सदियों से मौजूद इस चमत्कारी दरगाह को न हिला पाई सुनामी, न डुबा सका बाढ़ का पानी

punjabkesari.in Thursday, Apr 28, 2016 - 08:32 PM (IST)

जालंधर: भारत जिसे कि धार्मिक व सांस्कृतिक देश भी कहा जाता है जहां कई धर्म, जाति आदि से संंबंधित लोग रहते हैं। यहां हर एक को समान अधिकार हैं लेकिन आज भी हमारे देश में कुछ ऐसी जगह हैं, जहां महिलाओं का जाना वर्जित है। हाजी अली दरगाह में महिलाओं के प्रवेश को लेकर विवाद गर्माता जा रहा हैं। भूमाता ब्रिगेड की प्रेसिडेंट तृप्ति देसाई दरगाह में प्रवेश का प्रयास कर रही हैं, लेकिन क्या आपको मालूम है कि हाजी अली दरगाह को चमत्कार व मुरादों वाली दरगाह भी कहा जाता है। दरगाह को आज तक न तो सुनामी हिला पाई है और न ही दरगाह पर बाढ़ के पानी का कोई असर हुआ है। 

 
हाजी अली की दरगाह मुंबई के वरली तट के निकट मुख्य सड़क से लगभग 400 मीटर की दूरी पर एक छोटे से टापू पर स्थित एक मस्जिद एवं दरगाह है। दरगाह को सन 1431 में सूफी संत सय्यद पीर हाजी अली शाह बुखारी की स्मृति में बनाया गया था। पीर बुखारी एक सूफी संत थे, जो इस्लाम के प्रचार के लिए ईरान से भारत आए थे। ऐसा कहा जाता है कि जिन सूफी-संतों ने अपना जीवन धर्म के प्रचार में समर्पित कर दिया और जान कुर्बान कर दी, वे अमर हैं। इसलिए पीर हाजी अली शाह बुखारी को भी अमर माना जाता है। दरगाह टापू के 4500 वर्ग मीटर के क्षेत्र में फैली हुई है। मस्जिद के अन्दर पीर हाजी अली की मजार है जिसे लाल एवं हरी चादर से सज्जित किया गया है। 
 
चमत्कार
पीर हाजी अली शाह बुखारी अपने समय के ऊंचे संत थे। उनकी मौत के पहले और बाद में कई चमत्कारिक घटनाएं बताई जाती है। इसमें एक कहानी यह भी है कि एक बार पीर बुखारी प्रार्थना में लीन थे, तभी एक महिला बच्चे को गोद में लिए रोते हुए उनके सामने से गुजरी। उन्होंने जब महिला से रोने का कारण पूछा तो उसने बताया कि मेरे पति ने मुझे घड़ा भरकर तेल लाने के लिए कहा था, लेकिन तेल रास्ते में गिर गया और यदि अब मैं तेल नहीं ले जाऊंगी तो मुझे घर से निकाल दिया जाएगा। यह बात सुनकर पीर बुखारी ने जिस जगह तेल गिरा था वहां अंगूठे से छेद किया तो तेल का फव्वारा निकल पड़ा और उस महिला का घड़ा तेल से भर गया। इसके इलावा यहां आने वाले हर व्यक्ति की मुराद पूरी होती हैं। 
 
नहीं हिला पाई सुनामी, न हुआ बाढ़ का असर
अरब सागर में 1949 में बड़ा भूकंप आया था जिससे समुद्र में सुनामी लहरें उठीं थी। इन लहरों में कई इमारतें तबाह हो गई थी। लेकिन हाजी अली दरगाह को कोई भी नुकसान नहीं हुआ। जब तूफान शहर की ओर बढ़ा तो ऊंची लहरों पर दरगाह के चिराग तैरने लगे। मुंबई में 26 जुलाई 2005 को बादल फटने से पूरे शहर में बाढ़ आ गई थी। करोड़ों रुपए का नुकसान हुआ था। लेकिन इस बाढ़ का असर हाजी अली दरगाह पर जरा भी नहीं हुआ।
 
हाजी अली दरगाह 15वीं शताब्दी की है। दरगाह ट्रस्ट ने 2012 में यहां महिलाओं की एंट्री पर पाबंदी लगाई थी। जिसे अब भूमाता ब्रिगेड की प्रेसिडेंट तृप्ति देसाई दरगाह में प्रवेश करने का प्रयास कर रही है। हालांकि इससे पहले शनि शिंगणापुर मंदिर में महिलाओं को एंट्री पर पांबदी हटा दी गई हैं। 

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