दुनिया के वो 15 मुस्लिम देश जहां हिजाब और बुर्कों पर है प्रतिबंध, भारत में क्यों मचा है बवाल?

punjabkesari.in Thursday, Feb 17, 2022 - 11:24 AM (IST)

नेशनल डेस्क: कर्नाटक में मुस्लिम छात्राओं को स्कूलों और कॉलेजों में हिजाब पहनकर एंट्री को बैन करने पर बवाल मचा हुआ है। मामला ज्यादा न बढ़े इसलिए राज्य सरकार ने स्कूलों और कॉलेजों में ड्रेस कोड भी लागू कर दिया है। बावजूद इसके विवाद बढ़ता जा रहा है। हिजाब मामले में राजनीतिक पार्टियां भी दो धड़े में बंट चुकी है। एक ओर जहां कांग्रेस हिजाब के बैन के पक्ष में नहीं है, वहीं, भाजपा हिजाब को बैन करने के पक्ष है। ऐसे में आपको बता रहे हैं हिजाब को लेकर मुस्लिम बाहुल्य सहित अन्य देशों में क्या नियम है।

फांस
11 अप्रैल 2011 को फ्रांस सार्वजनिक स्थानों पर पूरे चेहरे को ढकने वाले इस्लामी नकाब पर प्रतिबंध लगाने वाला पहला यूरोपीय देश बना था। इस प्रतिबंध के तहत कोई भी महिला फिर वो फ्रांसिस हो या विदेशी, घर के बाहर पूरा चेहरा ढककर नहीं जा सकती थी। नियम के उल्लंघन पर जुर्माने का प्रावधान किया गया।

नीदरलैंड्स
नवंबर 2016 में नीदरलैंड्स के सांसदों ने स्कूल-अस्पतालों जैसे सार्वजनिक स्थलों और सार्वजनिक परिवहन में सफर के दौरान पूरा चेहरा ढकने वाले इस्लामिक नकाबों पर रोक का समर्थन किया। हालांकि, इस प्रतिबंध को कानून बनने के लिए बिल का संसद में पास होना जरूरी था। आखिरकार जून 2018 में नीदरलैंड्स ने चेहरा ढकने पर प्रतिबंध लगाया।

इटली
इटली के कुछ शहरों में चेहरा ढकने वाले नकाबों पर प्रतिबंध है। इसमें नोवारा शहर भी शामिल है। इटली के लोंबार्डी क्षेत्र में दिसंबर 2015 में बुर्क़ा पर प्रतिबंध को लेकर सहमति बनी और ये जनवरी 2016 से लागू हुआ था, हालांकि ये नियम पूरे देश में लागू नहीं है।

जर्मनी
6 दिसंबर 2016 को जर्मनी की चांसलर एंगेला मर्केल ने कहा कि देश में जहां कहीं भी कानूनी रूप से संभव हो, पूरा चेहरा ढकने वाले नकाबों पर प्रतिबंध लगाया जाना चाहिए। हालांकि, जर्मनी में अभी तक ऐसा कोई कानून नहीं है, लेकिन ड्राइविंग के दौरान यहां पूरा चेहरा ढकना गैर-कानूनी है।

नॉर्वे और ऑस्ट्रिया
नॉर्वे में जून 2018 में पारित एक कानून के तहत शिक्षण संस्थानों में चेहरा ढकने वाले कपड़े पहनने पर रोक है। अक्टूबर 2017 में ऑस्ट्रिया में स्कूलों और अदालतों जैसे सार्वजनिक स्थानों पर चेहरा ढकने पर प्रतिबंध लगा दिया गया था।

स्पेन व ब्रिटेन
यूं तो स्पेन में राष्ट्रीय स्तर पर प्रतिबंध की कोई योजना नहीं है, लेकिन साल 2010 में इसके बार्सिलोना शहर में नगर निगम कार्यालय, बाजार और पुस्तकालय जैसे कुछ सार्वजनिक जगहों पर पूरा चेहरा ढकने वाले इस्लामिक नकाबों पर प्रतिबंध की घोषणा की गई थी। ब्रिटेन में इस्लामिक पोशाक़ पर कोई रोक नहीं है लेकिन वहां स्कूलों को अपना ड्रेस कोड ख़ुद तय करने की इजाजत है। अगस्त 2016 में हुए एक पोल में 57 प्रतिशत ब्रिटेन की जनता ने यूके में बुर्का प्रतिबंध के पक्ष में मत जाहिर किया था।

तुर्की और अफ्रीका
तुर्की  इस मुद्दे पर देश की मुस्लिम बहुल आबादी की अलग-अलग राय देखने को मिलती है। साल 2008 में तुर्की के संविधान में संशोधन कर के विश्वविद्यालयों में सख्त प्रतिबंधों में थोड़ी छूट दी गई। अफ्रीका में  साल 2015 में बुर्काधारी महिलाओं ने कई बड़े आत्मघाती धमाकों को अंजाम दिया। इसके बाद चाड, कैमरून के उत्तरी क्षेत्र, नीजेर के कुछ क्षेत्रों और डेमोक्रेटिक रिपब्लिक ऑफ कॉन्गो में पूरा चेहरा ढकने पर रोक लगा दी गई थी।

डेनमार्क
डेनमार्क की संसद ने 2018 में नकाब और बुर्के पर रोक को मंजूरी दी थी। डेनमार्क की संसद ने 2018 में पूरा चेहरा ढकने वालों के लिए जुर्माने का प्रावधान करने के बिल को मंजूरी दी थी। इस कानून के मुताबिक अगर कोई व्यक्ति दूसरी बार इस पाबंदी का उल्लंघन करता पाया जाएगा तो उस पर पहली बार के मुकाबले 10 गुना अधिक जुर्माना लगाया जाएगा।

रूस व स्विट्जरलैंड
रूस के स्वातरोपोल क्षेत्र में हिजाब पहनने पर रोक है. रूस में ये इस तरह का पहला प्रतिबंध है। जुलाई 2013 में रूस की सुप्रीम कोर्ट ने इस फ़ैसले को बरकरार रखा था। सितंबर 2013 में स्विट्जरलैंड के तिसिनो में 65 प्रतिशत लोगों ने किसी भी समुदाय द्वारा सार्वजनिक स्थलों में चेहरा ढकने पर प्रतिबंध के समर्थन में वोट किया।

बुल्गारिया व श्रीलंका
अक्टूबर 2016 में बुल्गारिया की संसद ने एक विधेयक को पारित किया जिसके मुताबिक, जो महिलाएं सार्वजनिक जगहों पर चेहरा ढकती हैं उनपर जुर्माना लगाया जाए या फिर उन्हें मिलने वाली सुविधाओं में कटौती की जाए। इटली और श्रीलंका में भी बुरका या हिजाब पहनने पर रोक है। यहां पर अगर कोई भी महिला बुर्का पहनती है तो उस पर कानूनी कार्रवाई की जाती है।
 


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Content Writer

Anil dev

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