मदरसे हमारी दुनिया..., हम धर्म और पहचान मिटने नहीं देंगे, मदरसा सुरक्षा सम्मेलन में बोले मौलाना मदनी
punjabkesari.in Monday, Jun 02, 2025 - 08:10 PM (IST)

नेशनल डेस्क: जमीयत उलेमा-ए-हिंद के अध्यक्ष मौलाना अरशद मदनी ने कहा कि मदरसे हमारी दुनिया नहीं बल्कि धर्म और पहचान हैं, और हम इसे मिटने नहीं देंगे। उन्होंने यह बात आजमगढ़ के कस्बा सरायमीर में रविवार रात ‘अखिल भारतीय मदरसा सुरक्षा सम्मेलन’ में कही। मौलाना मदनी ने बताया कि मदरसों से ही देश में आजादी की पहली आवाज़ उठी थी। यह सम्मेलन मदरसों की सुरक्षा के लिए एक बहुत महत्वपूर्ण मौका था।
मौलाना मदनी ने कहा कि मदरसे सिर्फ पढ़ाई के लिए नहीं बल्कि देश और समाज की सेवा के लिए नए विचार और सोच तैयार करते हैं। उन्होंने कहा कि आज कुछ मदरसों को गैरकानूनी बताकर बंद किया जा रहा है, लेकिन ये वही मदरसे हैं जहां से अंग्रेजों के खिलाफ सबसे पहले आवाज़ उठी थी।
इतिहास बताते हुए मदनी ने कहा कि 1803 में जब अंग्रेज भारत पर कब्जा कर रहे थे, तब मदरसा रहीमिया के हज़रत शाह अब्दुल अज़ीज़ ने कहा कि देश गुलाम हो गया है, हमें आज़ादी के लिए लड़ना चाहिए। इसके बाद उनके मदरसे को बंद कर दिया गया।
मौलाना मदनी ने कहा कि 1857 के गदर में 32,000 उलेमाओं को मारा गया और दारुल उलूम देवबंद की स्थापना भी इसी लिए हुई थी ताकि देश के लिए नए सपूत तैयार हों। उन्होंने अफ़सोस जताया कि आज मदरसों को गलत तरीके से आतंकवाद का अड्डा बताया जा रहा है।
उन्होंने कहा कि उत्तर प्रदेश, उत्तराखंड, असम और हरियाणा में मदरसों और मस्जिदों पर कार्रवाई धर्म के नाम पर की जा रही है, जो सही नहीं है। उन्होंने सवाल उठाया कि एक सेक्युलर देश में यह भेदभाव क्यों हो रहा है? यह सब एक सोच-समझकर की जा रही साजिश है, जिससे अल्पसंख्यकों और बहुसंख्यकों के बीच नफ़रत बढ़े।
मौलाना मदनी ने कहा कि मदरसों की सुरक्षा धर्म की सुरक्षा है। उन्होंने बताया कि जमीयत उलेमा-ए-हिंद ने इस साजिश के खिलाफ कानूनी लड़ाई शुरू कर दी है। उन्होंने मदरसों के जिम्मेदारों को भरोसा दिया कि जमीयत उनकी मदद करेगी।
इसके साथ ही उन्होंने कहा कि मदरसों और मस्जिदों के निर्माण के लिए जमीन की वैधता सुनिश्चित करनी चाहिए और बेहतर है कि जमीन वक्फ या दान में हो। मौलाना मदनी ने कहा कि हालात चाहे जैसे हों, हमें हिम्मत नहीं हारनी चाहिए बल्कि कानूनी तरीके से लड़ना होगा।
यह सम्मेलन प्रांतीय जमीयत उलेमा उत्तर प्रदेश ने आयोजित किया था। इसमें सभी प्रकार के मदरसों के जिम्मेदार मौजूद थे, जो एक बड़ी धार्मिक एकता का उदाहरण था। सम्मेलन की अध्यक्षता मौलाना अशहद रशीदी ने की और संचालन मुफ्ती अशफाक आजमी ने किया।