भारत का ऐसा खतरनाक द्वीप जहां बाहरी लोगों के प्रवेश पर है पाबंदी, अगर नियम तोड़ा तो होगी मौत की सजा!
punjabkesari.in Friday, Apr 04, 2025 - 11:14 AM (IST)

नेशनल डेस्क। अंडमान और निकोबार द्वीपसमूह का नॉर्थ सेंटिनल द्वीप एक बार फिर चर्चा में है जब पुलिस ने एक अमेरिकी नागरिक को वहां बिना अनुमति प्रवेश करने के आरोप में गिरफ्तार किया। 24 वर्षीय मिखाइलो विक्टरोविच पोल्याकोव नामक यह नागरिक 26 मार्च को पोर्ट ब्लेयर आया और फिर कुर्मा डेरा समुद्र तट से होते हुए नॉर्थ सेंटिनल द्वीप पहुंच गया। 31 मार्च को पुलिस ने उसे गिरफ्तार कर लिया। गिरफ्तारी के बाद पुलिस ने इसकी सूचना गृह विभाग को दी ताकि विदेश मंत्रालय और अमेरिकी दूतावास को इस बारे में सूचित किया जा सके।
क्यों खास है नॉर्थ सेंटिनल द्वीप?
नॉर्थ सेंटिनल द्वीप अंडमान और निकोबार द्वीपसमूह का हिस्सा है जो बंगाल की खाड़ी में स्थित है। इस द्वीप को भारत सरकार ने जनजातीय आरक्षित क्षेत्र घोषित कर रखा है जहां बाहरी लोगों का प्रवेश सख्ती से प्रतिबंधित है।
सेंटिनली जनजाति और उनकी परंपराएं
नॉर्थ सेंटिनल द्वीप पर रहने वाली सेंटिनली जनजाति को दुनिया की सबसे पुरानी और प्री-नियोलिथिक जनजातियों में से एक माना जाता है। ये लोग बाहरी लोगों से संपर्क नहीं करते और अपनी सुरक्षा के लिए हमले भी करते हैं। यही वजह है कि सेंटिनली लोग बाहरी लोगों को शत्रु मानते हैं और कई बार उन्हें मार भी डालते हैं।
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उदाहरण के लिए नवंबर 2018 में अमेरिकी मिशनरी जॉन चाऊ को उस समय जान से मार दिया गया था जब उन्होंने सेंटिनली लोगों से संपर्क करने की कोशिश की थी। उनका उद्देश्य इन लोगों को ईसाई धर्म में परिवर्तित करना था। इससे पहले 2006 में भी दो भारतीय मछुआरों की हत्या कर दी गई थी जब उनकी नाव गलती से द्वीप के किनारे पहुंच गई थी।
सेंटिनली जनजाति की जनसंख्या और जीवनशैली
सेंटिनली लोग लगभग 500 की संख्या में होते हैं और आदिम जीवन शैली का पालन करते हैं। ये लोग शिकार करने के लिए तीर, कमान और भाले का उपयोग करते हैं। जनजाति की महिलाएं अपनी कमर, गर्दन और सिर के चारों ओर फाइबर की डोरी बांधती हैं जबकि पुरुष हार और हेडबैंड पहनते हैं और कमर पर मोटी बेल्ट लगाते हैं। इनकी आबादी बहुत ही सीमित है और यह जनजाति बाहरी दुनिया से बिल्कुल अलग रहती है।
वहीं नॉर्थ सेंटिनल द्वीप और यहां के लोगों की सुरक्षा के मद्देनजर भारत सरकार ने सख्त नियम लागू किए हैं ताकि इस जनजाति के अस्तित्व और संस्कृति को नुकसान न पहुंचे।