देश के 1% अमीरों की संपत्ति में 62% का जबरदस्त उछाल, देखें चौंकाने वाले आंकड़े

punjabkesari.in Tuesday, Nov 04, 2025 - 02:30 PM (IST)

नेशनल डेस्क : दक्षिण अफ्रीका की G20 अध्यक्षता में जारी एक महत्वपूर्ण रिपोर्ट में खुलासा हुआ है कि भारत के सबसे अमीर 1% लोगों की संपत्ति वर्ष 2000 से 2023 के बीच 62 प्रतिशत तक बढ़ गई है। नोबेल पुरस्कार विजेता अर्थशास्त्री जोसेफ स्टिग्लिट्ज के नेतृत्व में तैयार इस अध्ययन में चेतावनी दी गई है कि वैश्विक असमानता अब संकट के स्तर पर पहुंच चुकी है, जो लोकतंत्र, आर्थिक स्थिरता और जलवायु प्रगति को गंभीर खतरे में डाल रही है।

वैश्विक असमानता पर स्वतंत्र विशेषज्ञों की G20 असाधारण समिति ने पाया कि वर्ष 2000 से 2024 के बीच विश्व स्तर पर उत्पन्न हुई सभी नई संपत्ति का 41 प्रतिशत हिस्सा सबसे अमीर 1% लोगों ने हासिल कर लिया, जबकि निचले 50% आबादी को महज 1 प्रतिशत ही मिला। समिति में प्रमुख अर्थशास्त्री जयति घोष, विनी बयानीमा और इमरान वालोदिया शामिल हैं।

भारत में अमीरों की दौलत में भारी इजाफा
रिपोर्ट के अनुसार, भारत के शीर्ष 1% लोगों की संपत्ति में इस अवधि (2000-2023) में 62% की वृद्धि दर्ज की गई, जबकि चीन में यह आंकड़ा 54% रहा। वैश्विक स्तर पर सबसे अमीर 1% लोगों ने आधे से अधिक देशों में अपनी संपत्ति का हिस्सा बढ़ाया, जो कुल वैश्विक संपत्ति का 74% है।

हालांकि, मोटे तौर पर मापी गई अंतर-देशीय असमानता में कुछ कमी आई है, क्योंकि चीन और भारत जैसे जनसंख्या बहुल देशों में प्रति व्यक्ति आय में वृद्धि हुई। इससे उच्च आय वाले देशों की वैश्विक जीडीपी में हिस्सेदारी कुछ हद तक घटी है।

रिपोर्ट में जोर देकर कहा गया है कि अत्यधिक असमानता एक 'विकल्प' है, न कि अपरिहार्य। राजनीतिक इच्छाशक्ति से इसे बदला जा सकता है और वैश्विक समन्वय से यह प्रक्रिया काफी सुगम हो सकती है, जिसमें G20 की महत्वपूर्ण भूमिका है।

वैश्विक ट्रेंड: असमानता का बढ़ता संकट
वैश्विक रुझानों पर नजर रखने और नीति निर्माण में मार्गदर्शन के लिए रिपोर्ट में जलवायु परिवर्तन पर अंतर-सरकारी पैनल (IPCC) की तर्ज पर एक अंतरराष्ट्रीय असमानता समिति (IPI) के गठन का प्रस्ताव रखा गया है। दक्षिण अफ्रीका की G20 अध्यक्षता में शुरू होने वाला यह निकाय सरकारों को असमानता और उसके कारणों पर आधिकारिक एवं सुलभ आंकड़े मुहैया कराएगा।

रिपोर्ट में उल्लेख है कि उच्च असमानता वाले देशों में समान देशों की तुलना में लोकतांत्रिक पतन की संभावना सात गुना अधिक होती है। वर्ष 2020 से वैश्विक गरीबी में कमी लगभग थम गई है और कुछ क्षेत्रों में यह उलट भी गई है।

खाद्य असुरक्षा: 2.3 अरब लोग मध्यम या गंभीर खाद्य असुरक्षा का सामना कर रहे हैं, जो 2019 से 33.5 करोड़ अधिक है।

स्वास्थ्य सेवाएं: दुनिया की आधी आबादी आवश्यक स्वास्थ्य सेवाओं से वंचित है।

स्वास्थ्य व्यय से गरीबी: 1.3 अरब लोग अपनी आय से स्वास्थ्य खर्च के कारण गरीबी में जी रहे हैं।


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Content Editor

Shubham Anand

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