चंद्रयान-2 पर ISRO का बड़ा बयान, लैंडर विक्रम सही सलामत, नहीं हुई कोई टूट-फूट

punjabkesari.in Monday, Sep 09, 2019 - 03:55 PM (IST)

बेंगलुरुः इसरो की तरफ से चंद्रयान-2 को लेकर बड़ा बयान आया है। इसरो ने कहा कि लैंडर विक्रम सही-सलामत है, उसमें कोई टूट-फूट नहीं हुई है। इसरो चीफ के.सिवन की तरफ से कहा गया कि विक्रम से संपर्क टूट है लेकिन हमारी उम्मीदें नहीं। इसरो चीफ ने कहा कि हम जल्द ही विक्रम से संपर्क साध लेंगे। उन्होंने कहा कि हमारी कोशिशें जारी है। इसरो ने अभी उम्मीद नहीं छोड़ी है और वह ‘चंद्रयान-2' के लैंडर ‘विक्रम' से संपर्क स्थापित करने की हरसंभव कोशिश कर रहा है, जो ‘हार्ड लैंडिंग' के बाद इस समय चंद्रमा की सतह पर है। ‘विक्रम' का शनिवार को ‘सॉफ्ट लैंडिंग' के प्रयास के अंतिम क्षणों में उस समय इसरो के कंट्रोल रूम से संपर्क टूट गया था जब यह चांद की सतह से 2.1 किलोमीटर की ऊंचाई पर था। लैंडर के भीतर ‘प्रज्ञान' नाम का रोवर भी है।

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मिशन से जुड़े इसरो के एक अधिकारी ने सोमवार को कहा कि ऑर्बिटर के कैमरे से भेजी गईं तस्वीरों के मुताबिक यह तय जगह के बेहद नजदीक एक ‘हार्ड लैंडिंग' थी। लैंडर वहां साबुत है, उसके टुकड़े नहीं हुए हैं। वह झुकी हुई स्थिति में है। अधिकारी ने कहा कि हम लैंडर के साथ संपर्क स्थापित करने के लिए हरसंभव कोशिश कर रहे हैं।'' उन्होंने कहा कि यहां इसरो के टेलीमेट्री, ट्रैकिंग और कमांड नेटवर्क (आईएसटीआरएसी) में एक टीम इस काम में जुटी है।'' ‘चंद्रयान-2' में एक ऑर्बिटर, लैंडर (विक्रम) और रोवर (प्रज्ञान) शामिल हैं। लैंडर और रोवर की मिशन अवधि एक चंद्र दिवस यानी कि धरती के 14 दिनों के बराबर है। इसरो अध्यक्ष के. सिवन ने शनिवार को कहा कि भारतीय अंतरिक्ष एजेंसी लैंडर से संपर्क साधने की 14 दिन तक कोशिश करेगी।

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उन्होंने रविवार को लैंडर की तस्वीर मिलने के बाद यह बात एक बार फिर दोहराई। अंतरिक्ष एजेंसी के एक अधिकारी ने कहा कि जब तक (लैंडर में) सबकुछ सही नहीं होगा, यह (दोबारा संपर्क स्थापित करना) बहुत मुश्किल है। संभावनाएं कम हैं। अगर ‘सॉफ्ट लैंडिंग' हुई हो और सभी प्रणालियां काम कर रही हों, तभी संपर्क स्थापित किया जा सकता है। फिलहाल उम्मीद कम है।'' इसरो के एक अन्य वरिष्ठ अधिकारी ने कहा कि लैंडर के फिर सक्रिय होने की संभावनाओं से इनकार नहीं किया जा सकता। उन्होंने कहा कि लेकिन कुछ सीमाएं हैं। हमें भूस्थिर कक्षा में अंतरिक्ष यान (जिनका संपर्क टूट गया) की बहाली का अनुभव है। लेकिन यहां (विक्रम के मामले में) बहुत अधिक गुंजाइश नहीं है। वह पहले ही चंद्रमा की सतह पर पड़ा है और हम उसे फिर से ठीक नहीं कर सकते। उन्होंने कहा कि ऐसे अभियान बहुत कठिन होते हैं। साथ ही संभावनाएं भी हैं और हमें हाथ थामकर इंतजार करना चाहिए।'' 

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Seema Sharma

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