भारत की दो टूकः कनाडाई रक्षा मंत्री का दावा किया खारिज, कहा-दूतावास में पूर्ण स्टाफिंग की इजाजत कभी नहीं दी
punjabkesari.in Tuesday, Oct 28, 2025 - 05:43 PM (IST)
International Desk: भारत के उच्चायुक्त दीनशु पट्नायक ने कनाडा की विदेश मंत्री अनीता आनंद के उस बयान को खारिज कर दिया है जिसमें उन्होंने दावा किया था कि “भारत ने कनाडा को अपने दूतावास में पूर्ण स्टाफिंग (पूर्ण स्टाफ बहाली)” की अनुमति दे दी है। पट्नायक ने कहा कि भारत ने “पूर्ण स्टाफिंग” की अनुमति नहीं दी, बल्कि केवल उतने अधिकारियों पर सहमति जताई है जो मिशनों को सुचारु रूप से चलाने के लिए आवश्यक हैं। अनीता आनंद ने हाल ही में भारत यात्रा के बाद कहा था कि दोनों देशों के बीच यह सहमति बनी है कि कनाडा अपने दूतावास को फिर से पहले की तरह पूर्ण रूप से स्टाफ कर सकेगा। लेकिन भारतीय पक्ष का कहना है कि ऐसा कोई औपचारिक समझौता नहीं हुआ है और मौजूदा ढांचा केवल “ज़रूरत के मुताबिक सीमित बहाली” की अनुमति देता है।
पृष्ठभूमि: 2023 का राजनयिक संकट
अक्टूबर 2023 में भारत और कनाडा के बीच संबंध उस समय बिगड़ गए थे जब भारत ने 41 कनाडाई राजनयिकों की राजनयिक छूट (immunity) खत्म करने की चेतावनी दी थी। इसके बाद कनाडा ने अपने अधिकांश राजनयिकों को वापस बुला लिया था।यह विवाद ब्रिटिश कोलंबिया में खालिस्तानी कार्यकर्ता हरदीप सिंह निज्जर की हत्या के बाद शुरू हुआ, जिसमें ओटावा ने भारत पर संलिप्तता के आरोप लगाए थे।
दूतावासों में व्यावहारिक समस्याएं
भारत के उच्चायुक्त पट्नायक ने कहा कि अब वास्तविक समस्या अधिकारियों की संख्या नहीं बल्कि वीज़ा प्रक्रिया में भारी देरी और विशेषज्ञों के वीज़ा जारी होने में जटिलता है। उन्होंने बताया,“कुछ भारतीय विशेषज्ञों को छह-छह महीने तक वीज़ा नहीं मिलता। इससे दोनों देशों के बीच कामकाज और सहयोग प्रभावित हो रहा है।”
व्यापार और छात्र वीज़ा पर असर
विश्लेषकों के अनुसार, इस जारी तनाव का असर भारत–कनाडा व्यापार वार्ताओं, निवेश समझौतों, और छात्र एवं प्रवासी वीज़ा प्रक्रियाओं पर स्पष्ट रूप से दिखाई दे रहा है।जहाँ एक ओर भारत अपने दूतावासों में सुरक्षा और संवेदनशीलता को प्राथमिकता दे रहा है, वहीं कनाडा इसे “कूटनीतिक सहयोग में बाधा” के रूप में देख रहा है।विशेषज्ञों का मानना है कि दोनों देशों को अब “संवाद और विश्वास बहाली” पर जोर देना होगा, क्योंकि केवल स्टाफ संख्या बढ़ाने से समस्या हल नहीं होगी।संबंधों की बहाली के लिए पारदर्शिता, संवेदनशीलता और राजनीतिक परिपक्वता की ज़रूरत है।
