46 साल बाद खुला जगन्नाथ मंदिर का रत्न भंडार, क्या सच में मिला सांप ? जानिए क्या है रहस्य
punjabkesari.in Monday, Jul 15, 2024 - 03:32 PM (IST)

ओडिशा : जगन्नाथ मंदिर, जो ओडिशा के पुरी में स्थित है, भारत के सबसे प्रसिद्ध और पवित्र हिंदू तीर्थस्थलों में से एक है। मंदिर का रत्न भंडार एक रहस्यमयी और अत्यंत सुरक्षित कक्ष है, जिसमें भगवान जगन्नाथ, बलभद्र, और सुभद्रा के लिए बहुमूल्य आभूषण और रत्न संग्रहित हैं। इस रत्न भंडार को खोलने की प्रक्रिया बेहद दुर्लभ और सुरक्षित होती है, और इसे लंबे समय तक बंद रखा गया था। वहीं कल रविवार को मंदिर के रत्न भंडार को 46 साल बाद फिर से खोला गया।
रत्न भंडार में कई सोने के आभूषण मिले हैं और हर आभूषण के वजन 100-100 तौले से ज्यादा हैं। खजानों को खोलने से पहले यह अनुमान लगाया जा रहा था कि खजानों की सुरक्षा सांप करते हैं, ऐसे में यह माना जा रहा था कि खजानों में भी सांप हो सकते हैं। सांप होने के डर से पहले ही सांप पकड़ने वालों को बुलाया गया था। साथ ही खजाने को खोला गया था तो इसके लिए एसओपी बनाई गई थी, जिसके हिसाब से खजाने को खोला गया था।
हालांकि कल दोपहर को पूरी तैयारी के साथ जब खजाने को खोला गया तो उसके अंदर से कोई सांप नहीं मिले। सभी निकाले गए आभूषणों और बहुमूल्य सामानों को मंदिर के अंदर अस्थायी ‘स्ट्रॉन्ग रूम' में स्थानांतरित कराया। बता दें कि जब जगन्नाथ हेरिटेज कॉरिडोर परियोजना के तहत मंदिर के सौंदर्यीकरण का काम चल रहा था, उस दौरान मंदिर के आसपास सांप पाए गए थे। जिसके बाद यह माना जा रहा था कि खजाने में भी सांप हो सकते हैं। पर जब कल दोपहर खजानें को खोला गया तो ऐसा कुछ नहीं हुआ। इस खजाने में सांप ना मिलने के बाद यह स्पष्ट हो गया कि सांप होने की बातें सिर्फ मिथक थीं।
आपको बता दें कि रत्न भंडार के बारे में कई मिथक और पौराणिक कथाएँ प्रचलित हैं। इनमें से एक प्रसिद्ध कथा यह है कि नागराज (साँप) इस खजाने की सुरक्षा करते हैं। ऐसी कहानियाँ भारतीय पौराणिक कथाओं और धार्मिक मान्यताओं में आम हैं, जहां साँपों को खजानों का रक्षक माना जाता है। नागराज का खजानों की रक्षा करना एक प्रतीकात्मक कथा है, जो खजानों की सुरक्षा और उनकी पवित्रता को दर्शाती है।माना जाता है कि भगवान विष्णु ने माता लक्ष्मी की रक्षा के लिए नाग देव को ही जिम्मेदारी दी है, इसलिए जहां-जहां धन रहता है, वहां सांप भी रहते हैं।
रत्न भंडार में साँपों का निकलना और नागराज द्वारा खजानों की सुरक्षा जैसी कहानियाँ मुख्यतः पौराणिक और धार्मिक दृष्टिकोण से जुड़ी होती हैं। इन कहानियों का वैज्ञानिक प्रमाण नहीं होता, और इन्हें धार्मिक और सांस्कृतिक मान्यताओं के रूप में ही देखा जाना चाहिए। वास्तविकता यह है कि ऐसे सुरक्षित और लंबे समय से बंद स्थानों में साँपों और अन्य जीवों का पाया जाना प्राकृतिक और पर्यावरणीय कारणों से हो सकता है।