केरल की ताड़ी या गोवा की फेनी क्या होता है इन दोनों में फर्क, किसमें होता है सबसे ज्यादा नशा?
punjabkesari.in Sunday, Jul 27, 2025 - 02:54 PM (IST)

नेशनल डेस्क : भारत की सांस्कृतिक विरासत में पारंपरिक पेयों का अहम स्थान रहा है। इनमें केरल की ताड़ी और गोवा की फेनी दो प्रमुख नाम हैं, जो न केवल क्षेत्रीय स्वाद और पहचान का हिस्सा हैं, बल्कि इनकी लोकप्रियता देशभर में फैल चुकी है। पर सवाल यह उठता है कि इन दोनों में से किस पेय में ज्यादा नशा होता है? आइए जानते हैं इन दोनों के फर्क को।
ताड़ी: केरल का पारंपरिक पेय
ताड़ी, जिसे केरल में 'कल्लू' भी कहा जाता है, नारियल या ताड़ के पेड़ से निकाले गए रस से बनती है। यह रस कुछ ही घंटों में प्राकृतिक रूप से खमीर उठकर हल्का नशीला पेय बन जाता है। पहले इसमें अल्कोहल की मात्रा लगभग 8.1% होती थी, लेकिन हाल ही में केरल सरकार ने इसकी लीगल लिमिट बढ़ाकर 8.98% कर दी है। ताजा परोसी जाने वाली ताड़ी का स्वाद मीठा-खट्टा होता है और इसे आमतौर पर मसालेदार व्यंजनों के साथ पिया जाता है। हालांकि, यदि इसे लंबे समय तक खमीर उठने दिया जाए तो इसकी तीव्रता और नशा बढ़ सकता है।
गोवा की फेनी: पारंपरिक स्वाद के साथ तेज नशा
गोवा की फेनी दो प्रकार की होती है, नारियल फेनी और काजू फेनी। नारियल फेनी को दो या तीन बार डिस्टिल किया जाता है। पहले चरण को ‘उरक’ कहा जाता है, जिसमें अल्कोहल की मात्रा 15-16% होती है। इसके बाद तैयार होने वाली फेनी में अल्कोहल कंटेंट 42.8% से 45% तक हो सकता है। काजू फेनी, काजू के फल के रस से बनाई जाती है और इसमें भी लगभग 40-45% अल्कोहल पाया जाता है। फेनी का स्वाद तीखा और सुगंध तेज होती है, और गोवा में इसे नीट, पानी या कॉकटेल के रूप में पिया जाता है।
कौन है ज्यादा नशीला?
अगर ताड़ी और फेनी की तुलना की जाए तो साफ है कि फेनी में अल्कोहल की मात्रा ताड़ी से कई गुना ज्यादा होती है। जहां ताड़ी हल्की और ताजगी से भरपूर होती है, वहीं फेनी तीव्र, तीखी और ज्यादा नशीली मानी जाती है। हालांकि, दोनों पेय अपने-अपने क्षेत्रों की संस्कृति, परंपरा और स्वाद का प्रतीक हैं, लेकिन नशे के पैमाने पर फेनी इस मुकाबले में बाज़ी मारती है।