जस्टिस यशवंत वर्मा के खिलाफ कार्रवाई के लिए सरकार सक्रिय, मानसून सत्र में पेश हो सकता है प्रस्ताव
punjabkesari.in Thursday, Jul 03, 2025 - 06:48 PM (IST)

National Desk : इलाहाबाद हाई कोर्ट के जज यशवंत वर्मा को पद से हटाने की प्रक्रिया जल्द शुरू हो सकती है। केंद्रीय कानून मंत्री किरेन रिजिजू ने गुरुवार को बताया कि प्रमुख विपक्षी दलों ने इस प्रस्ताव का सैद्धांतिक रूप से समर्थन कर दिया है और अब सांसदों के हस्ताक्षर जुटाने की प्रक्रिया शुरू की जाएगी। रिजिजू ने कहा कि फिलहाल यह तय नहीं हुआ है कि यह प्रस्ताव लोकसभा में पेश किया जाएगा या राज्यसभा में। लोकसभा में प्रस्ताव लाने के लिए कम से कम 100 सांसदों के हस्ताक्षर जरूरी हैं, जबकि राज्यसभा के लिए 50 सांसदों का समर्थन काफी है। प्रस्ताव मानसून सत्र के दौरान पेश किया जा सकता है।
क्या है मामला?
मार्च में दिल्ली स्थित जस्टिस वर्मा के सरकारी आवास में आग लगने की घटना सामने आई थी। जब वे दिल्ली हाई कोर्ट में कार्यरत थे, तब उनके आवास के आउटहाउस में जल चुके नोटों से भरी बोरियां बरामद हुई थीं। इस मामले ने तब तूल पकड़ा जब सुप्रीम कोर्ट द्वारा गठित एक जांच समिति ने गवाहों के बयान दर्ज करने के बाद रिपोर्ट में जस्टिस वर्मा की भूमिका पर सवाल उठाए।
हालांकि, रिपोर्ट ने उन्हें सीधे तौर पर दोषी नहीं ठहराया, बल्कि आगे की कार्रवाई के लिए सुझाव दिए। खबरों के अनुसार, तत्कालीन सीजेआई संजीव खन्ना ने जस्टिस वर्मा से इस्तीफे की सलाह भी दी थी, लेकिन वे पद छोड़ने को तैयार नहीं हुए।
अगला कदम क्या होगा?
जज को हटाने की प्रक्रिया न्यायाधीश (जांच) अधिनियम, 1968 के तहत होती है। इसके तहत संसद के किसी एक सदन में प्रस्ताव स्वीकार होने के बाद, एक तीन सदस्यीय समिति गठित की जाती है। इसमें भारत के मुख्य न्यायाधीश या सुप्रीम कोर्ट का एक जज, किसी हाई कोर्ट का चीफ जस्टिस और एक प्रतिष्ठित न्यायविद शामिल होते हैं। यह समिति आरोपों की जांच करती है। रिजिजू ने स्पष्ट किया कि चूंकि मामला न्यायपालिका में कथित भ्रष्टाचार से जुड़ा है, इसलिए सरकार चाहती है कि सभी राजनीतिक दल इस प्रक्रिया में शामिल हों और इसे गंभीरता से लिया जाए।