PM मोदी से मुलाकात का असर: यूक्रेन संकट पर बदले पुतिन के सुर, बोले-''शांति को तैयार हूं...रूस आ जाओ जेलेंस्की''
punjabkesari.in Thursday, Sep 04, 2025 - 05:30 PM (IST)

International Desk: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन की हालिया मुलाकात का असर अब अंतर्राष्ट्रीय कूटनीति पर साफ दिखने लगा है। मॉस्को में हुई इस बैठक में पीएम मोदी ने यूक्रेन युद्ध को खत्म करने और शांति बहाल करने पर जोर दिया था। इसी कड़ी में अब पुतिन ने संकेत दिए हैं कि यूक्रेन की सुरक्षा गारंटी पर आम सहमति बनाना संभव है हालांकि रूस NATO की सदस्यता के मुद्दे पर किसी भी कीमत पर पीछे नहीं हटेगा।
पुतिन का बयान-शांति का रास्ता खुला, लेकिन ...
रूसी राष्ट्रपति पुतिन ने बीजिंग में स्लोवाक प्रधानमंत्री रॉबर्ट फिको के साथ बातचीत के दौरान कहा- "अगर संघर्ष समाप्त हो जाए तो यूक्रेन की सुरक्षा सुनिश्चित करने के विकल्प मौजूद हैं। मुझे लगता है कि यहाँ आम सहमति बनाने का अवसर है।" उन्होंने यह भी कहा कि रूस को यूरोपीय संघ (EU) में यूक्रेन की संभावित सदस्यता पर कोई आपत्ति नहीं है लेकिन यदि कीव NATO में शामिल होता है तो यह रूस के लिए अस्वीकार्य होगा। पुतिन ने यह भी याद दिलाया कि हाल ही में अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के साथ अलास्का में हुई मुलाकात के दौरान भी यह मुद्दा उठाया गया था।
जेलेंस्की का पलटवार-बिना सुरक्षा गारंटी समझौता नहीं
यूक्रेनी राष्ट्रपति वोलोदिमीर जेलेंस्की ने स्पष्ट किया है कि युद्ध का कोई भी समाधान तब तक संभव नहीं जब तक यूक्रेन को ठोस सुरक्षा गारंटी नहीं दी जाती। उन्होंने कहा कि इसमें NATO जैसी सुरक्षा मदद भी शामिल होनी चाहिए। जेलेंस्की ने बताया कि यूक्रेन और उसके सहयोगी देशों ने पुतिन के साथ संभावित समझौते को टिकाऊ बनाने के लिए काम तेज कर दिया है।
NATO का सख्त रुख
नाटो महासचिव मार्क रूटे ने यूक्रेन की सुरक्षा को लेकर बयान देते हुए कहा"शांति बनाए रखने के लिए केवल बाहरी आश्वासनों से काम नहीं चलेगा। इसके लिए यूक्रेन को अपनी मजबूत सशस्त्र सेनाओं की जरूरत है और साथ ही सहयोगियों की ओर से सुरक्षा गारंटी भी मिलनी चाहिए।" रूटे के इस बयान से साफ है कि NATO अब भी यूक्रेन को सैन्य सहयोग देने के पक्ष में है, ताकि रूस की आक्रामकता को रोका जा सके।
भारत की मध्यस्थता की अहमियत
विशेषज्ञों का मानना है कि मोदी-पुतिन मुलाकात ने इस बहस को नई दिशा दी है। मोदी ने पुतिन से सीधे तौर पर कहा था कि युद्ध किसी का भला नहीं करता और शांति ही सबसे अच्छा रास्ता है। अब पुतिन का यह नरम बयान बताता है कि भारत की कूटनीतिक कोशिशें धीरे-धीरे असर डाल रही हैं।हालांकि, NATO सदस्यता को लेकर रूस की सख्ती और जेलेंस्की की कठोर शर्तें दिखाती हैं कि **यूक्रेन संकट का समाधान अभी आसान नहीं है। लेकिन इतना तय है कि भारत की सक्रिय भागीदारी और पुतिन के नए संकेतों ने शांति वार्ता के लिए एक नई उम्मीद जरूर जगा दी है।