2024 की वो प्रमुख घटनाएं जिनका 2025 में भारत पर पड़ सकता है गहरा असर
punjabkesari.in Wednesday, Dec 18, 2024 - 02:45 PM (IST)
नेशनल डेस्क: 2024 एक महत्वपूर्ण साल था, जिसने भारतीय राजनीति, समाज, कूटनीति, और अर्थव्यवस्था को नए मोड़ पर ला खड़ा किया। इस साल लोकसभा चुनावों के परिणाम, राज्य चुनाव, और अंतरराष्ट्रीय घटनाओं ने भारत के भीतर और बाहर कई बदलावों को जन्म दिया। इन घटनाओं का प्रभाव न केवल 2024 के अंत तक, बल्कि 2025 में भी गहरा रहने वाला है।
- लोकसभा चुनाव 2024 का असर
2024 में हुए लोकसभा चुनाव ने भारतीय राजनीति में कई महत्वपूर्ण बदलाव किए। भारतीय जनता पार्टी (भा.ज.पा.) ने भले ही 400 सीटों के लक्ष्य को प्राप्त न किया हो, लेकिन फिर भी वह सत्ता में बनी रही और नरेंद्र मोदी ने तीसरी बार प्रधानमंत्री का पद संभाला। इस चुनाव ने यह संकेत दिया कि बीजेपी के नेतृत्व में केंद्र सरकार का स्थायित्व रहेगा, हालांकि कम सीटों और अपेक्षाओं से कम प्रदर्शन के कारण बीजेपी को 2025 में अधिक राजनीतिक संतुलन और गठबंधन बनाने की आवश्यकता हो सकती है। विपक्षी गठबंधन 'इंडिया ब्लॉक' का असर अपेक्षाकृत कम रहा, लेकिन कांग्रेस का प्रदर्शन अच्छा रहा, और सीटों की संख्या 52 से बढ़कर 99 हो गई। इससे कांग्रेस को अगले साल 2025 में विपक्ष के रूप में अपनी भूमिका को मजबूत करने का अवसर मिलेगा। यह बात ध्यान में रखते हुए, संसद में विपक्ष सरकार के खिलाफ और तीव्र विरोध कर सकता है, विशेषकर उन मुद्दों पर जो जनता की गहरी चिंता का कारण बनेंगे।
-महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव और इसके प्रभाव
महाराष्ट्र में 2024 के विधानसभा चुनाव में बीजेपी और शिवसेना के एकनाथ शिंदे गुट, साथ ही अजित पवार की एनसीपी की महायुति ने अप्रत्याशित जीत हासिल की, जबकि महा विकास आघाड़ी (एमवीए) को बड़ा झटका लगा। महायुति का यह विजय राज्य की राजनीति में महत्वपूर्ण बदलाव लेकर आई है, जिससे बीजेपी और शिंदे गुट 2025 में होने वाले स्थानीय निकाय चुनावों में अपनी पकड़ को मजबूत कर सकते हैं। विपक्ष को राज्य में इस हार के कारण जमीनी स्तर पर नए गठबंधन तैयार करने होंगे। 2025 में इन चुनावों के दौरान यह मुद्दा प्रमुख रहेगा, और विपक्षी दलों के लिए यह चुनौती होगी कि वे नए मुद्दे और रणनीतियाँ कैसे बनाते हैं।
- अरविंद केजरीवाल की गिरफ्तारी और दिल्ली विधानसभा चुनाव
2024 में आम आदमी पार्टी (आप) के प्रमुख अरविंद केजरीवाल की गिरफ्तारी और संबंधित कानूनी मामले पूरे देश में चर्चा का विषय बने। शराब नीति में कथित मनी लॉन्ड्रिंग मामले में प्रवर्तन निदेशालय (ED) द्वारा उनके खिलाफ कार्रवाई की जा रही है। दिल्ली हाई कोर्ट में उनके मामले पर सुनवाई जनवरी 2025 में हो सकती है, और अगर उनका जमानत आदेश रद्द किया जाता है तो यह आगामी दिल्ली विधानसभा चुनावों में एक बड़ा मुद्दा बन सकता है। 2025 में दिल्ली विधानसभा चुनाव होने की संभावना है, जिसमें केजरीवाल और आम आदमी पार्टी के लिए यह कानूनी विवाद एक महत्वपूर्ण चुनावी बिंदु हो सकता है। बीजेपी और कांग्रेस इस मुद्दे को केजरीवाल की छवि को धूमिल करने के लिए उठा सकती हैं, जो दिल्ली में पार्टी के लिए एक गंभीर राजनीतिक चुनौती हो सकता है।
- मणिपुर हिंसा और राष्ट्रपति शासन की संभावना
मणिपुर में मई 2023 से शुरू हुई जातीय हिंसा 2024 में भी जारी रही, जिससे राज्य की स्थिति बिगड़ती रही। इस हिंसा ने मणिपुर को स्थिरता के मुद्दे पर एक संवेदनशील क्षेत्र बना दिया है। अगर हिंसा का दौर जारी रहा, तो राज्य में राष्ट्रपति शासन की संभावना बढ़ सकती है। 2025 में मणिपुर चुनावों के दौरान यह मुद्दा प्रमुख हो सकता है और चुनाव प्रचार में ध्रुवीकरण और तनाव को बढ़ावा दे सकता है। मणिपुर की हिंसा से ना केवल राज्य में राजनीतिक अस्थिरता का खतरा है, बल्कि यह अन्य राज्यों और पड़ोसी देशों को भी प्रभावित कर सकती है। राज्य में संघर्ष को रोकने के लिए केंद्र सरकार को कदम उठाने पड़ सकते हैं, जिससे इसके दीर्घकालिक असर पर बहस होगी।
- राम मंदिर का निर्माण
राम मंदिर का निर्माण जुलाई 2025 तक पूरा होने की उम्मीद है, और यह बीजेपी के लिए एक महत्वपूर्ण चुनावी मुद्दा बनेगा। राम मंदिर का उद्घाटन भाजपा को अपने हिंदुत्व एजेंडे को मजबूती से प्रस्तुत करने का मौका देगा। अयोध्या में इस मंदिर का धार्मिक महत्व है और भाजपा इसे आगामी चुनावों में एक बड़े मुद्दे के रूप में प्रस्तुत करेगी। विपक्षी दलों के लिए यह चुनौती होगी कि वे इस मुद्दे से ध्यान हटा कर अन्य महत्वपूर्ण मुद्दों जैसे रोजगार, शिक्षा और विकास पर ध्यान केंद्रित करें। हालांकि, राम मंदिर के पूर्ण होने से बीजेपी को हिंदू मतदाताओं का समर्थन प्राप्त हो सकता है, जिससे आगामी चुनावों में उसकी स्थिति मजबूत हो सकती है।
- बांग्लादेश में हिंदुओं पर बढ़ते अत्याचार
बांग्लादेश में हिंदू अल्पसंख्यकों पर हो रहे अत्याचार 2024 में चर्चा में रहे, और यह मुद्दा भारत में भी प्रमुख हो सकता है। हिंदू समुदाय के साथ हो रही हिंसा और उत्पीड़न की घटनाओं ने दोनों देशों के रिश्तों को प्रभावित किया है। यह मामला भारत में चुनावी माहौल में अहम बन सकता है, खासकर उन राजनीतिक दलों के लिए जो हिंदू वोटबैंक पर निर्भर हैं। भारत में 2025 में होने वाले चुनावों में इस मुद्दे को लेकर दलों के बीच राजनीतिक बहस हो सकती है, और यह भारतीय कूटनीति को भी प्रभावित कर सकता है। बांग्लादेश सरकार पर भारत का दबाव बढ़ सकता है कि वह अपने देश में हिंदू अल्पसंख्यकों की सुरक्षा सुनिश्चित करें।
- भारत-कनाडा कूटनीतिक विवाद
भारत और कनाडा के बीच कूटनीतिक विवाद 2024 में उभरकर सामने आया, जब भारत ने कनाडा के छह राजनयिकों को निष्कासित कर दिया। यह विवाद खालिस्तानी आतंकवादी हरदीप सिंह निज्जर की हत्या के बाद बढ़ा, जिसमें कनाडा ने भारतीय अधिकारियों पर आरोप लगाए थे। 2025 में यह विवाद भारत और कनाडा के संबंधों को प्रभावित कर सकता है, और दोनों देशों के बीच व्यापार, निवेश और कूटनीति में बदलाव देखे जा सकते हैं। यह विवाद भारत में रहने वाले कनाडा के नागरिकों के लिए भी मुश्किलें पैदा कर सकता है, और इससे भारत की कूटनीतिक स्थिति पर भी प्रभाव पड़ेगा। राजनीतिक दलों द्वारा इस मुद्दे का लाभ उठाया जा सकता है, खासकर चुनावी राजनीति में।
- रूस-यूक्रेन युद्ध और भारत की कूटनीति
रूस-यूक्रेन युद्ध 2022 से जारी है और 2024 में भी इसके असर से वैश्विक राजनीति में हलचल बनी रही। रूस और यूक्रेन के बीच संघर्ष के लंबे खिंचाव के कारण भारत को अपनी विदेश नीति पर पुनर्विचार करना पड़ा। 2025 में, यदि युद्ध और भी लंबा खिंचता है, तो भारत को रूस और यूक्रेन दोनों के साथ अपने संबंधों को संतुलित करना होगा। भारत के लिए यह चुनौती होगी कि वह दोनों देशों के साथ अपने सामरिक संबंधों को बनाए रखे, जबकि वैश्विक तनाव और आर्थिक अनिश्चितताओं के बीच अपनी कूटनीति को आगे बढ़ाए। रूस और यूक्रेन दोनों के साथ भारत के दीर्घकालिक संबंध हैं, और युद्ध के परिणाम से वैश्विक आर्थिक माहौल पर असर पड़ेगा, जो भारत के लिए एक नई चुनौती हो सकती है।
- पाकिस्तान में राजनीतिक उथल-पुथल और आर्थिक संकट
पाकिस्तान में 2024 में इमरान खान की गिरफ्तारी और उनके खिलाफ कई आंदोलनों ने राजनीतिक उथल-पुथल को जन्म दिया। 2025 में इमरान खान के आंदोलन और पाकिस्तान के आर्थिक संकट का असर वहां की राजनीति और स्थिरता पर दिखाई दे सकता है। अगर पाकिस्तान में राजनीतिक अस्थिरता बढ़ती है, तो इसका प्रभाव भारत के लिए भी हो सकता है, क्योंकि यह क्षेत्रीय सुरक्षा और आर्थिक संबंधों को प्रभावित कर सकता है। पाकिस्तान का आर्थिक संकट 2024 में भी बढ़ा, और 2025 में अगर इसका समाधान नहीं निकलता है, तो पाकिस्तान में विदेशी निवेश और मदद की उम्मीदों में कमी आ सकती है, जिससे भारत को सीमा पर सुरक्षा की चुनौतियाँ मिल सकती हैं।
- डीपफेक तकनीक का दुरुपयोग
2024 में डीपफेक तकनीक का दुरुपयोग बढ़ा, जिससे चुनावों में मतदाताओं को गुमराह किया गया। आने वाले साल 2025 में चुनावों के दौरान डीपफेक तकनीक का दुरुपयोग और बढ़ सकता है, जिससे झूठी जानकारी और अफवाहों का प्रसार हो सकता है। इससे चुनावी प्रचार और राजनीतिक संघर्षों में और अधिक तनाव पैदा हो सकता है। इस तकनीक का बढ़ता हुआ उपयोग राजनीतिक नेताओं और सामाजिक संबंधों में विश्वास की कमी का कारण बन सकता है, जिससे चुनावों में गुमराह करने वाली सामग्री की भूमिका महत्वपूर्ण हो सकती है।