22 बच्चों को राष्ट्रीय बाल वीरता पुरस्कार: मिलिए जांबाज बालवीरों से...जिनकी बहादुरी से बची कईयों की
punjabkesari.in Wednesday, Jan 22, 2020 - 01:54 PM (IST)
नई दिल्ली: इस साल भारतीय बाल कल्याण परिषद ने वीरता पुरस्कारों के लिए 22 बच्चों को चुना है। वीरता पुरस्कारों के लिए चुने गए हर बच्चे की कहानी प्रेरणा देने वाली है। किसी ने दोस्तों को बचाने में अपनी जान गंवा दी तो किसी ने हादसे में पूरे परिवार को बचा लिया। राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने बुधवार को इन बच्चों से मुलाकात की और उनके पुरस्कारों से नवाजा। वीरता पुरस्कारों के लिए चुने गए 22 बच्चों में से 10 लड़कियां और 12 लड़के शामिल हैं। कई बच्चों को मरणोपरांत यह वीरता पुरस्कार मिल रहा है। अपने बच्चों की बहादुरी की कहानी बताते हुए कई पैरेंट्स भावुक हो गए।
Watch LIVE as President Kovind presents Pradhan Mantri Rashtriya Bal Puraskar, 2020 at Rashtrapati Bhavan https://t.co/CZpWzEDSmc
— President of India (@rashtrapatibhvn) January 22, 2020
आइए जानते हैं इन बहादुर बच्चों के बारे में
- केरल के कोझीकोड के रहने वाले मुहम्मद मुहसिन ने समुद्र में बहते अपने दोस्तों को बचाने के लिए जान गंवा दी। मुहम्मद मुहसिन को मरणोपरांत वीरता पुरस्कार के लिए चुना गया है।
- हिमाचल प्रदेश की महज 13 साल की अलाइका ने अपने माता-पिता और दादा की जान बचाई थी। अलाइका की मां सविता ने बताया कि वे लोग एक बर्थडे पार्टी में जा रहे थे। पालमपुर के पास उनकी कार अचानक खाई में जाने लगी लेकिन किस्मत अच्छी थी कि एक पेड़ के तने से टकराकर वह रुक गई। इस हादसे के बाद सबसे पहले अलाइका होश में आई और उसने लोगों को मदद के लिए बुलाया। यदि वह न होती तो आज हम जिंदा न होते।
- बीते साल 1 मई को 15 साल का आदित्य केरल के 42 अन्य पर्यटकों के साथ नेपाल की यात्रा कर वापिस लौट रहा था। भारतीय सीमा से करीब 50 किलोमीटर पहले बस में आग लग गई।आग लगते ही ड्राइवर मौके से फरार हो गया। 5 बच्चों और कुछ बुजुर्गों समेत तमाम यात्री बस में बदहवास पड़े थे। बस के दरवाजे बंद थे। इसी बीच आदित्य ने हथौड़े से बस का पिछला शीशा तोड़ दिया। बस में कांच के टुकड़े बिखरे हुए थे, जो उसके हाथ और पैरों में चुभ गए। आदित्य की समझदारी और वीरता के चलते बस के डीजल टैंक के फटने से पहले सभी यात्री बाहर निकल पाए।
- कश्मीर के कुपवाड़ा जिले के चौकीबल और तुमिना में पाकिस्तान ने पिछले साल 24 अक्तूबर में फायरिंग की। उस दौरान 16 साल का मुगल घर पर ही था। तभी पाकिस्तान की तरफ से एक गोला आकर उसके घर की पहली मंजिल पर गिरा। मुगल झट से घर से बाहर निकल आया। तभी उसे ध्यान आया कि उसके मां-बाप और दोनों बहनें घर के अंदर ही हैं। मुगल तुरंत घर के अंदर आया और मकान ढहने से पहले उसने सभी को सुरक्षित बाहर निकाला।
- 27 फरवरी, 2019 को भारतीय वायुसेना का MI-17 हेलिकॉप्टर क्रैश हो गया था। बडगाम में हुए इस हादसे के बाद मौके पर पहुंचने वाले लोगों में 18 साल का अशरफ भी था। अशरफ ने देखा कि मलबे में दबा एक व्यक्ति जिंदा है। इसके बाद उसने अपनी जान पर खेलकर उस घायल शख्स को बाहर निकाला हालांकि उनकी जान नहीं बच सकी।
- सौम्यदीप ने आतंकवादियों के हमले के दौरान मां और बहन को बचाया। इस दौरान सौम्यदीप को भी गोलियां लगीं और वह करीब 6 महीने से ज्यादा समय तक अस्पताल में रहा। सौम्यदीप आज भी व्हीलचेयर पर चलने को मजबूर है।
बहादुरी पुरस्कार पाने वालों में ये बच्चे भी शामिल
पुरस्कार पाने वाले अन्य बच्चों में असम के मास्टर कमल कृष्ण दास, छत्तीसगढ़ की कांति पैकरा और वर्णेश्वरी निर्मलकर, कर्नाटक की आरती किरण सेठ औरवेंकटेश, केरल के फतह पीके, महाराष्ट्र की जेन सदावर्ते और आकाश मछींद्र खिल्लारे भी शामिल है। इसके अलावा मिजोरम के तीन बच्चों और मणिपुर व मेघालय से एक-एक बच्चों को वीरता पुरस्कार के लिए चुना गया है।