सिंधु जल समझौता रद्द: भारत की बड़ी रणनीतिक पहल, गृह मंत्री अमित शाह की उच्चस्तरीय बैठक
punjabkesari.in Thursday, May 01, 2025 - 03:15 PM (IST)

नेशनल डेस्क: भारत सरकार ने 23 अप्रैल को सिंधु जल समझौते को रद्द कर दिया है। यह निर्णय कश्मीर के पहलगाम में हुए आतंकी हमले के ठीक बाद लिया गया, जिसमें 26 भारतीयों की जान गई थी। अब गृह मंत्री अमित शाह इस फैसले के बाद की कार्ययोजना और लाभों को लेकर वरिष्ठ मंत्रियों के साथ एक अहम बैठक करेंगे।
बैठक में क्या होगा एजेंडा?
इस बैठक में सिंधु जल समझौते को लेकर:
➤ मंत्रियों को ब्रीफिंग दी जाएगी कि कैसे समझौते के तहत भारत का पानी पाकिस्तान को दिया जा रहा था।
➤ पानी रोकने के उपायों जैसे कि नहरों का निर्माण, जल भंडारण, डिसिल्टिंग, फ्लश आउट जैसी रणनीतियों पर चर्चा होगी।
➤ पंजाब, हरियाणा, उत्तर प्रदेश और दिल्ली जैसे राज्यों को होने वाले लाभों पर विस्तृत योजना रखी जाएगी।
भारत के किसानों को कैसे होगा फायदा?
समझौते को रद्द करने के बाद:
➤ भारत अब पाकिस्तान को दिया जाने वाला पानी खुद इस्तेमाल कर पाएगा।
➤ इससे सिंचाई सुविधाओं का विस्तार, सूखे क्षेत्रों में पानी पहुंचाना, और कृषि उत्पादन में वृद्धि संभव होगी।
➤ यह फैसला विशेष रूप से पंजाब और हरियाणा के किसानों के हित में बताया जा रहा है।
क्या था सिंधु जल समझौता?
➤ यह समझौता 1960 में भारत और पाकिस्तान के बीच विश्व बैंक की मध्यस्थता में हुआ था।
➤ समझौते के तहत भारत को ब्यास, रावी और सतलुज, जबकि पाकिस्तान को झेलम, चिनाब और सिंधु नदियों पर प्राथमिक अधिकार मिला था।
➤ हालांकि, भारत को अपने हिस्से की नदियों का अधिकतम उपयोग करने की छूट थी, लेकिन तकनीकी और राजनीतिक बाधाओं के चलते ऐसा नहीं हो सका।
समझौता रद्द होने पर पाकिस्तान की बौखलाहट
समझौता रद्द होते ही पाकिस्तान ने कूटनीतिक बयानबाज़ी शुरू कर दी है:
➤ पाक विदेश मंत्री इशाक डार ने कहा कि वे अपने अधिकारों की रक्षा के लिए हरसंभव कदम उठाएंगे।
➤ पाकिस्तान के विदेश कार्यालय में उच्च स्तरीय बैठक हुई जिसमें सिंधु जल समझौते को अंतरराष्ट्रीय कानून का उल्लंघन बताया गया।
➤ बिलावल भुट्टो ने बयान दिया कि "या तो सिंधु नदी में पानी बहेगा या खून", जो स्पष्ट रूप से एक गंभीर चेतावनी या गीदड़भभकी मानी जा रही है।
भारत का आत्मनिर्भर जलनीति की ओर कदम
सिंधु जल समझौते को रद्द करना भारत का एक रणनीतिक और आत्मनिर्भरता की दिशा में अहम फैसला है। इससे जहां भारत की कृषि और जल संसाधनों को मजबूती मिलेगी, वहीं पाकिस्तान पर राजनीतिक और पर्यावरणीय दबाव भी बढ़ेगा। अब यह देखना अहम होगा कि भारत इस निर्णय को जमीनी स्तर पर कितनी प्रभावी ढंग से लागू कर पाता है।