशा में बढ़ रही है। आने वाले समय में इलेक्ट्रिक व्हीकल्स के उत्पादन और उपयोग में वृद्धि होने की संभावना है, और इस क्षेत्र में बड़े बदलाव देखने को मिल सकते हैं। सरकार की यह पहल देश के पर्यावरण को साफ और हरा-भरा बनाने में मदद करेगी, साथ ही रोजगार सृजन और आर्थिक वृद्धि के लिए भी महत्वपूर्ण होगी।
 


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Content Editor

Ashutosh Chaubey

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