भारत में भी अब 4 दिन ही होगा काम और 3 दिन छुट्टी? जानें सरकार ने क्या संभावना जताई है
punjabkesari.in Sunday, Dec 14, 2025 - 02:13 PM (IST)
नेशनल डेस्क : भारत के बड़े महानगरों दिल्ली, गुरुग्राम, नोएडा, मुंबई, बेंगलुरु, हैदराबाद और पुणे में अधिकांश कॉरपोरेट ऑफिस अभी 5-Day वर्क वीक सिस्टम के तहत काम कर रहे हैं। हालांकि, बढ़ते काम के दबाव, लंबे वर्किंग ऑवर्स और वर्क-लाइफ बैलेंस की चुनौती के चलते कर्मचारियों के बीच 4-Day वर्क वीक की मांग तेज होती जा रही है। कर्मचारियों का मानना है कि यदि हफ्ते में केवल चार दिन काम और तीन दिन की छुट्टी मिले, तो उत्पादकता के साथ-साथ मानसिक और शारीरिक सेहत भी बेहतर हो सकती है।
दुनिया के कई देशों में इस दिशा में प्रयोग शुरू हो चुके हैं। जापान, स्पेन और जर्मनी जैसे देशों में कई कंपनियां 4-Day वर्क वीक मॉडल को पायलट प्रोजेक्ट के तौर पर अपना रही हैं। इन प्रयोगों के बाद यह बहस तेज हो गई है कि क्या भारत में भी ऐसा सिस्टम लागू किया जा सकता है। खासतौर पर पिछले महीने लेबर कानूनों में हुए बदलावों के बाद यह सवाल और अहम हो गया है कि क्या नए नियम भारत में 4-Day वर्क वीक की अनुमति देते हैं और क्या कंपनियां इसे अपनाने के लिए तैयार होंगी।
श्रम मंत्रालय ने तय की साप्ताहिक 48 घंटे की सीमा
श्रम और रोजगार मंत्रालय ने 12 दिसंबर को सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म X पर एक पोस्ट साझा किया, जिसमें 4-Day वर्क वीक की संभावना को लेकर स्थिति स्पष्ट की गई। मंत्रालय ने कहा कि नए लेबर कानूनों के तहत किसी भी कर्मचारी से एक सप्ताह में अधिकतम 48 घंटे से ज्यादा काम नहीं कराया जा सकता।
The Labour Codes allow flexibility of 12 hours for 4 workdays only, with the remaining 3 days as paid holidays.
— Ministry of Labour & Employment, GoI (@LabourMinistry) December 12, 2025
Weekly work hours remain fixed at 48 hours and overtime beyond daily hours must be paid at double the wage rate.#ShramevJayate pic.twitter.com/5udPMqRXbg
अपने ‘मिथबस्टर’ पोस्ट में मंत्रालय ने उन शर्तों की जानकारी दी, जिनके तहत 4-Day वर्क वीक को लागू किया जा सकता है। मंत्रालय के मुताबिक, संशोधित लेबर कोड कंपनियों को यह विकल्प देते हैं कि वे कर्मचारियों से दिन में 12 घंटे काम कराएं। ऐसे में कर्मचारी हफ्ते में केवल चार दिन काम करेंगे और बाकी के तीन दिन उन्हें पेड छुट्टी मिलेगी। यानी, यदि कोई कंपनी 12 घंटे की शिफ्ट व्यवस्था अपनाती है, तो 4-Day वर्क वीक कानूनी रूप से संभव हो सकता है।
12 घंटे की शिफ्ट में ब्रेक भी शामिल
श्रम मंत्रालय ने यह भी साफ किया है कि 12 घंटे की शिफ्ट का मतलब लगातार 12 घंटे काम करना नहीं है। इस अवधि में कर्मचारियों के ब्रेक और स्प्रेड-ओवर का समय भी शामिल रहेगा। इसका उद्देश्य यह सुनिश्चित करना है कि कर्मचारियों पर अत्यधिक शारीरिक या मानसिक दबाव न पड़े। यदि किसी कंपनी में 4-Day वर्क वीक सिस्टम के तहत किसी कर्मचारी से तय सीमा से अधिक काम कराया जाता है, तो ओवरटाइम के नियम लागू होंगे। मंत्रालय के अनुसार, सप्ताह में 48 घंटे से अधिक काम कराने की स्थिति में कंपनी को ओवरटाइम के लिए दोगुना भुगतान करना होगा। यानी, अतिरिक्त घंटों के लिए कर्मचारियों को अतिरिक्त वेतन मिलना अनिवार्य होगा।
नए लेबर कोड क्या हैं?
भारत सरकार के श्रम और रोजगार मंत्रालय ने 21 नवंबर 2025 को देश के 29 पुराने श्रम कानूनों को समाप्त कर चार नए लेबर कोड लागू किए। सरकार का कहना है कि इन नए कोड्स का मकसद श्रम कानूनों को सरल बनाना और अलग-अलग वर्गों के कर्मचारियों के अधिकारों को मजबूत करना है।
इन चार नए लेबर कोड्स में शामिल हैं—
वेज कोड 2019
इंडस्ट्रियल रिलेशंस कोड 2020
सोशल सिक्योरिटी कोड 2020
ऑक्यूपेशनल सेफ्टी, हेल्थ एंड वर्किंग कंडीशंस कोड 2020
इन कोड्स के जरिए वेतन, औद्योगिक संबंध, सामाजिक सुरक्षा और कार्यस्थल पर सुरक्षा व स्वास्थ्य से जुड़े नियमों को एकीकृत किया गया है।
क्या कंपनियां अपनाएंगी 4-Day वर्क वीक?
हालांकि नए लेबर कानून 4-Day वर्क वीक की कानूनी गुंजाइश जरूर देते हैं, लेकिन इसे अपनाना पूरी तरह कंपनियों की नीति और काम की प्रकृति पर निर्भर करेगा। हर सेक्टर में 12 घंटे की शिफ्ट व्यवहारिक हो, यह जरूरी नहीं है। ऐसे में यह देखना अहम होगा कि कितनी कंपनियां इस मॉडल को अपनाती हैं और कर्मचारी इस व्यवस्था को कितनी आसानी से स्वीकार कर पाते हैं।
कुल मिलाकर, नए लेबर कोड्स ने भारत में 4-Day वर्क वीक का रास्ता तो खोल दिया है, लेकिन यह व्यवस्था व्यापक रूप से कब और कैसे लागू होगी, यह आने वाले समय में कंपनियों के फैसलों पर निर्भर करेगा।
