Sunita Williams जैसे क्रू-मेंबर्स पर NASA करता है भारी खर्च, यहां जानें खाने से लेकर जिम और मेडिकल किट तक का पूरा हिसाब
punjabkesari.in Wednesday, Mar 19, 2025 - 09:00 AM (IST)

नेशनल डेस्क। महान अंतरिक्ष यात्री सुनीता विलियम्स जिन्होंने इंटरनेशनल स्पेस स्टेशन (ISS) पर 314 दिन बिताए आज सुबह 3.26 मिनट पर धरती पर सुरक्षित वापस लौट आईं। उनका ड्रैगन कैप्सूल अमेरिका के फ्लोरिडा के पास समुद्र में लैंड हुआ। सुनीता विलियम्स की स्पेस यात्रा सामान्य रूप से 9 से 14 दिनों के लिए थी लेकिन उनके बोइंग अंतरिक्ष यान में तकनीकी खराबी आने के बाद नासा ने इस यान का इस्तेमाल न करने का निर्णय लिया। इसके बाद नासा ने एलन मस्क की कंपनी स्पेस एक्स की मदद से उनकी सुरक्षित वापसी का रास्ता तैयार किया।
इंटरनेशनल स्पेस स्टेशन का सालाना बजट
नासा अपने एस्ट्रोनॉट्स को अंतरिक्ष में सबसे बेहतरीन सुविधाएं प्रदान करता है और इसके लिए इंटरनेशनल स्पेस स्टेशन का सालाना बजट 3 बिलियन डॉलर यानी भारतीय मुद्रा में लगभग 25,965 करोड़ रुपए रखा गया है। यह बजट नासा के ह्यूमन स्पेस मिशन का लगभग एक तिहाई हिस्सा है। इस बजट का अधिकांश हिस्सा अंतरिक्ष यान की देखभाल, टॉयलेट और लाइफ सपोर्ट सिस्टम्स पर खर्च होता है।
इंटरनेशनल स्पेस स्टेशन का खर्च
ISS पर बहुत सी ऐसी सुविधाएं हैं जिन पर नासा भारी खर्च करता है। अंतरिक्ष स्टेशन में एक खास प्रकार का टॉयलेट है जो यूरिन (मूत्र) को रिफाइन करके पानी में बदल सकता है। इसका मतलब यह है कि अंतरिक्ष यात्री अपना यूरिन और पसीना रिफाइन कर पीने योग्य पानी बना सकते हैं। साथ ही पानी के अणुओं को तोड़कर हाइड्रोजन और ऑक्सीजन अलग की जाती है ताकि ISS में ऑक्सीजन की आपूर्ति हो सके। इस सबके लिए नासा हर साल लगभग 35 करोड़ रुपए खर्च करता है।
खाने, मेडिकल किट और जिम पर खर्च
ISS पर अंतरिक्ष यात्री के खाने, मेडिकल किट और जिम के लिए भी भारी खर्च किया जाता है। हर दिन इन चीजों पर 22,500 डॉलर (लगभग 19.47 लाख रुपए) खर्च होते हैं जो सालाना करीब 71 करोड़ रुपए तक पहुँच जाता है। अंतरिक्ष यात्री का स्वास्थ्य बनाए रखने के लिए ISS पर एक जिम भी बनाई गई है। इसके अलावा अंतरिक्ष यात्री के लिए खास प्रकार का खाना पृथ्वी से अंतरिक्ष यान के जरिए भेजा जाता है ताकि उन्हें आवश्यक पोषण मिल सके।
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इस तरह अंतरिक्ष स्टेशन का संचालन और अंतरिक्ष यात्री की देखभाल के लिए नासा हर साल भारी रकम खर्च करता है जिससे अंतरिक्ष मिशनों को सफलतापूर्वक चलाना संभव हो पाता है।