आखिर आजाद हुआ कश्मीर- अलग झंडा, दोहरी नागरिकता खत्म...जानिए क्या है आर्टिकल 370 और 35A
punjabkesari.in Monday, Aug 05, 2019 - 06:20 PM (IST)
नेशनल डेस्कः जम्मू-कश्मीर पर ऐतिहासिक फैसला लेते हुए मोदी सरकार ने सोमवार को अनुच्छेद 370 और 35(ए) को खत्म कर दिया। केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने राज्यसभा में चार संकल्प पेश करते हुए आर्टिकल 370 को समाप्त करने का प्रस्ताव पेश किया। साथ राज्य को दो केन्द्र शासित प्रदेशों जम्मू-कश्मीर एवं लद्दाख में बांटने का निर्णय लिया है। केन्द्र शासित प्रदेश जम्मू-कश्मीर की अपनी विधानसभा होगी जबकि लद्दाख में विधानसभा का प्रावधान नहीं रखा गया है। राजनीतिक रूप से दूरगामी प्रभाव वाले सरकार के इन असाधारण फैसलों से जम्मू-कश्मीर को लेकर पिछले सप्ताह से चली आ रही अटकलबाजियों पर विराम लग गया।
शाह के 4 संकल्प
1. जम्मू-कश्मीर से आर्टिकल 370 को हटाने का फैसला किया गया।
2. लद्दाख को जम्मू-कश्मीर से अलग किया गया। लद्दाख अब केंद्र शासित प्रदेश। यहां विधानसभा नहीं होगी। इसका प्रशासन चंडीगढ़ की तरह चलाया जाएगा।
3. जम्मू-कश्मीर केन्द्र शासित प्रदेश होगा। जम्मू-कश्मीर को मिले विशेष अधिकार पूरी तरह से खत्म। केंद्र सरकार के इस फैसले के बाद जम्मू-कश्मीर में भारतीय संविधान पूरी तरह से लागू होगा। इस फैसले के बाद जम्मू-कश्मीर का अपना अलग से कोई संविधान नहीं होगा। अब कश्मीर में आर्टिकल 356 का भी इस्तेमाल हो सकता है। यानी अब यहा राष्ट्रपति शासन लगाया जा सकता है।
4. जम्मू-कश्मीर में आरटीआई और सीएजी जैसे कानून भी यहां लागू होंगे।
क्या है अनुच्छेद 370 और 35(ए)
जम्मू कश्मीर को विशेष दर्जा देने वाले संविधान के अनुच्छेद 370 तथा अनुच्छेद 35(ए) के प्रमुख प्रावधान इस प्रकार हैं-
- अनुच्छेद 370 के प्रावधानों के अनुसार, संसद को जम्मू-कश्मीर के बारे में केवल रक्षा, विदेश मामले और संचार के विषय में कानून बनाने का अधिकार है। अन्य विषय से जुड़े कानून को लागू करवाने के लिए केन्द्र को राज्य सरकार का अनुमोदन चाहिए।
- इसी विशेष दर्जे के कारण जम्मू-कश्मीर राज्य पर संविधान का अनुच्छेद 356 लागू नहीं होती। इस कारण राष्ट्रपति के पास राज्य के संविधान को बर्ख़ास्त करने का अधिकार नहीं है।
- 1976 का शहरी भूमि क़ानून जम्मू-कश्मीर पर लागू नहीं होता जिसके चलते देश के दूसरे राज्यों के लोग जम्मू-कश्मीर में जमीन नहीं खरीद सकते।
- संविधान का अनुच्छेद 360, जिसके तहत देश में वित्तीय आपातकाल लगाने का प्रावधान है, भी जम्मू-कश्मीर पर लागू नहीं होता।
- अब दोहरी नागरिकता नहीं होगी। आर्टिकल 370 के कारण जम्मू-कश्मीर में वोट का अधिकार सिर्फ वहां के स्थायी नागरिकों को ही था। दूसरे राज्य के लोग यहां वोट नहीं दे सकते और न चुनाव में उम्मीदवार बन सकते थे। अब आर्टिकल 370 के बाद भारत का कोई भी नागरिक वहां के वोटर और प्रत्याशी बन सकता है।
- अब राज्यपाल का पद खत्म हो जाएगा। इसके साथ ही राज्य की पुलिस केंद्र के अधिकार क्षेत्र में रहेगी।
- अनुच्छेद 370 के हटने के साथ जम्मू कश्मीर का अलग संविधान तथा अलग झंडा नहीं रहेगा। अन्य राज्यों की तरह वहां भी देश के सभी कानून सामान्य रूप से लागू होंगे।
अनुच्छेद 35A
- संविधान में जुड़ा हुआ वह प्रावधान है, जो जम्मू कश्मीर की सरकार को यह अधिकार प्रदान करता है कि राज्य का स्थायी निवासी कौन है, किस व्यक्ति को सार्वजनिक क्षेत्र की नौकरियों में विशेष आरक्षण दिया जाएगा, कौन राज्य में संपत्ति खरीद सकता है, किन लोगों को वहां की विधानसभा चुनाव में वोट डालने का अधिकार होगा, छात्रवृत्ति, अन्य सार्वजनिक सहायता और सामाजिक कल्याण कार्यक्रमों का लाभ कौन प्राप्त कर सकता है?
- इस अनुच्छेद के अंतर्गत यह भी प्रावधान है, कि यदि राज्य सरकार किसी कानून को अपने हिसाब से बदलती है, तो उसे देश के किसी भी न्यायालय में चुनौती नहीं दी जा सकती है।
- यह अनुच्छेद जम्मू कश्मीर को एक विशेष राज्य के रूप में अधिकार देता है। इसके तहत दिए गए अधिकार जम्मू और कश्मीर में रहने वाले ‘स्थायी निवासियों' से जुड़े हुए हैं। इसका मतलब है कि राज्य सरकार को यह अधिकार है कि वह आजादी के वक्त दूसरी जगहों से आए हुए शरणार्थियों और अन्य लोगों को वहां रहने की अनुमति दे या नहीं दे।
- अनुच्छेद 35 ए को लागू करने के लिए तत्कालीन केंद्र सरकार ने अनुच्छेद 370, के अंतर्गत प्राप्त अधिकारों और शक्तियों का इस्तेमाल किया था। इस अनुच्छेद को पंडित जवाहरलाल नेहरू की सलाह पर तत्कालीन राष्ट्रपति राजेंद्र प्रसाद के एक आदेश द्वारा 14 मई 1954 को संविधान में शामिल किया गया था।
- अनुच्छेद 35ए जम्मू कश्मीर राज्य को विशेष अधिकार देने वाले अनुच्छेद 370 का ही एक हिस्सा है। इस के अंतर्गत जम्मू कश्मीर के अलावा देश के किसी भी राज्य का निवासी वहां कोई संपत्ति नहीं खरीद सकता।
- अनुच्छेद 35ए को लागू करने का आदेश ‘संवैधानिक आदेश, 1954' के रूप में जाना जाता है। यह आदेश 1952 में जवाहर लाल नेहरू तथा जम्मू और कश्मीर के तत्कालीन वजीरे आजम शेख अब्दुल्ला के बीच हुए दिल्ली समझौते पर आधारित था।