क्या वायु प्रदूषण से बढ़ रहा है बच्चों में ऑटिज़्म का खतरा? AIIMS की डॉक्टर का बड़ा खुलासा

punjabkesari.in Thursday, Nov 06, 2025 - 05:50 PM (IST)

नेशनल डेस्क: दिल्ली-NCR समेत कई हिस्सों में लगातार बढ़ रहे प्रदूषण ने अब एक और नई चिंता खड़ी कर दी है। अब विशेषज्ञों का कहना है कि प्रदूषण का असर सिर्फ सांस या फेफड़ों की बीमारी तक सीमित नहीं है, बल्कि यह बच्चों के दिमागी विकास पर भी गहरा असर डाल रहा है। AIIMS (एम्स) की चाइल्ड न्यूरोलॉजी विशेषज्ञ डॉ. शेफाली गुलाटी ने चेतावनी दी है कि लंबे समय तक खराब हवा में सांस लेने से बच्चों में ऑटिज़्म (Autism) का खतरा बढ़ सकता है।

कैसे बढ़ाता है प्रदूषण ऑटिज़्म का खतरा
डॉ. गुलाटी के मुताबिक, प्रदूषण में मौजूद PM 2.5, नाइट्रोजन डाइऑक्साइड (NO₂) और अन्य हानिकारक गैसें शरीर में घुसकर दिमाग की प्राकृतिक सुरक्षा परत (Brain Barrier) को नुकसान पहुंचाती हैं। जब गर्भवती महिला इन कणों के संपर्क में आती है, तो वे प्लेसेंटा के ज़रिए भ्रूण तक पहुंच सकते हैं। इससे बच्चे के दिमागी विकास में रुकावट आती है और न्यूरोलॉजिकल समस्याओं की संभावना बढ़ जाती है।

गर्भवती महिलाओं और बच्चों पर प्रभाव
विशेषज्ञों का कहना है कि प्रदूषण के लंबे संपर्क से गर्भवती महिलाओं को सांस की दिक्कत, थकान, हार्ट डिज़ीज़ और कमजोर इम्यूनिटी जैसी समस्याएं हो सकती हैं। वहीं, गर्भ में पल रहे बच्चे का विकास भी प्रभावित होता है।
ऐसे बच्चों में जन्म के बाद सीखने की क्षमता कम, ध्यान केंद्रित करने में दिक्कत और व्यवहार में बदलाव जैसे लक्षण दिख सकते हैं। डॉ. गुलाटी बताती हैं कि यह असर सिर्फ शुरुआती विकास तक सीमित नहीं रहता। आगे चलकर इन बच्चों में ऑटिज़्म, न्यूरोडेवलपमेंट डिसऑर्डर और याददाश्त से जुड़ी समस्याएं जैसे अल्ज़ाइमर जैसे लक्षण भी दिख सकते हैं।


क्या करें बचाव
जब AQI बहुत खराब हो, तो बाहर निकलने से बचें। घर में एयर प्यूरीफायर लगाएं या हरे पौधे जैसे स्नेक प्लांट और मनी प्लांट रखें। बच्चों और प्रेगनेंट महिलाओं को मास्क पहनाना जरूरी है, खासकर सुबह-शाम के समय जब प्रदूषण ज्यादा होता है। घर का वेंटिलेशन बेहतर रखें ताकि अंदर की हवा ताज़ा बनी रहे। पौष्टिक आहार लें, जिसमें एंटीऑक्सिडेंट्स और विटामिन C भरपूर मात्रा में हों, ताकि शरीर में प्रदूषण से लड़ने की क्षमता बनी रहे।

विशेषज्ञों की सलाह
डॉक्टरों का कहना है कि प्रदूषण के खिलाफ जागरूक रहना ही सबसे बड़ा बचाव है। खासतौर पर गर्भवती महिलाएं और छोटे बच्चों के माता-पिता AQI स्तर पर नज़र रखें और जब हवा की गुणवत्ता खराब हो, तो घर के अंदर ही सुरक्षित माहौल बनाए रखें।


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Content Editor

Mansa Devi

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