2.3 अरब डॉलर के भारतीय सैटकॉम बाजार में विदेशी कंपनियों की पैनी नजर, इंटेलसैट और इनमारसैट सबसे आगे
punjabkesari.in Wednesday, Aug 13, 2025 - 04:02 PM (IST)

नेशनल डेस्क : भारत का उपग्रह संचार (सैटकॉम) बाज़ार वैश्विक सैटेलाइट ऑपरेटरों के लिए एक नए आकर्षण का केंद्र बन गया है। मौजूदा 2.3 अरब डॉलर के इस बाजार के अगले तीन वर्षों में लगभग 10 गुना बढ़कर विश्व के सबसे बड़े सैटकॉम बाज़ारों में शामिल होने की उम्मीद है। अंतरिक्ष से इंटरनेट और ब्रॉडबैंड सेवाओं की बढ़ती मांग ने कई अंतरराष्ट्रीय कंपनियों को भारत की ओर रुख करने पर मजबूर कर दिया है।
कौन-कौन है मैदान में?
लक्समबर्ग की Intelsat, ब्रिटेन की Inmarsat, Singapore Telecom, कोरिया की KTsat, थाईलैंड की IPSTAR, और इंडोनेशिया की PT Telekom जैसी कंपनियाँ भारतीय बाजार में अपनी उपग्रह क्षमताएँ बेचने और गठजोड़ करने के लिए कतार में हैं। ये ऑपरेटर अपनी सैटकॉम क्षमताएं उन कंपनियों को बेचेंगे जो भारत में लाखों उपभोक्ताओं को अंतरिक्ष से ब्रॉडबैंड सेवाएं देने की योजना बना रही हैं।
स्टारलिंक को चुनौती देने की तैयारी
फिलहाल भारत में Elon Musk की Starlink, Reliance Jio और SES का संयुक्त उद्यम, और Bharti समर्थित OneWeb (Eutelsat) सैटकॉम सेवाएं देने के लिए अधिकृत हैं। इनके अलावा, Amazon Kuiper और Apple-समर्थित Globalstar ने भी परमिट के लिए आवेदन किया है। इनमें से सभी कंपनियां सीधे प्रतिस्पर्धी नहीं हैं, लेकिन वे पुनर्विक्रय (resale) समझौतों और साझेदारियों के ज़रिए Starlink को चुनौती देने की क्षमता रखते हैं।
भारत की संभावनाएं और विस्तार योजनाएं
KPMG की रिपोर्ट के मुताबिक, भारत का नवजात लेकिन तेजी से उभरता सैटकॉम बाज़ार 2028 तक 20 अरब डॉलर तक पहुंच सकता है। इसका सबसे बड़ा कारण Direct-to-Cell (D2C) संचार सेवाओं का आगमन है, जिसमें मोबाइल फोन सीधे उपग्रह से सिग्नल प्राप्त कर सकते हैं। Tata Group की सैटकॉम इकाई Nelco ने हाल ही में OneWeb (Eutelsat) के साथ पुनर्विक्रय साझेदारी की घोषणा की। Nelco ने कोरिया की KT-Sat के Koreasat-7 उपग्रह को भी अपने पोर्टफोलियो में शामिल किया है। यह कदम भारत में KU-Band सैटकॉम सेवाएं बढ़ाने के लिए उठाया गया है।
Nelco के MD और CEO पीजे नाथ ने कहा:
“Nelco भारत में कई GEO सैटेलाइट्स का उपयोग करता है – भारतीय और विदेशी दोनों। OneWeb के साथ साझेदारी हमें LEO क्षमता भी उपलब्ध कराएगी। उपयोग के अनुसार GEO और LEO का संयोजन सेवाओं में विविधता लाएगा।”
अन्य वैश्विक गठबंधन
SES (जिसने इस साल Intelsat को खरीदा है) पहले से Jio Platforms के साथ JV में है और अब अपनी भारतीय इकाई के ज़रिए भी कारोबार बढ़ाने की योजना बना रहा है।
Viasat (जिसने 2023 में Inmarsat को अधिग्रहित किया) ने भी भारतीय बाजार के लिए उपग्रह जोड़े हैं।
Viasat India के MD गौतम शर्मा ने कहा:
“हम उन्नत उपग्रह तकनीक के ज़रिए भारत के दुर्गम क्षेत्रों तक कनेक्टिविटी लाने के लिए प्रतिबद्ध हैं। हमारी साझेदारियाँ भारत की शीर्ष तकनीकी और निर्माण कंपनियों के साथ हो रही हैं।”
Viasat पहले से ही भारत के रक्षा, नागरिक और वाणिज्यिक क्षेत्रों में सेवाएं दे रहा है, साथ ही चेन्नई और हैदराबाद में इंजीनियरिंग केंद्र भी चला रहा है। इन गठबंधनों और तैयारियों के बावजूद, भारत में व्यावसायिक उपग्रह सेवाओं की शुरुआत सरकार द्वारा स्पेक्ट्रम अलॉटमेंट पर निर्भर है। यदि स्पेक्ट्रम आवंटन शीघ्र होता है, तो इस साल के अंत तक अंतरिक्ष से इंटरनेट सेवाएं शुरू हो सकती हैं।
भारत: अगला बड़ा बाज़ार
Jeffries की एक रिपोर्ट में कहा गया है कि Starlink अकेले भारत में इस समय 1.8 लाख ग्राहक जोड़ सकता है और 2030 तक यह आंकड़ा 57 लाख तक पहुंच सकता है। फिलहाल Starlink के 94 देशों में 50 लाख ग्राहक हैं और अमेरिका उसका सबसे बड़ा बाज़ार है। भारत एकमात्र ऐसा विशाल भूभाग है जहां अभी तक वाणिज्यिक उपग्रह सेवाएं शुरू नहीं हुई हैं, जबकि रूस और चीन विदेशी सैटकॉम कंपनियों को अनुमति नहीं देते।