मॉब लिंचिंग पर बोले CJI दीपक मिश्रा, कहा - सोशल मीडिया से बढ़ रही हैं घटनाएं

punjabkesari.in Tuesday, Jul 24, 2018 - 09:53 PM (IST)

नई दिल्ली: देश के मुख्य न्यायाधीश दीपक मिश्रा ने कहा है कि देश में भीड़ द्वारा हत्या करने की घटनाएं बढ़ रही हैं। उन्होंने कहा कि इस तरह की घटनाओं को बढ़ावा देने में सोशल मीडिया का बड़ा रोल है। उन्होंने कहा कि समाज में शांति और कानून व्यवस्था बनाए रखने के लिए सोशल मीडिया को जांच के दायरे में लाना होगा और यह जांच स्वयं देश के जागरुक नागरिक ही कर सकते हैं।

सीजेआई दीपक मिश्रा ने एक कार्यक्रम में अपने भाषण के दौरान मॉब लिंचिंग की घटनाओं पर चिंता जाहिर की। उन्होंने कहा कि भीड़ द्वारा की जा रही हत्याओं की घटनाओं में पिछले कुछ दिनों में इजाफा हुआ है। उन्होंने कहा कि इस तरह की घटनाओं को रोकने के लिए पिछले दिनों खुद उन्होंने संसद से कड़ा कानून बनाने की सिफारिश की थी। दीपक मिश्रा ने कहा कि मॉब लिंचिंग की घटनाओं को सोशल मीडिया से बढ़ावा मिल रहा है। सोशल मीडिया पर कोई अफवाह वायरल होती है और कुछ ही समय बाद कोई ना कोई भीड़ का शिकार हो जाता है। उन्होंने कहा कि इस तरह की घटनाओं से लोकतंत्र और जीवन, दोनों की हानि हो रही है।

मुख्य न्यायाधीश ने मॉब लिंचिंग की घटनाओं पर रोक की मांग करते हुए कहा कि सोशल मीडिया को कंट्रोल की जरूरत है और यह कंट्रोल कोई संस्था या सरकार नहीं बल्कि खुद इस देश के जागरूक नागरिक करेंगे। उन्होंने लोगों से अपील की यदि वह कोई आपत्तिजनक संदेश अपने सोशल पेज पर देखते हैं तो उसे तुरंत डिलीट कर दें, उसे आगे ना बढ़ने दें। 

मॉब लिंचिंग पर संसद कानून बनाए
बता दें कि 17 जुलाई को सुप्रीम कोर्ट ने देश भर में हो रही मॉब लिंचिंग की घटनाओं की निंदा करते हुए संसद से इस अपराध से निपटने के लिए कानून बनाने का सिफारिश की थी. मुख्य न्यायाधीश दीपक मिश्रा, न्यायमूर्ति एएम खानविलकर और न्यायमूर्ति डीवाई चंद्रचूड़ की अगुवाई वाली पीठ ने कहा कि कानून-व्यवस्था, समाज की बहुलवादी सामाजिक संरचना और कानून के शासन को बनाए रखना राज्य का कर्तव्य है। मुख्य न्यायाधीश मिश्रा ने फैसले की घोषणा करते हुए कहा कि कोई भी कानून अपने हाथों में नहीं ले सकता है या खुद के लिए कानून नहीं बना सकता है। अपराध से निपटने के लिए निवारक, उपचारात्मक और दंडनीय कदमों सहित कई दिशानिर्देश जारी करते हुए अदालत ने कहा कि भीड़तंत्र की अनुमति नहीं दी जाएगी। खंडपीठ ने कहा कि सामूहिक हिंसा सोशल मीडिया प्लेटफॉर्मों से फैलती है। 

 


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Pardeep

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