'क्या-क्या ठोकना है, हम ठीक से ठोकेंगे', खड़गे के इस बयान पर अब नड्डा ने किया पलटवार
punjabkesari.in Tuesday, Mar 11, 2025 - 02:18 PM (IST)

नेशनल डेस्क: राज्यसभा में मंगलवार को भारी हंगामा देखने को मिला जब नेता विपक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे और केंद्रीय मंत्री धर्मेंद्र प्रधान के बयान को लेकर बहस छिड़ गई। खड़गे के एक बयान पर सत्ता पक्ष ने आपत्ति जताई, जिसके बाद राज्यसभा में नेता सदन जेपी नड्डा ने इसे अति निंदनीय बताते हुए माफी की मांग की। हालांकि खड़गे ने कहा कि उनकी बातों को गलत तरीके से प्रस्तुत किया जा रहा है और वे सरकार की नीतियों की आलोचना कर रहे थे, न कि आसन के लिए कोई अनुचित शब्द कहे थे।
क्या कहा खड़गे ने?
मंगलवार को राज्यसभा में नई शिक्षा नीति को लेकर बहस चल रही थी। इस दौरान विपक्ष के नेता मल्लिकार्जुन खड़गे ने केंद्रीय मंत्री धर्मेंद्र प्रधान के बयान की आलोचना की और जब उन्हें बोलने से रोका गया तो उन्होंने कहा, "यहां तानाशाही चल रही है।" इसके बाद जब उपसभापति हरिवंश ने उन्हें फिर से रोकने का प्रयास किया तो खड़गे ने कहा, "क्या-क्या ठोकना है हम ठीक से ठोकेंगे, सरकार को ठोकेंगे।" बस यही बयान सत्ता पक्ष को नागवार गुजरा और इसके बाद राज्यसभा में हंगामा शुरू हो गया।
जेपी नड्डा ने किया कड़ा पलटवार
खड़गे के बयान पर तुरंत प्रतिक्रिया देते हुए राज्यसभा में नेता सदन जेपी नड्डा ने कहा कि इस तरह की भाषा निंदनीय है और इसे सदन की कार्यवाही से हटाया जाना चाहिए। उन्होंने कहा कि नेता विपक्ष की ओर से आसन के लिए इस तरह की भाषा किसी भी रूप में स्वीकार नहीं है और उन्हें इसके लिए माफी मांगनी चाहिए। नड्डा के इस बयान का सत्ता पक्ष के सांसदों ने जोरदार समर्थन किया और सदन में नारेबाजी शुरू हो गई।
खड़गे ने दी सफाई, फिर भी कायम रहा विवाद
बढ़ते विवाद को देखते हुए खड़गे ने स्पष्टीकरण दिया। उन्होंने कहा, "मैंने आसन के लिए इस तरह के शब्दों का इस्तेमाल नहीं किया। अगर उपसभापति को मेरी बातों से ठेस पहुंची है तो मैं माफी मांगता हूं। लेकिन मैं सरकार की नीतियों की आलोचना कर रहा था, न कि किसी व्यक्ति विशेष को ठोकने की बात कही थी। मैं सरकार से माफी नहीं मांगूंगा।"
खड़गे ने मांगा धर्मेंद्र प्रधान का इस्तीफा
खड़गे ने आगे कहा कि तमिलनाडु की जनता को असभ्य कहने वाले मंत्री धर्मेंद्र प्रधान को इस्तीफा देना चाहिए। उन्होंने कहा, "अगर कोई मंत्री किसी राज्य की जनता को असभ्य कहेगा, उनके स्वाभिमान को ठेस पहुंचाएगा, तो ऐसे मंत्री को पद पर रहने का कोई हक नहीं है।"
बढ़ता विवाद और सदन में हंगामा
जेपी नड्डा ने खड़गे की माफी को स्वीकार करते हुए कहा कि यदि उन्होंने सरकार की नीतियों को ठोकने की बात कही थी, तो यह भी अनुचित भाषा है और इसे सदन की कार्यवाही से हटाना चाहिए। इसके बाद सदन में शोर-शराबा कम हुआ और आगे की कार्यवाही शुरू हुई।बाद में कांग्रेस सांसद दिग्विजय सिंह और बीजेपी सांसद घनश्याम तिवारी ने शिक्षा मंत्रालय के कामकाज से जुड़े मुद्दे पर चर्चा की। यह मुद्दा तब और गरमाया जब धर्मेंद्र प्रधान ने डीएमके को असभ्य और अलोकतांत्रिक पार्टी बताया, जिसके बाद डीएमके नेताओं ने भी जोरदार विरोध किया।