Lunar Eclipse: भारत के कौन से ऐसे 4 मंदिर हैं जो चंद्रग्रहण के सूतक काल में भी बंद नहीं होते, क्या है इसके पीछे की मान्यताएं

punjabkesari.in Sunday, Sep 07, 2025 - 02:47 PM (IST)

नेशनल डेस्क : 7-8 सितंबर 2025 की मध्यरात्रि को होने वाले चंद्रग्रहण के दौरान देश के चार प्रमुख मंदिर सूतक काल में भी खुले रहेंगे। इन मंदिरों में केरल का तिरुवरप्पु श्री कृष्ण मंदिर, बिहार के गया में विष्णुपद मंदिर, आंध्र प्रदेश का कालहस्तीश्वर मंदिर और मध्य प्रदेश के उज्जैन में महाकालेश्वर मंदिर शामिल हैं। इन मंदिरों के खुले रहने के पीछे पौराणिक मान्यताएं और परंपराएं हैं। आइए, इन मंदिरों और उनकी मान्यताओं के बारे में विस्तार से जानते हैं।

1. तिरुवरप्पु श्री कृष्ण मंदिर, केरल
केरल के तिरुवरप्पु श्री कृष्ण मंदिर में भगवान श्रीकृष्ण की पूजा होती है। पौराणिक मान्यता के अनुसार, इस मंदिर में भगवान कृष्ण निरंतर भूख की अवस्था में रहते हैं। एक बार चंद्रग्रहण के दौरान मंदिर के कपाट बंद होने पर एक पुजारी ने देखा कि भगवान की कमर ढीली हो गई थी, जो उनकी भूख का संकेत था। तब से यह मंदिर ग्रहण और सूतक काल में भी खुला रहता है, ताकि भगवान को नियमित भोग अर्पित किया जा सके।

2. विष्णुपद मंदिर, गया (बिहार)
बिहार के गया में भगवान विष्णु को समर्पित विष्णुपद मंदिर पितृपक्ष और पिंडदान के लिए प्रसिद्ध तीर्थस्थल है। परंपरा के अनुसार, ग्रहण के दौरान पिंडदान जैसे अनुष्ठान अत्यंत शुभ माने जाते हैं। इस कारण सूतक काल में भी यह मंदिर भक्तों के लिए खुला रहता है, ताकि वे अपने पूर्वजों के लिए अनुष्ठान कर सकें।

3. कालहस्तीश्वर मंदिर, आंध्र प्रदेश
आंध्र प्रदेश के कालहस्तीश्वर मंदिर में भगवान शिव की पूजा होती है। मान्यता है कि ग्रहण के कारक ग्रह राहु और केतु भगवान शिव की आराधना करते हैं। इसलिए, इस मंदिर पर सूतक काल या ग्रहण का कोई नकारात्मक प्रभाव नहीं पड़ता। भक्त ग्रहण के दौरान राहु-केतु की विशेष पूजा के लिए भी यहां आते हैं।

4. महाकालेश्वर मंदिर, उज्जैन (मध्य प्रदेश)
मध्य प्रदेश के उज्जैन में स्थित महाकालेश्वर मंदिर, जो भगवान शिव के 12 ज्योतिर्लिंगों में से एक है, चंद्रग्रहण के दौरान भी खुला रहता है। हिंदू मान्यताओं के अनुसार, भगवान शिव महाकाल यानी समय और मृत्यु के स्वामी हैं। सूर्य और चंद्रमा उनके ही अंश हैं, इसलिए ग्रहण का उन पर कोई प्रभाव नहीं पड़ता।

हालांकि, सूतक काल के दौरान भक्तों और पुजारियों को ज्योतिर्लिंग को छूने की अनुमति नहीं होती, और दर्शन केवल दूर से किए जाते हैं। ग्रहण के दौरान आरती और अन्य अनुष्ठानों के समय में बदलाव या स्थगन हो सकता है। ग्रहण समाप्त होने के बाद मंदिर को पवित्र नदी के जल से शुद्ध किया जाता है, जिसके बाद भस्म आरती सहित नियमित पूजा शुरू होती है।

चंद्रग्रहण और सूतक काल
चंद्रग्रहण 7-8 सितंबर 2025 की मध्यरात्रि को होगा। सूतक काल, जो ग्रहण से 9 घंटे पहले शुरू होता है, हिंदू परंपराओं में पूजा-अनुष्ठानों के लिए अशुभ माना जाता है। हालांकि, ये चार मंदिर अपनी पौराणिक मान्यताओं के कारण इस दौरान खुले रहेंगे और भक्तों के लिए पूजा-दर्शन की व्यवस्था करेंगे।


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Content Editor

Shubham Anand

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