4 Day Work Week: नए लेबर कोड्स के बाद हफ्ते में 4 दिन काम, 3 दिन छुट्टी! भारत में वर्क कल्चर में बड़ा बदलाव
punjabkesari.in Tuesday, Dec 16, 2025 - 08:59 AM (IST)
नेशनल डेस्क: सोचिए अगर ऑफिस की भागदौड़ में कर्मचारी को हफ्ते में सिर्फ 4 दिन ही काम करने पड़े और बाकी तीन दिन पूरी तरह आप फ्री रहे। बता दें कि अब यह कल्पना नहीं भारत में भी ‘4 डे वर्क वीक’ को लेकर तस्वीर साफ हो गई है। नए लेबर कोड्स के तहत यह व्यवस्था संभव है, लेकिन कुछ अहम शर्तों के साथ।
श्रम एवं रोजगार मंत्रालय ने साफ किया है कि कंपनियां और कर्मचारी आपसी सहमति से हफ्ते में चार दिन काम करने का मॉडल अपना सकते हैं। हालांकि, काम के कुल घंटे कम नहीं होंगे। सप्ताह के 48 घंटे का कार्यभार पहले की तरह बरकरार रहेगा, बस इन्हें पांच या छह दिनों के बजाय चार दिनों में पूरा किया जा सकेगा।
काम कम नहीं, दिन लंबे होंगे
इस व्यवस्था का सीधा मतलब यह है कि अगर कर्मचारी 4 दिन काम करता है, तो हर दिन उसे ज्यादा घंटे देना होगा। आमतौर पर यह करीब 12 घंटे की शिफ्ट हो सकती है। लेकिन यह ध्यान रखना जरूरी है कि 48 घंटे से ज्यादा काम कराना कानूनन मना है। यदि किसी दिन 12 घंटे से अधिक काम कराया जाता है, तो वह समय ओवरटाइम माना जाएगा और उसका भुगतान दोगुनी दर से करना अनिवार्य होगा।
The Labour Codes do not weaken trade union rights.
— Ministry of Labour & Employment, GoI (@LabourMinistry) December 14, 2025
The right to strike remains intact, with a 14-day notice period to prevent flash strikes, reduce disruption and enable conciliation between workers and management.#ShramevJayate pic.twitter.com/Cgav0qZrwu
लगातार 12 घंटे काम नहीं
मंत्रालय ने यह भी स्पष्ट किया है कि 12 घंटे की शिफ्ट का मतलब लगातार बिना रुके काम करना नहीं है। इसमें लंच ब्रेक, आराम का समय और शिफ्ट के बीच का अंतर भी शामिल हो सकता है।
अनिवार्य नहीं, विकल्प है
नए लेबर कोड ‘4 डे वर्क वीक’ को अनिवार्य नहीं बनाते। यह सिर्फ एक विकल्प है, जिसे कंपनियां अपनी जरूरत और कर्मचारियों की सहमति से अपना सकती हैं। यानी अगर कोई संस्था पांच या छह दिन का वर्क मॉडल ही रखना चाहती है, तो उस पर कोई दबाव नहीं होगा।
क्यों लाए गए नए लेबर कोड
गौरतलब है कि सरकार ने पुराने 29 श्रम कानूनों को हटाकर चार नए लेबर कोड लागू किए हैं। इनमें वेज कोड 2019, सोशल सिक्योरिटी कोड 2020, इंडस्ट्रियल रिलेशंस कोड 2020 और ऑक्युपेशनल सेफ्टी, हेल्थ एंड वर्किंग कंडीशंस कोड 2020 शामिल हैं। इनका मकसद श्रम कानूनों को सरल बनाना और कर्मचारियों को बेहतर सुरक्षा देना है।
इन कोड्स के तहत समय पर वेतन भुगतान, तय कार्य घंटे, सुरक्षा, स्वास्थ्य सुविधाएं और सामाजिक सुरक्षा जैसे कई सुधार किए गए हैं। इसके साथ ही सैलरी स्ट्रक्चर में भी बड़ा बदलाव किया गया है। अब कंपनियों को कर्मचारी की CTC का कम से कम 50 प्रतिशत बेसिक सैलरी के रूप में देना होगा।
