जस्टिस एएन रे ने 2 घंटे में किया था फैसला, SC का चीफ जस्टिस बनना है या नहीं

punjabkesari.in Monday, Jul 16, 2018 - 04:15 PM (IST)

नई दिल्ली: भारत के पूर्व प्रधान न्यायाधीश को देश का शीर्ष न्यायिक पद संभालने के बारे में फैसला लेने के लिए दो घंटे का वक्त दिया गया था। यह वर्ष 1973 की बात है। शीर्ष अदालत में तीन वरिष्ठ न्यायाधीशों को नजरंदाज करते हुए उनकी नियुक्ति हुई थी और इस वजह से विवाद खड़ा हो गया था। हाल में आई एक किताब में इस बात का जिक्र है। किताब ‘ सुप्रीम व्हिस्पर्स ’ के लेखक हैं पूर्व प्रधान न्यायाधीश वाई.वी. चंद्रचूड़ के पोते अभिनव चंद्रचूड़। इसमें न्यायमूर्ति अजीत नाथ रे को उद्धृत किया गया है, ‘‘ अगर मैं (पद को) स्वीकार नहीं करता, तो किसी और को इसका प्रस्ताव दिया गया होता। इसके लिए मैं लालायित नहीं था।’’ हालांकि, प्रधान न्यायाधीश का पद स्वीकार करने के लिए दो घंटे का वक्त दिए जाने के न्यायमूर्ति रे के बयान पर उसी दौर के कुछ अन्य वरिष्ठ न्यायाधीशों का कुछ और ही मानना है। उन न्यायाधीशों के हवाले से किताब में दावा किया गया है कि अपनी नियुक्ति के बारे में उन्हें बहुत पहले से पता था।

न्यायमूर्ति रे का वर्ष 2010 में निधन हो गया था। यह और इस तरह के कई दावे और जवाबी दावे सुप्रीम कोर्ट के 66 न्यायाधीशों ने अमेरिकी विद्वान जॉर्ज एच गाडबोईस जूनियर को 1980 के दशक में दिए साक्षात्कार में किए। यही अब किताब के रूप में सामने हैं। इंदिरा गांधी की सरकार ने शीर्ष अदालत के तीन वरिष्ठ न्यायाधीशों न्यायमूर्ति जयशंकर मणिलाल शेलेट, न्यायमूर्ति ए.एन. ग्रोवर और न्यायमूर्ति के.एस. हेगड़े को नजरंदाज करते हुए न्यायमूर्ति रे को नियुक्त किया था और इसे न्यायपालिका की स्वतंत्रता पर हमले की तरह देखा गया था। उनकी नियुक्ति 25 अप्रैल 1973 को की गई थी। इसके एक ही दिन पहले केशवानंद भारती मामले में सुप्रीम कोर्ट के फैसले में 13 न्यायाधीशों की संविधान पीठ ने 7-6 के बहुमत के फैसले में संविधान के सिद्धांतों का ‘मूलभूत ढांचे’ को रेखांकित किया था।

मामले में जो छह न्यायाधीश विरोध में थे उनमें से एक न्यायमूर्ति एएन रे भी थे। जबकि जिन वरिष्ठ न्यायाधीशों की वरिष्ठता को नजरअंदाज करते हुए उन्हें नियुक्ति दी गई थी उनमें न्यायमूर्ति शेलेट, हेगड़े और न्यायमूर्ति ग्रोवर शामिल थे और वे बहुमत से निर्णय वाले न्यायाधीशों में शामिल थे। न्यायमूर्ति रे के इस बयान से न्यायमूर्ति हेगड़े और न्यायमूर्ति पी.जगमोहन रेड्डी सहमत नहीं थे। उनका कहना था कि रे को लंबे समय से यह पता था कि न्यायमूर्ति सर्व मित्रा सिकरी के बाद उन्हीं को नियुक्ति मिलने वाली है।    


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Seema Sharma

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