Kumbh Waqf Board Dispute: ‘कुछ कट्टरपंथी मुसलमान माहौल बिगाड़ने की साजिश कर रहे हैं’, गिरिराज सिंह का कड़ा आरोप
punjabkesari.in Monday, Jan 06, 2025 - 02:38 PM (IST)
नेशनल डेस्क: भारत में हर 12 साल में आयोजित होने वाला महाकुंभ, एक बड़ा आध्यात्मिक समागम है, जिसका आयोजन 2025 में प्रयागराज (इलाहाबाद) में किया जाएगा। इस महाकुंभ को लेकर एक नई राजनीतिक और धार्मिक विवाद ने जन्म लिया है। विवाद का मुख्य कारण महाकुंभ 2025 के आयोजन स्थल की जमीन है, जिस पर वक्फ बोर्ड द्वारा कब्जे का दावा किया गया है। इस विवाद ने पूरे देश में चर्चा का माहौल पैदा कर दिया है, और इससे जुड़ी राजनीति और बयानबाजी ने इस मुद्दे को और गरमा दिया है।
ऑल इंडिया मुस्लिम जमात (AIMJ) के अध्यक्ष मौलाना शहाबुद्दीन रजवी बरेलवी ने हाल ही में एक पोस्ट सोशल मीडिया प्लेटफार्म X (पूर्व ट्विटर) पर साझा करते हुए दावा किया था कि महाकुंभ 2025 की तैयारियां जिस जमीन पर चल रही हैं, वह वक्फ की जमीन है। उन्होंने कहा कि इस जमीन पर लगभग 54 बीघा भूमि है और उस पर मुसलमानों का प्रवेश निषेध किया जा रहा है। मौलाना रजवी बरेलवी ने इसे धार्मिक संकीर्णता का उदाहरण बताते हुए आरोप लगाया कि अखाड़ा परिषद और अन्य धार्मिक नेताओं ने मुसलमानों के प्रवेश पर प्रतिबंध लगाया है, जो गलत है। उन्होंने यह भी कहा कि मुसलमानों ने इस मामले में "बड़ा दिल" दिखाया है और किसी प्रकार की आपत्ति नहीं जताई है।
गिरिराज सिंह ने दिया कड़ा जवाब
मौलाना शहाबुद्दीन रजवी के बयान पर केंद्रीय मंत्री गिरिराज सिंह ने तीखा जवाब दिया। गिरिराज सिंह ने कहा कि देश में कुछ कट्टरपंथी ताकतें माहौल बिगाड़ने की कोशिश कर रही हैं। उन्होंने यह भी कहा कि महाकुंभ का आयोजन इस्लाम के आगमन से बहुत पहले से होता आ रहा है। उनका कहना था, "जब कुंभ का आयोजन इस्लाम से पहले हो रहा था, तो वक्फ की जमीन का सवाल ही नहीं उठता।" गिरिराज सिंह ने यह भी जोड़ा कि महाकुंभ के आयोजन में राजनीति नहीं होनी चाहिए। इस दौरान उन्होंने विपक्षी नेताओं पर भी निशाना साधते हुए कहा कि राहुल गांधी, अखिलेश यादव, लालू यादव और ममता बनर्जी इस मुद्दे पर चुप हैं, क्योंकि उन्हें अपनी वोट बैंक की चिंता है और इसलिए वे कुछ नहीं बोल रहे हैं।
Patna, Bihar: Union Minister Giriraj Singh on All India Muslim Jamat president Maulana Shahabuddin Razvi Barelvi's claims regarding Maha Kumbh Mela being organised on Waqf land says, "Some radical Muslims want to create unrest within the country, and I want to ask, by creating… pic.twitter.com/nbYHZoT220
— IANS (@ians_india) January 6, 2025
साध्वी ऋतंभरा को मिल रहा समर्थन
महाकुंभ 2025 के आयोजन स्थल पर वक्फ बोर्ड के दावे को लेकर साध्वी ऋतंभरा ने भी प्रतिक्रिया दी। उन्होंने वक्फ बोर्ड के दावे की आलोचना करते हुए कहा कि यह स्थान 'धर्म' और 'पुण्य' प्राप्त करने का स्थल है और इस पर राजनीति नहीं होनी चाहिए। साध्वी ऋतंभरा ने कहा, "धर्म के आधार पर देश को बांटने वाली ताकतें वक्फ की साजिश के तहत भारत की जमीन पर कब्जा करने की कोशिश कर रही हैं। यह साजिश रोकनी चाहिए।" उन्होंने यह भी सुझाव दिया कि वक्फ बोर्ड के तहत सभी संपत्तियां सरकार को हस्तांतरित कर दी जानी चाहिए, ताकि इस तरह के विवादों को टाला जा सके। साध्वी ने कहा, "महाकुंभ में सभी को समान रूप से शामिल होना चाहिए, क्योंकि यह एक धार्मिक समागम है, जो भारत की सांस्कृतिक धरोहर का हिस्सा है।"
क्या है महाकुंभ का महत्व
महाकुंभ 2025 का आयोजन 13 जनवरी से 26 फरवरी तक होगा और इसका मुख्य आकर्षण प्रयागराज का संगम स्थल होगा, जहां हर साल लाखों श्रद्धालु गंगा, यमुन और सरस्वती के संगम में स्नान करने आते हैं। इस बार महाकुंभ में दुनिया भर से आने वाले श्रद्धालुओं की भारी संख्या की संभावना है। इसके लिए प्रशासन ने श्रद्धालुओं की सुरक्षा और भव्यता की दृष्टि से व्यापक तैयारी की है। खासतौर पर, भीड़ प्रबंधन, सुरक्षा और आपातकालीन स्थिति से निपटने के लिए विशेष कदम उठाए गए हैं। पिछले महाकुंभ की तुलना में इस बार तैयारियां और सुरक्षा व्यवस्था को और भी मजबूत किया जा रहा है।
महाकुंभ के आयोजन स्थल पर वक्फ बोर्ड के दावे के बाद, यह मामला अब एक राजनीतिक विवाद बन गया है। जहां एक ओर कुछ मुस्लिम धार्मिक नेता इस मुद्दे पर आपत्ति जता रहे हैं, वहीं दूसरी ओर भाजपा और हिंदू धार्मिक नेता इसे राजनीति से परे रखते हुए एक धार्मिक और पुण्य लाभ की घटना मानते हैं। गिरिराज सिंह, साध्वी ऋतंभरा और अन्य हिंदू धार्मिक नेता महाकुंभ के आयोजन को भारतीय संस्कृति का प्रतीक मानते हुए इसे किसी भी प्रकार की राजनीति से अलग रखने की बात कर रहे हैं। वहीं, कुछ मुस्लिम नेताओं का कहना है कि इस्लाम के प्रचार से पहले यह स्थान हिन्दू धर्म से जुड़ा हुआ था और इस पर कोई दावा नहीं किया जा सकता। मौलाना रजवी बरेलवी का यह कहना था कि वक्फ की जमीन पर मुसलमानों के प्रवेश पर प्रतिबंध लगाना सही नहीं है, और सभी समुदायों को इस धार्मिक समागम में समान रूप से भाग लेना चाहिए।
महाकुंभ 2025 के आयोजन को लेकर जो भी विवाद चल रहा है, वह केवल एक भूमि के विवाद तक सीमित नहीं है, बल्कि यह भारतीय समाज की सांस्कृतिक और धार्मिक पहचान से जुड़ा हुआ है। इस पर राजनीति, धर्म और समाज के विभिन्न पहलुओं से विचार किया जा रहा है। हालांकि, महाकुंभ का मुख्य उद्देश्य आध्यात्मिक उत्थान और पुण्य लाभ है, लेकिन इस समय के राजनीतिक परिप्रेक्ष्य में इसे सांप्रदायिक तनाव के रूप में देखा जा रहा है। महाकुंभ 2025 की आयोजन भूमि को लेकर विवाद अब केवल एक स्थानीय मुद्दा नहीं रह गया है, बल्कि यह एक राष्ट्रीय चर्चा का विषय बन चुका है। क्या यह विवाद राजनीति में बदलेगा, या फिर यह सभी धार्मिक समुदायों के बीच समन्वय का प्रतीक बनेगा, यह आने वाले समय में स्पष्ट होगा। फिलहाल, प्रशासन और धार्मिक नेता दोनों ही अपनी-अपनी भूमिका निभा रहे हैं और महाकुंभ को एक समृद्ध और भव्य धार्मिक समागम बनाने की दिशा में काम कर रहे हैं।