मध्यप्रदेश के सीधी में थाना प्रभारी और रेत माफिया का ऑडिओ वायरल, सुनें
punjabkesari.in Thursday, Apr 05, 2018 - 08:21 PM (IST)
मध्यप्रदेश, सीधी। मध्यप्रदेश में पुलिस और रेत माफिया के गठजोड़ का ऑडिओ वायरल हुआ है। आॅडियो में दावा किया गया है कि सीधी जिले में पदस्थ एक थाना प्रभारी किसी नवीन नामक रेत माफिया से बात कर रहा है। जिस में साफ कहा जा रहा है की एक महीने की डील हुई थी अब आपने गाड़ी निकाली और तहसीलदार ने पकड़ ली तो हम कुछ नही कर सकते हैं। इतना ही नहीं ऑडियो में 70 हजार महीने की डील की बात भी साबित हो रही है। इस से साफ हो रहा है कि पुलिस की शह पर अवैध रेत उत्खनन लगातार किया जा रहा है इस ऑडिओ के आने के बाद पुलिस प्रशासन में खलबली मच गई है। इस ऑडिओ में दावा किया जा रहा है की रेत उत्खनन की डील सीधी जिले के रामपुर नैकिन थाना प्रभारी पुष्पेंद्र मिश्रा कर रहे हैं। इतना ही नही बकायदा रेत माफियाओं से 70 हजार रुपये प्रति गाड़ी के हिसाब से वसूली की बात की जा रही है। इस ऑडिओ के बाद एसपी मनोज श्रीवास्तव के दावे पर भी प्रश्न चिन्ह लग गया है जहां वे आईएएस ऑफिसर अर्पित वर्मा पर आरोपी की झड़ी लगा रहे थे।
क्या था अर्पित वर्मा का विवाद
युवा आइएएस अर्पित वर्मा ने रेत माफिया से अपनी जान को खतरा बताया था। जिसके बाद सीधी जिले के एसपी मनोज श्रीवास्तव ने रविवार को प्रेस कांफ्रेंस कर उनकी गोपनीय रिपोर्ट सार्वजनिक कर दी थी। यह रिपोर्ट 30 मार्च को एसपी ने कलेक्टर को भेजी थी, जिसमें चुरहट-रामपुर नैकिन के एसडीएम अर्पित के खिलाफ गंभीर आरोप हैं। इससे पहले प्रोबेशनरी आइएएस अर्पित ने 22 मार्च को कलेक्टर को पत्र लिखकर सुरक्षा मांगी थी। इसमें उन्होंने आरोप लगाया कि रेत माफिया के खिलाफ कार्रवाई में पुलिस का सहयोग नहीं मिलने से उन्हें रात भर जंगल में रहना पड़ा। अब एसपी का आरोप है कि आइएएस ने अवैध उत्खनन को संरक्षण देने के लिए 3 लाख रुपए मांगे थे, लेकिन मैंने यह राशि नहीं देने दी।
सार्वजनिक किया गोपनीय प्रतिवेदन
एसपी ने 30 मार्च को आइएएस अधिकारी अर्पित वर्मा के खिलाफ एक गोपनीय प्रतिवेदन तैयार कर कलेक्टर को सौंपा था। जिसमें कहा गया है कि चुरहट के एसडीएम अर्पित वर्मा को सुरक्षा गार्ड पूर्व से ही मुहैया कराया गया था। उससे वे शराब मंगाते थे, वाहन धुलवाते थे। एक दिन गार्ड से अपना वाहन चलवाते हुए लखनऊ ले गए। इस दौरान यदि कोई घटना घटित हो जाती है, तो मुझे परेशानी उठानी पड़ती। कलेक्टर को सूचित कर गार्ड को वापस कर लिया गया था। बाद में फिर गार्ड उपलब्ध करा दिया गया। ऐसी स्थिति में एसडीएम द्वारा डीजीपी को पत्र लिखकर सुरक्षा की मांग करना उचित नहीं है। इन आरोपों के दौरान एसपी ने गोपनीय प्रतिवेदन भी सार्वजनिक कर दिया। लिहाजा, उन पर भी सवाल खड़े हो गए।