जानिए नोटबंदी के दौरान क्यों बेवफा हुई सोनम गुप्ता, ये थी वजह
punjabkesari.in Friday, Nov 08, 2019 - 12:54 PM (IST)
नेशनल डेस्कः 8 नवंबर का दिन देश की अर्थव्यवस्था के इतिहास में बेहद खास दिन के तौर पर दर्ज है। यही वह दिन है जब तीन साल पहले प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने रात 8 बजे दूरदर्शन के जरिए देश को संबोधित करते हुए 500 और 1000 के नोट बंद करने का ऐलान किया। नोटबंदी के दौरान जो सबसे ज्यादा चर्चा में रहा वो है सोनम गुप्ता का नाम। नोटबंदी के दौरान सोनम गुप्ता की सोशल मीडिया पर काफी चर्चा रही थी। इतना ही नहीं सोनम गुप्ता की बेवफाई के चर्चे फेसबुक से लेकर ट्विटर तक ट्रेंड में रहे। हालांकि कोई नहीं जानता ये बेवफा सोनम गुप्ता कौन थी लेकिन इनके चर्चे हर जुबां पर थे। क्या है पूरी कहानी?
दरअसल, किसी ने मज़ाक में या ब्रेकअप हो जाने के बाद 10 रुपए के एक नोट पर 'सोनम गुप्ता बेवफा है' लिखकर एक फोटो खींच ली और उसे साेशल मीडिया पर शेयर कर दिया। देखते ही देखते यह फाेटाे वायरल हाे गई और इस पर लाेगाें की प्रतिक्रिया अाने लगी। नोटबंदी के दौरान जब 2000 का नया नोट आया तो किसी ने उस पर भी यही संदेश लिखकर सोशल मीडिया पर फोटो शेयर कर दी। बस यहीं से सोनम गुप्ता की बेवफाई को लेकर लाेग परेशान हो उठे और सोशल मीडिया पर #sonambewafa #sonamguptabewafahai और #sonamgupta हैश टैग के साथ कई दिनों तक लोग कमेंट करते रहे।
जब आया सोनम का जवाब
यह कहानी यही खत्म नहीं हुई। सोनम गुप्ता ने जवाब भी दिया कि मैं बेवफा नहीं हूं। सोनम गुप्ता ने अपनी वफा साबित करते हुए लिखा है, 'बेवफा तू है सोनवीर सिंह मैं नहीं। वहीं 10 रुपए के एक नोट पर लिखा, 'मैं नहीं बेवफा, मैं नहीं बेवफा, तुम्हारी और सिर्फ तुम्हारी, सोनम गुप्ता '। इतना ही नहीं 100 रुपए के नोट पर लिखा हुआ था, 'हां, मैं बेवफा हूं जो उखाड़ना है उखाड़ ले। ऐसे में इस दिलचस्प कहानी पर नोटबंदी के दौरान हल्का-फुल्का माहौल बना रहा।
बैंकों के बाहर लंबी कतारें
नोटबंदी की यह घोषणा उसी दिन आधी रात से लागू हो गई। इससे कुछ दिन देश में अफरातफरी का माहौल रहा और बैंकों के बाहर लंबी कतारें लगी रहीं। लोग रात को या फिर तड़के ही बैंकों के बाहर कतारें लगा कर खड़े हो जाते थे ताकि उनको जल्द से जल्द नए नोट मिल सकें। इतना ही नहीं नोटबंदी के दौरान शादियों का भी सीजन थी जिस कारण जहां कई लोगों को दिक्कतें हुईं तो कई लोगों ने इस दौरान सादे में ही शादियों को निपटाया। हालांकि कुछ दिन बाद 500 और 2000 के नए नोट जारी किए गए। सरकार ने ऐलान किया कि उसने देश में मौजूद काले धन और नकली मुद्रा की समस्या को समाप्त करने के लिए यह कदम उठाया है। देश में इससे पहले 16 जनवरी 1978 को जनता पार्टी की गठबंधन सरकार ने भी इन्हीं कारणों से 1000, 5000 और 10,000 रुपए के नोटों का विमुद्रीकरण किया था।