Maratha reservation: मराठा कार्यकर्ता मनोज जरांगे ने खत्म की भूख हड़ताल, सीएम शिंदे ने खुद पिलाया जूस
punjabkesari.in Thursday, Sep 14, 2023 - 03:13 PM (IST)

नेशनल डेस्क: महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे के मुलाकात करने के बाद मराठा आरक्षण कार्यकर्ता मनोज जरांगे ने बृहस्पतिवार को भूख हड़ताल खत्म कर दी। वह मराठा समुदाय को आरक्षण देने की मांग को लेकर 17 दिन से भूख हड़ताल पर थे। मुख्यमंत्री शिंदे ने जरांगे से मुलाकात करके मराठा समुदाय को आरक्षण प्रदान करने का आश्वासन किया, जिसके बाद उन्होंने भूख हड़ताल खत्म कर दी। शिंदे पूर्वाह्न लगभग पौने 11 बजे अपने कुछ मंत्रियों के साथ जालना जिले के अंतरवाली सरती गांव पहुंचे और जरांगे से मुलाकात की। जरांगे मराठा समुदाय को आरक्षण देने की मांग को लेकर गांव में भूख हड़ताल पर बैठे थे। जरांगे ने पूर्वाह्न लगभग 11 बजकर 15 मिनट पर मुख्यमंत्री द्वारा दिया गया एक गिलास जूस पीकर अपना अनशन खत्म किया।
#WATCH| Jalna, Maharashtra: Maratha activist Manoj Jarange Patil withdraws his hunger strike as Maharashtra CM Eknath Shinde offers him juice pic.twitter.com/hXuJgdK0Xa
— ANI (@ANI) September 14, 2023
वह मराठा समुदाय को सरकारी नौकरियों और शिक्षा में आरक्षण देने की मांग को लेकर 29 अगस्त से भूख हड़ताल पर थे। जरांगे की भूख हड़ताल के दौरान एक सितंबर को अंतरवाली सरती गांव में एकत्र लोगों पर पुलिस ने लाठीचार्ज किया था, जिसे लेकर राज्य के विभिन्न हिस्सों में तीखी प्रतिक्रिया व्यक्त की गई थी। मुख्यमंत्री ने घोषणा की कि उनकी सरकार मराठा समुदाय को आरक्षण प्रदान करने के लिए प्रतिबद्ध है। उन्होंने कहा, “महाराष्ट्र सरकार आरक्षण देने के लिए प्रतिबद्ध है। सरकार इसके पक्ष में है और समुदाय को आरक्षण देकर रहेगी और यह काम अन्य समुदायों से बिना किसी टकराव के किया जाएगा। मनोज जरांगे की लड़ाई किसी व्यक्तिगत मांग के लिए नहीं है और इसीलिए इसे समुदाय से इतना समर्थन मिला।”
उन्होंने कहा पहले सरकार ने समुदाय को आरक्षण दिया था, लेकिन यह उच्चतम न्यायालय में टिक नहीं पाया। उन्होंने कहा कि मौजूदा सरकार मराठा समुदाय को वे सभी लाभ देने पर काम कर रही है जो अन्य पिछड़ा वर्ग (ओबीसी) समुदाय को प्रदान किए गए हैं। राज्य सरकार ने निजाम-युग के दस्तावेजों में कुनबी (अब ओबीसी में शामिल) कहे जाने वाले मराठा समुदाय के सदस्यों को जाति प्रमाण पत्र देने के लिए कानूनी और प्रशासनिक ढांचे सहित मानक संचालन प्रक्रियाओं को निर्धारित करने के लिए न्यायाधीश संदीप शिंदे (सेवानिवृत्त) की अध्यक्षता में पांच सदस्यीय समिति गठित की है। इससे मराठवाड़ा क्षेत्र के मराठों को ओबीसी श्रेणी के तहत आरक्षण का लाभ मिलेगा।
शुक्रवार को होगी बैठक
मुख्यमंत्री ने कहा, "न्यायमूर्ति शिंदे समिति मराठा समुदाय की कुनबी जाति प्रमाण पत्र प्राप्त करने की मांग पर काम कर रही है। समिति ने पहले एक बैठक की थी और शुक्रवार को एक और बैठक होगी। समिति अध्ययन कर रही है कि समुदाय सामाजिक और शैक्षिक रूप से कितना पिछड़ा है, और एक व्यापक रिपोर्ट तैयार करके यह निर्णय लेगी कि कुनबी प्रमाणपत्र कैसे जारी किए जा सकते हैं।" उन्होंने जरांगे से एक विशेषज्ञ का नाम सुझाने को कहा, जिसे समिति में सदस्य के रूप में शामिल किया जा सके। उन्होंने कहा, "अगर जरांगे की ओर से कोई भी समिति में शामिल होने का इच्छुक है तो हम उसका स्वागत करेंगे।'' उन्होंने कहा कि सरकार कानूनी ढांचे के तहत आरक्षण के मुद्दे का समाधान करने के लिए काम कर रही है।
शिंदे के साथ केंद्रीय रेल राज्य मंत्री रावसाहेब दानवे, महाराष्ट्र के मंत्री संदीपन भुमरे, उदय सामंत, गिरीश महाजन, राधाकृष्ण विखे पाटिल, शिवसेना (शिंदे गुट) नेता अर्जुन खोतकर, राकांपा के विधायक राजेश टोपे और अन्य मौजूद थे। शिंदे ने कहा कि उन 3,700 मराठा युवाओं को नौकरियां दी जाएंगी, जिन्हें उच्चतम न्यायालय द्वारा समुदाय का आरक्षण खत्म करने के बाद साक्षात्कार के जरिए सरकारी नौकरियों के लिए चुना गया था। उन्होंने कहा कि छत्रपति शाहू महाराज अनुसंधान, प्रशिक्षण और मानव विकास संस्थान (सारथी) के लिए धन आवंटन बढ़ाया जाएगा, जबकि अन्नासाहेब पाटिल आर्थिक विकास निगम का बजट 10 लाख रुपये से बढ़ाकर 15 लाख रुपये कर दिया गया है। शिंदे ने कहा, ''हम नौकरियों और शिक्षा में मराठा समुदाय के लिए आरक्षण बहाल करने के लिए प्रतिबद्ध हैं। मराठा एक अनुशासित और संवेदनशील समुदाय हैं।''
लाठीचार्ज की घटना दुर्भाग्यपूर्ण थी
उन्होंने कहा कि प्रदर्शनकारियों पर एक सितंबर को लाठीचार्ज की घटना दुर्भाग्यपूर्ण थी। उन्होंने कहा कि राज्य के गृह मंत्री देवेन्द्र फड़णवीस सार्वजनिक रूप से माफी मांग चुके हैं और उन्होंने घटना पर खेद भी जताया है। संबंधित पुलिस अधिकारियों के खिलाफ कार्रवाई की गई है और आंदोलनकारियों के खिलाफ दर्ज मामले वापस लिए जाएंगे। इस मौके पर जरांगे ने कहा, “यह पहली बार है कि कोई मुख्यमंत्री किसी को भूख हड़ताल खत्म करने का अनुरोध लेकर आंदोलन स्थल पर आया है। मैं तब तक नहीं रुकूंगा, जब तक मराठा समुदाय को आरक्षण नहीं मिल जाता और यही मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे की नीति भी है” उन्होंने कहा, "हमने समुदाय के सदस्यों की सहमति से राज्य सरकार को एक महीने का समय दिया है। अगर सरकार चाहेगी तो हम 10 दिन और देंगे, लेकिन हमें मराठों के लिए आरक्षण चाहिए।"