किसानों और सरकार के बीच सातवें दौर की बैठक बेनतीजा, अगली वार्ता 8 जनवरी को

punjabkesari.in Monday, Jan 04, 2021 - 06:11 PM (IST)

नेशनल डेस्कः नए कृषि कानून पर किसानों और सरकार के बीच 7वें दौर की बातचीत खत्म हो गई है। बातचीत में आज भी कोई हल नहीं निकल सका है। किसान नए कृषि कानूनों को वापस लेने की मांग पर अड़े हुए हैं। वहीं, सरकार इन कानूनों में संशोधन करने की बात कह रही है। बैठक के बाद कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने मीडिया को संबोधित करते हुए कहा कि हम एमएसपी पर सारी बातें मानने को तैयार हैं। किसानों से उन्होंने कहा कि आप बातचीत करें और अपनी मांगें रखें। किसान संगठनों और सरकार के बीच अब अगली बैठक 8 जनवरी को होगी।

बैठक में हिस्सा ले रहे भारतीय किसान यूनियन के नेता राकेश टिकैत ने कहा कि मुख्य रूप से तीन कानूनों के संबंध में चर्चा हुई। उन्होंने कहा, ‘‘ हमारी मांग इन कानूनों को निरस्त करने की है। हम समिति गठित करने जैसे किसी अन्य विकल्प पर सहमत नहीं होंगे।'' यह पूछे जाने पर कि क्या बैठक में कोई ठोस परिणाम निकलेगा, टिकैत ने कहा, ‘‘ मैं नहीं समझता। विरोध प्रदर्शन समाप्त करने और हमारे घरों को लौटने के लिये उन्हें कानून को वापस लेना होगा।''

पंजाब, हरियाणा और पश्चिमी उत्तर प्रदेश से हजारों की संख्या में किसान कृषि संबंधी तीन कानूनों को वापस लेने की मांग को लेकर पिछले एक महीने से अधिक समय से दिल्ली की सीमा पर विरोध प्रदर्शन कर रहे हैं राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र के आसपास प्रदर्शन स्थल पर भारी बारिश और जलजमाव एवं जबर्दस्त ठंड के बावजूद किसान डटे हुए हैं। टिकैत ने कहा कि बातचीत अभी जारी है और एमएसनी को कानून वैधता देने के दूसरे एजेंडे पर अभी चर्चा नहीं हुई है।

एक अन्य संगठन महिला किसान अधिकार मंच की प्रतिनिधि कविता कुरूंगटी ने कहा, ‘‘ गतिरोध जारी है क्योंकि सरकार कानून के फायदे के बारे में चर्चा कर रही है और हम इन कानूनों को निरस्त करने को कह रहे हैं।'' भोजनावकाश के दौरान उन्होंने कहा कि एमएसपी पर अभी चर्चा नहीं हुई है।

गौरतलब है कि ये कानून सितबर 2020 में लागू हुए और सरकार ने इसे महत्वपूर्ण कृषि सुधार के रूप में पेश किया और किसानों की आमदनी बढ़ाने वाला बताया। बैठक के दौरान सरकार ने तीनों कृषि कानूनों के फायदे गिनाये जबकि किसान संगठन इन कानूनों को वापस लेने पर जोर देते रहे ताकि नये कानून के बारे में उन आशंकाओं को दूर किया जा सके कि इससे एमएसपी और मंडी प्रणाली कमजोर होगा और वे बड़े कारपोरेट घरानों की दया पर होंगे।


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Yaspal

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