ईरान-इजराइल युद्ध से बढ़ सकती है भारत की मुश्किलें, कई चीजों की कीमतों में आ सकता है भारी उछाल
punjabkesari.in Sunday, Jun 22, 2025 - 06:06 PM (IST)

National Desk : ईरान और इजराइल के बीच चल रहा तनाव अब एक बेहद गंभीर स्थिति में पहुंच चुका है, जिसका असर न केवल उस क्षेत्र में बल्कि वैश्विक स्तर पर भी महसूस किया जा रहा है। विशेषज्ञों का मानना है कि अगर यह टकराव और गहराया, तो भारत पर इसका खासा असर पड़ेगा, विशेषकर पश्चिम एशिया के देशों के साथ उसके व्यापार पर। भारत का ईरान, इराक, जॉर्डन, लेबनान, सीरिया और यमन जैसे देशों के साथ कुल निर्यात 8.6 अरब डॉलर और आयात 33.1 अरब डॉलर के आसपास है। इस संघर्ष से व्यापारिक गतिविधियों में भारी बाधा आ सकती है।
मुंबई के निर्यातक और टेक्नोक्राफ्ट इंडस्ट्रीज इंडिया के संस्थापक शरद कुमार सराफ ने चेताया है कि यह युद्ध भारत के लिए "कैस्केडिंग इफेक्ट" यानी क्रमिक प्रभाव वाला संकट बन सकता है। उन्होंने बताया कि उनकी कंपनी ने फिलहाल ईरान और इज़राइल को माल भेजना रोक दिया है। भारत ने वित्त वर्ष 2024-25 में ईरान को बासमती चावल, केले, सोया मील, चना और चाय जैसे कृषि उत्पादों के रूप में 1.24 अरब डॉलर का निर्यात किया, जबकि 441.8 मिलियन डॉलर का आयात किया। इज़राइल के साथ व्यापार का आंकड़ा 2.1 अरब डॉलर (निर्यात) और 1.6 अरब डॉलर (आयात) रहा।
ईरान-इजरायल के साथ व्यापार में पड़ेगा असर
सबसे बड़ी चिंता भारत की ऊर्जा सुरक्षा को लेकर है। भारत के कच्चे तेल का लगभग 60-65% हिस्सा हॉर्मुज जलडमरूमध्य के रास्ते आता है, जिसे ईरान ने बंद करने की चेतावनी दी है। यह जलडमरूमध्य वैश्विक तेल व्यापार का लगभग 20% नियंत्रित करता है और इसके जरिये ईरान, सऊदी अरब, इराक, कुवैत और कतर जैसे देशों से तेल और गैस का निर्यात होता है। भारत, जो 80% से अधिक ऊर्जा ज़रूरतों के लिए आयात पर निर्भर है, अगर इस मार्ग में अवरोध होता है तो पेट्रोल-डीजल के दाम बढ़ सकते हैं, महंगाई तेज हो सकती है, रुपये की वैल्यू पर असर होगा और देश का राजकोषीय संतुलन गड़बड़ा सकता है।
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पहले से ही अस्थिर है व्यापार
इससे पहले ही रेड सी मार्ग हौथी विद्रोहियों के हमलों के कारण अस्थिर हो चुका है, जिससे भारत का यूरोप और अमेरिका के साथ व्यापार बाधित हुआ है। भारत का 80% यूरोपीय व्यापार और कुल 34% निर्यात इन्हीं समुद्री रास्तों से होता है। वर्ल्ड ट्रेड ऑर्गनाइजेशन (WTO) ने भी आगाह किया है कि अगर यह हालात बने रहे, तो 2025 में वैश्विक व्यापार वृद्धि घटकर 0.2% रह सकती है, जबकि पहले इसका अनुमान 2.7% था।
भारत के सामने बड़ी चुनौती
भारत के सामने कूटनीतिक स्तर पर भी चुनौतियाँ बढ़ गई हैं। एक ओर भारत का ईरान के साथ रणनीतिक और ऐतिहासिक संबंध है, जिसमें चाबहार पोर्ट जैसी अहम परियोजना शामिल है, जो भारत को अफगानिस्तान और मध्य एशिया से जोड़ता है। वहीं दूसरी ओर भारत अमेरिका, इज़राइल और खाड़ी देशों के साथ भी घनिष्ठ संबंध रखता है। इन सभी पक्षों का आपसी संघर्ष भारत के लिए एक जटिल संतुलन साधने की चुनौती बनकर सामने आ रहा है।