एस जयशंकर का बड़ा बयान, आतंकवाद के खिलाफ चीन दोहरे मापदंड नहीं अपना सकता, भारत सीमा पार आतंकवाद पर सख्त
punjabkesari.in Tuesday, Jun 10, 2025 - 01:19 PM (IST)

नेशनल डेस्क: विदेश मंत्री एस जयशंकर ने हाल ही में एक अहम बयान दिया है जिसमें उन्होंने चीन को आतंकवाद के मामले में दोहरे मापदंड न अपनाने की चेतावनी दी है। उनका कहना है कि आतंकवाद एक ऐसी समस्या है जो सभी देशों को प्रभावित करती है और इस पर अस्पष्टता नहीं बरती जा सकती। जयशंकर ने खासतौर पर पाकिस्तान के साथ चीन के गहरे रिश्तों को ध्यान में रखते हुए यह बात कही है। जयशंकर ने बताया कि भारत आतंकवाद से निपटने के लिए पूरी तरह गंभीर है और उन आतंकवादियों को खोज निकालेगा जो भारत पर हमला करते हैं, चाहे वे पाकिस्तान में ही क्यों न हों। उन्होंने यह भी स्पष्ट किया कि हाल के सैन्य हमले आतंकवाद के खिलाफ थे न कि कश्मीर को लेकर पाकिस्तान के साथ विवाद के कारण। जयशंकर ने कहा कि भारत-पाकिस्तान के बीच जो झड़पें हुई हैं, वे आतंकवाद की वजह से हैं। पाकिस्तान आतंकवादियों को पनाह देता है और उनका समर्थन करता है, इसीलिए यह संघर्ष भारत और आतंकवाद के बीच है, न कि दो देशों के बीच कोई सामान्य सीमा विवाद। उन्होंने कहा कि आतंकवाद के प्रति भारत बिल्कुल सहनशील नहीं है और अगर आतंकवादी भारत पर हमला करते हैं तो भारत उन्हें कहीं भी हो, वहां से खदेड़ने के लिए कार्रवाई करेगा।
हालिया पहलगाम हमला और भारत की जवाबी कार्रवाई
22 अप्रैल को जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में हुए आतंकवादी हमले के संदर्भ में जयशंकर ने बताया कि भारत की प्रतिक्रिया को व्यापक अंतरराष्ट्रीय समर्थन मिला। संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद ने भी इस हमले की निंदा की और जवाबदेही की मांग की। भारत ने 7 मई को आतंकवादी ठिकानों पर सैन्य हमले कर इस मुद्दे पर कड़ा रुख दिखाया।
चीन का आतंकवाद में दोहरा मापदंड
जब चीन के पाकिस्तान के साथ संबंधों पर सवाल उठाया गया तो जयशंकर ने कहा कि चीन दशकों से पाकिस्तान के साथ घनिष्ठ संबंध रखता है, लेकिन आतंकवाद के मुद्दे पर अस्पष्टता या दोहरे मापदंड नहीं अपनाए जा सकते। आतंकवाद एक वैश्विक समस्या है, और सभी को मिलकर इसका सामना करना होगा।
भारत-चीन संबंध और इंडो-पैसिफिक क्षेत्र
जयशंकर ने कहा कि भारत और चीन दोनों तेज़ी से विकास कर रहे हैं, इसलिए संतुलन बनाना जटिल प्रक्रिया है। भारत और चीन के बीच 2020 में हुई सीमा विवाद के बाद रिश्ते थोड़े तनावपूर्ण हो गए हैं, लेकिन दोनों पक्ष शांति और स्थिरता बनाए रखने के लिए प्रयासरत हैं। कोविड के बाद निलंबित हुए सीधी उड़ानों को फिर से शुरू करने जैसे कदम भी चर्चा में हैं।
अमेरिका के साथ व्यापार और रणनीतिक संबंध
जयशंकर ने अमेरिका द्वारा भारत पर टैरिफ लगाने की धमकी के सवाल पर कहा कि दोनों देशों के बीच बाजार तक पहुंच बढ़ाने पर सहमति बनी है। 9 जुलाई को टैरिफ निलंबन खत्म होने से पहले किसी समझौते की उम्मीद है। पिछले 25 वर्षों में भारत और अमेरिका के संबंध मजबूत हुए हैं, और ये संबंध आर्थिक, तकनीकी, शैक्षिक, वैज्ञानिक, रणनीतिक और सैन्य क्षेत्रों में गहरे हो रहे हैं। क्वाड जैसे गठबंधनों में भी भारत की अमेरिका के साथ भागीदारी महत्वपूर्ण है।
यूक्रेन युद्ध और भारत की भूमिका
जयशंकर ने यूक्रेन युद्ध के तत्काल समाधान की जरूरत पर जोर दिया। उन्होंने कहा कि यह केवल दो नेताओं का मामला नहीं है, बल्कि सभी संबंधित पक्षों को मिलकर बातचीत करनी चाहिए। भारत किसी का पक्ष नहीं लेगा, बल्कि दोनों पक्षों को यथासंभव मदद कर रहा है। भारत चाहता है कि युद्ध जल्दी रुके क्योंकि इस संघर्ष का दुनिया की अर्थव्यवस्था और स्थिरता पर नकारात्मक असर पड़ा है।