नए साल पर सबसे बड़ी खुशखबरी, जापान को पछाड़कर भारत बना चौथी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था
punjabkesari.in Tuesday, Dec 30, 2025 - 09:23 PM (IST)
नेशनल डेस्क : नए साल की शुरुआत से ठीक पहले भारत के लिए एक बेहद उत्साहजनक खबर सामने आई है। सरकार की वार्षिक आर्थिक समीक्षा रिपोर्ट के मुताबिक, सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) के आधार पर भारत ने जापान को पीछे छोड़ते हुए दुनिया की चौथी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था का स्थान हासिल कर लिया है। यह उपलब्धि भारत की तेज़ी से बढ़ती आर्थिक ताकत और वैश्विक मंच पर उसकी मजबूत होती भूमिका को दर्शाती है।
भारत बना दुनिया की चौथी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था
सरकारी आंकड़ों के अनुसार, भारत की जीडीपी अब 4.18 ट्रिलियन डॉलर तक पहुंच गई है, जिसके साथ वह वैश्विक रैंकिंग में चौथे स्थान पर आ गया है। हालांकि, इस उपलब्धि की औपचारिक पुष्टि अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष (IMF) द्वारा की जानी है। आईएमएफ के आधिकारिक आंकड़े 2026 की पहली छमाही में जारी होने की संभावना है। मौजूदा आर्थिक रफ्तार को देखते हुए विशेषज्ञों का मानना है कि भारत अगले ढाई से तीन वर्षों के भीतर जर्मनी को भी पीछे छोड़ सकता है और 7.3 ट्रिलियन डॉलर की अनुमानित जीडीपी के साथ दुनिया की तीसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बन सकता है।
एक दशक में दोगुना हुआ आर्थिक आकार
आर्थिक समीक्षा में बताया गया है कि बीते कई वर्षों से भारतीय अर्थव्यवस्था लगातार तेज़ी से आगे बढ़ रही है। पिछले एक दशक में देश की अर्थव्यवस्था का आकार लगभग दोगुना हो चुका है। वित्त वर्ष 2025-26 की दूसरी तिमाही में भारत की जीडीपी वृद्धि दर 8.2 प्रतिशत दर्ज की गई, जो पिछले छह वर्षों का उच्चतम स्तर है और यह देश की आर्थिक मजबूती का स्पष्ट संकेत देती है।
वैश्विक चुनौतियों के बीच भी मजबूत प्रदर्शन
वैश्विक व्यापारिक अनिश्चितताओं और चुनौतियों के बावजूद भारत की अर्थव्यवस्था ने स्थिर और संतुलित प्रदर्शन किया है। मजबूत घरेलू मांग ने विकास को सहारा दिया है। वित्त वर्ष 2024-25 की पहली तिमाही में विकास दर 7.8 प्रतिशत रही, जबकि चौथी तिमाही में यह 7.4 प्रतिशत पर बनी रही, जो निरंतर आर्थिक स्थिरता को दर्शाता है।
‘गोल्डीलॉक्स’ स्थिति में भारतीय अर्थव्यवस्था
सरकार का कहना है कि मजबूत घरेलू मांग, व्यापक संस्थागत सुधार, संतुलित मौद्रिक नीति और कीमतों में स्थिरता ने भारतीय अर्थव्यवस्था के लिए एक अनुकूल ‘गोल्डीलॉक्स’ स्थिति तैयार की है। इसमें न तो अत्यधिक महंगाई है और न ही विकास की रफ्तार कमजोर पड़ी है। इसी संतुलन के कारण घरेलू और अंतरराष्ट्रीय संस्थान आने वाले वर्षों में भारत की अर्थव्यवस्था के और अधिक मजबूत होने का अनुमान लगा रहे हैं। विशेषज्ञों के अनुसार, आने वाले समय में भारत वैश्विक आर्थिक मंच पर और अधिक प्रभावशाली भूमिका निभाने की ओर बढ़ रहा है।
