भारत की Brahmos Missile बनी आतंक के खिलाफ सबसे बड़ा हथियार, 17 देश खरीदने को तैयार
punjabkesari.in Wednesday, May 14, 2025 - 03:26 PM (IST)

बिजनेस डेस्कः आतंकवाद के खिलाफ भारत की निर्णायक कार्रवाई में ब्रह्मोस मिसाइल ने अहम भूमिका निभाई है। अत्याधुनिक तकनीक से लैस इस सुपरसोनिक क्रूज मिसाइल ने हाल ही में सीमापार आतंकवादी ठिकानों और सैन्य ठिकानों को सफलतापूर्वक निशाना बनाया। इसके बाद अब दुनियाभर के 17 देशों ने ब्रह्मोस मिसाइल को अपने रक्षा तंत्र में शामिल करने में गहरी रुचि दिखाई है।
ब्रह्मोस की ताकत
ब्रह्मोस एक सुपरसोनिक क्रूज मिसाइल है, जो ध्वनि की रफ्तार से लगभग तीन गुना तेज चलती है। इस मिसाइल की रेंज 500 से 800 किलोमीटर तक है और यह लगभग 300 किलोग्राम तक का विस्फोटक ले जाने में सक्षम है। यह मिसाइल अत्याधुनिक गाइडेंस सिस्टम से लैस है और थल, जल तथा वायु – तीनों माध्यमों से लॉन्च की जा सकती है। ब्रह्मोस का विकास भारत के DRDO और रूस की NPO Mashinostroyenia के संयुक्त प्रयास से हुआ है।
दुनिया भर में बढ़ी मांग
ब्रह्मोस की दक्षता और बहुआयामी उपयोगिता को देखते हुए 17 से अधिक देशों ने इसे खरीदने में रुचि दिखाई है। इंडोनेशिया ने इसके एडवांस वर्जन की खरीद के लिए 200–300 मिलियन डॉलर के सौदे की योजना बनाई है, जबकि वियतनाम करीब 700 मिलियन डॉलर की डील पर विचार कर रहा है।
मलेशिया इसे अपने सुखोई SU 30KM फाइटर जेट्स और युद्धपोतों में शामिल करना चाहता है। इसके अलावा सिंगापुर, थाईलैंड, ब्राजील, मिस्र, सऊदी अरब, संयुक्त अरब अमीरात, कतर, ओमान, दक्षिण अफ्रीका और बुल्गारिया समेत कई देशों के साथ बातचीत अंतिम चरण में है।
हालिया घटनाओं में ब्रह्मोस की भूमिका
आपको बता दें कि अप्रैल 2025 में जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में हुए आतंकी हमले के जवाब में भारतीय सेना ने सीमापार मौजूद आतंकी ठिकानों पर सटीक कार्रवाई की। रक्षा सूत्रों के अनुसार, 7 और 8 मई की रात को भारतीय सेना ने आतंकवाद से जुड़े कई ठिकानों को ब्रह्मोस मिसाइल की मदद से निशाना बनाया। इसके बाद भारत की जवाबी कार्रवाई में पाकिस्तान के पांच सैन्य एयरबेस भी प्रभावित हुए। भारत का एयर डिफेंस सिस्टम भी इस दौरान पूरी तरह सतर्क और सफल रहा।
भारत के लिए रणनीतिक बढ़त
ब्रह्मोस मिसाइल की वैश्विक मांग भारत को रक्षा निर्यात में अग्रणी देश बनने की दिशा में ले जा रही है। इससे न केवल देश की सैन्य ताकत की पहचान मजबूत हो रही है, बल्कि आत्मनिर्भर भारत अभियान को भी बड़ा समर्थन मिल रहा है।