दुनिया में बढ़ते हुए परमाणु हथियार पर नॉर्वेजियन संस्था ने जताई चिंता,  9 देशों के पास है घातक भंडार

punjabkesari.in Wednesday, Apr 13, 2022 - 01:08 PM (IST)

नेशनल डेस्क: नॉर्वेजियन परमाणु निगरानी संस्था परमाणु हथियार प्रतिबंध मॉनिटर ने विश्व में बढ़ते हुए परमाणु हथियारों के भंडार को लेकर चिंता जताई है। संस्था का दावा है कि दुनिया के 9 परमाणु-सशस्त्र देशों के पास 2022 की शुरुआत में 12,705 परमाणु हथियारों का संयुक्त शस्त्रागार था। इनमें 9440 हथियार लगभग 1 लाख 38 हजार हिरोशिमा बमों के बराबर है जिन्हें वर्तमान में सशस्त्र देशों के द्वारा मिसाइलों, विमानों, पनडुब्बियों और जहाजों के माध्यम से उपयोग कया जा सकता है। इसके अलावा अनुमानित 3,265 कंडम हुए पुराने परमाणु हथियार रूस, यूनाइटेड किंगडम और संयुक्त राज्य अमेरिका में निष्क्रिय किए जाने की कतार में हैं।

इस वजह से कम होती है हथियारों की संख्या
संयुक्त राज्य अमेरिका का उपयोग करने योग्य परमाणु हथियारों का भंडार 2019 में थोड़ा बढ़ा है, लेकिन 2020 और 2021 में फिर से गिरावट आई, जबकि फ्रांस और इजरायल के भंडार स्थिर रहे। दुनिया में परमाणु हथियारों की कुल संख्या 2021 में थोड़ी कम होती रही, चूंकि अमेरिका और रूस हर साल अपने कंडम हुए पुराने परमाणु हथियारों की एक छोटी संख्या को नष्ट कर देते हैं। हालांकि उपयोग के लिए उपलब्ध परमाणु हथियारों की संख्या में कोई समानांतर और निरंतर क्रमिक कमी नहीं हुई है। फेडरेशन ऑफ अमेरिकन साइंटिस्ट्स के मैट कोर्डा ने कहा है कि 2007 के आसपास वैश्विक उपयोग योग्य भंडार में कमी की गति धीमी हो गई।

परमाणु निरस्त्रीकरण पर सहमति
वास्तव में वैश्विक प्रयोग करने योग्य भंडार में परमाणु हथियारों की संख्या 2017 में अपने सबसे निचले बिंदु के बाद से फिर से बढ़ना शुरू हो गई है। जानकारों का कहना है कि शीत-युद्ध के समय के कंडम परमाणु हथियारों को नष्ट करना जल्द ही वैश्विक परमाणु सूची को कम करने के लिए कार्रवाई का तब तक काफी नहीं होगा जब तक परमाणु निरस्त्रीकरण में कोई प्रगति नहीं होगी। नॉर्वेजियन परमाणु निगरानी संस्था की माने तो परमाणु-सशस्त्र राज्यों को इस बात पर सहमति बनानी होगी कि उनके वर्तमान उपयोग योग्य परमाणु हथियार भंडार आवश्यक नहीं हैं।

परमाणु हथियार प्रतिबंध मॉनिटर का काम
परमाणु हथियार प्रतिबंध मॉनिटर यह भी निष्कर्ष निकालता है कि 2021 में परमाणु हथियारों के निषेध संधि (टीपीएनडब्ल्यू) के साथ जुड़ाव बढ़ रहा था, जो 2021 में लागू हुआ और जिसे दुनिया में परमाणु हथियारों के स्थायित्व के प्रतिरोध के लिए एक राजनीति वाहन के रूप में देखा जाता है। परमाणु हथियार प्रतिबंध मॉनिटर बिना परमाणु हथियारों की दुनिया की प्रगति को ट्रैक करता है और परमाणु निरस्त्रीकरण की प्रमुख चुनौतियों का विश्लेषण करता है। मॉनिटर इस बात का भी मूल्यांकन करता है कि सभी देश चाहे वे टीपीएनडब्ल्यू द्वारा बाध्य होने के लिए सहमत हों संधि के अनुसार कार्य करें। यह पाया गया कि कुल 153 देशों (वैश्विक कुल के लगभग 78%) के 2021 में आचरण संधि के साथ पूरी तरह से संगत था।

 9 देशों के पास ही क्यों हैं परमाणु हथियार
1970 में 190 देशों के बीच परमाणु हथियारों की संख्या सीमित करने के लिए एक संधि लागू हुई जिसका नाम परमाणु अप्रसार संधि या एनपीटी है। अमेरिका, रूस, ब्रिटेन, फ़्रांस और चीन भी इसमें शामिल हैं। मगर भारत, पाकिस्तान और इजरायल ने इस पर कभी हस्ताक्षर नहीं किए और उत्तर कोरिया 2003 में इससे अलग हो गया। इस संधि के तहत केवल पांच देशों को परमाणु हथियार संपन्न देश माना गया जिन्होंने संधि के अस्तित्व में आने के लिए तय किए गए वर्ष 1967 से पहले ही परमाणु हथियारों का परीक्षण कर लिया था। इनमें अमेरिका, रूस, फ़्रांस, ब्रिटेन और चीन शामिल थे।

अन्य देशों पर परमाणु हथियारों पर प्रतिबंध
संधि में कहा गया कि ये देश हमेशा के लिए अपने हथियारों का संग्रह नहीं रख सकते यानी उन्हें इन्हें कम करते जाना होगा। साथ ही इन देशों के अलावा जितने भी देश हैं उनपर परमाणु हथियारों के बनाने पर रोक भी लगा दी गई। इस संधि के बाद अमेरिका, ब्रिटेन और रूस ने अपने हथियारों की संख्या में कटौती की। मगर बताया जाता है कि फ़्रांस और इजरायल के हथियारों की संख्या लगभग जस की तस रही। वहीं भारत, पाकिस्तान, चीन और उत्तर कोरिया के बारे में फैडरेशन ऑफ अमेरिकन साइंटिस्ट ने कहा कि ये देश अपने परमाणु हथियारों की संख्या बढ़ाते जा रहे हैं।
 


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Content Writer

Anil dev

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